सौन्दर्य, ये लो तुम्हारी कॉल. किसका फोन है केतकी ? नाम और फोटो स्क्रीन पर डिस्प्ले हो रहा है, देख लो..वो तो पता है बट लैंडलाइन की आदत अभी गयी नहीं है, ही ही ही ही..
हां, डियर. कैसे हो ? और क्या सब चल रहा है, सब मजे में न ? पागल हो गई है क्या तू ? कैसे भूल जाउंगा अपनी जान को ? तुम इस तरह पैनिक होती हो तो मैं परेशान हो जाता हूं. खैर छोड़, कैसी चल रही है तेरी यूपीएसी की तैयारी ?..अरे बस कहने को है शादी,शादी.ऐसे ही है. मुझे तो अभी भी लगता है कि तेरे साथ मैं ज्यादा खुश था. तुझे कहा तो था कि छोड़ ये सिविल-विवल. कर ले शादी. तू मानी ही नहीं. अच्छा सुन, केतकी ने खाना निकाल दिया है. मैं तेरे को डिनर के बाद कॉल करता हूं. तू सो तो नहीं जा रही है न ? हां-हां, तू तो देर रात जगनेवाली बंदी है. चल फिर, करता हूं डिनर बाद.
क्या हुआ केतकी,तुमने इस तरह मुंह क्यों बना लिया ? फोन करती है तो क्या..मेरा मतलब है मना कर दूं कि मत किया कर..यहां केतकी उबले अंडे बनकर मेरे सामने होती है. छोड़ न जान, चल डिनर करते हैं.
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केतु,कुछ तो बोल न यार. मैं ही तब से बक-बक किए जा रहा हूं.
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सौन्दर्य, तुम्हें मुझसे शादी नहीं करनी चाहिए थी. तुम अपनी लाइफ में खुश थे, मैंने आकर सब खराब कर दिया. तुम्हारी आजादी छीन ली. कल को उसके यूपीएसी क्वालिफाइ करने पर तुम्हें लगेगा कि मैं तुम्हारी जिंदगी में नहीं आती तो तुम भी आइएस,आइपीएस होते.
धत्त, पागल. मुझे डिस्टिक्ट का मजिस्ट्रेट थोड़े ही बनना है, मुझे तो अपनी रानी का चपरासी बनना है,बोले तो पीउउउन.
सौन्दर्य के ओठों को सिकोड़कर हाथ अभी केतकी के कंधे की तरफ बढ़ाए ही थे कि उसने बुरी तरह झिड़क दिया. मुझे नहीं करना डिनर और डिनर के बाद क्यों, अभी ही कर लो न जी भर के बातें. मैं कौन सा मरी जा रही हूं..गाड़ी उठाओ और जाओ उसके पास दाल-भात और चोखा खाने. क्या कहते हो- तेरे हाथों में अमृत बसता है जान. कितने घटिया इंसान हो तुम..मैं भाग-भागकर ऑफिस से आती हूं कि कहीं सौन्दर्य पहले ऑफिस से आ गया होता अकेले चाय पीते वक्त मुझे मिस्स करेगा और तुम या तो वही सड़ी सी सब्जी-दाल-भात खाकर सीधे दस बजे पहुंचते हो या फिर उसी से फोन पर चिपके होते हो. तुम जैसे लड़के शादी के लिए बने ही नहीं हो यार,तुम नहीं समझ सकते एक लड़की की फीलिग्स क्या होती है ? और वो..उसे एक पैसे की पानी है आंख में कि जब शादी हो गई है तो शाम को क्यों टांग फंसाने जाएं किसी की गृहस्थी में ?
बस केतकी बस. हो गया. मैंने तुम्हारी राम कहानी सुनने के लिए उसे डिनर के बाद फोन करने नहीं कहा था. अच्छा था कि पहले बात कर ही लेता. तुम इतनी सिनिकल क्यों हो जाती हो उसे लेकर यार ? अगर वो फोन करती है, मेरा मतलब है दिनभर पढ़ने के बाद एक मैं ही तो हूं जिससे कि वो सब शेयर कर पाती है, मुकर्जीनगर के जंगले में और किससे बात करेगी वो ?
देखो सौन्दर्य ! मुझे नहीं पता कि तुम कितने सालों से दुनिया को चूतिया बना रहे हो, पर मेरे सामने ठीक सेन्टेंस का इस्तेमाल करो. करती है, खाती है, पढ़ती है बोलते हो तो मेरा जी जलता है. बंद करो ये बकवास...
केतकी आखिर दिक्कत क्या है तुम्हें ? तुमने कभी उसे नजदीक से समझने की कोशिश की है ? एक बार करो, तुम्हें मेरे बाद वो तुम्हें अपने सबसे करीब और सच्चा दोस्त लगेगा. जानती हो, जब हमदोनों लिव इन में, सॉरी मेरा मतलब है रुमी थे और उसे पता चला कि मेरी शादी लगभग तय हो गयी है और लड़की का नाम केतकी है तो उसने एक शाम इमोशनल होकर कहा था- यार, अपनी शाम तो तुम छिनकर ले चले जाओगे पर मैं खुश हूं. ये बताओ, तुम केतकी को क्या कहोगे- केतु, केकी,केत, कतकी या फिर वही सीरियल के रेडीमेड संबोधन- जान,डियर, जानू,वेबी..और फोन कॉल आने पर जब तू मेट्रो में फंसा होगा- हां, हैलो..हां बोल मेरी टम्बकटू, अरे चुड़ैल तुझे किसने छेड़ दिया, तू तो निगल जाती है लोगों को, जैसे मुझे निगल जाती है रात को ?
बोल न सौन्दर्य क्या बोलेगा ?
जानती हो केतकी- जब वो ये घर छोड़कर जा रही था न, एक-एक सामान को काटर्न में डालती और फिर निकालकर रख देती- रहने देते हैं यार, केतकी तुरंत-तुरंत शादी करके आएगी तो झाडू खरीदेगी, पहली ही सुबह उठेगी तो क्या डस्टबिन खरीदेगी ? ये नॉनस्टिक रहने देती हूं..वो अपने मायका से लेकर आएगी लेकिन तू वो सब निकालने मत देना, अपनी फ्लैट में शिफ्ट होना तब निकालने कहा उसे नई चीजें. मैं तो घर में बस रहने लग गया था. किचन की सारी चीजें, ट्वायलेट का सबकुछ और यहां तक कि दीवारों की खूंटियां सब उसने अपनी पसंद से खरीदकर लगायी थी और तुम्हारे आने के तीन दिन पहले सब छोड़ गई. वो तुमसे कभी मिली नहीं. यूपीएससी मेन्स के चक्कर में शादी में आ नहीं सकी और इन्टरव्यू की ट्रामा से निकल नहीं पायी..अब कहती है- फाइनल होने पर ही केतकी को मुंह दिखाउंगी..और एक बात कहूं केतकी. मेरी पहनायी जिस रिंग को तुमने चूमते हुए कहा था- कितनी प्यारी पसंद है आपकी सौन्दर्य, वो भी उसी की पसंद थी. रिंग क्या, मैं जिस दड़बे में और जैसे रहता था,देखती तो शादी क्या, दो घंटे भी साथ नहीं बिता पाती.
वो मेरे बिना दिल्ली में कभी रही नहीं..उसे अकेले कभी नींद आती नहीं. वो इतनी इन्ट्रोवर्ट है कि किसी से बात नहीं करती.ऐसे में अगर वो मुझे रोज शाम फोन करके बात करती है तो इसमें कौन सा पहाड़ टूट जाता है?
सिर्फ बात, सिर्फ बात सौन्दर्य ? जिसे इस बात कि बेसिक समझ नहीं है कि हसबैंड-वाइफ शाम को थककर जब घर आते हैं,ठीक उसी वक्त फोन करना किसी भी एंगिल से समझ नहीं है, उसे मैं कैसे मान लूं कि उसे लोगों की भावनाओं की समझ है और रिश्तों को निभाना आता है ?
वो हमारी-तुम्हारी तरह प्रैक्टिकल नहीं है केतु, वो हायपर इमोशनल है. वो बस इतना जानती है कि उसे सौन्दर्य से रोज शाम दिनभर की बातें शेयर कर देनी है बस..केतकी जहां उसके रोज के फोन आने को आज आर या पार की लड़ाई बनाने पर आमादा थी, वहीं आज सौन्दर्य ने ही मन ही मन ठान लिया था कि अनुस्वार के साथ बिताए वो पांच साल की वो सारी नाजुक घटनाओं और संदर्भों का जिक्र करे जो उसे करीब से समझने में मदद करे..पर ये सब कहते हुए भी वो उसके लिए स्त्रीलिंग के बजाय पुल्लिंग क्रियाओं का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा था जिसे उसने महज मजाक-मजाक में आज से पांच साल पहले शुरु किया था..खासकर मेट्रो से गुजरते हुए एम्प्रेशन झाड़ने के लिए कि वो इस दिल्ली शहर में गर्लफ्रैंड विहीन नहीं है.
https://taanabaana.blogspot.com/2013/06/blog-post.html?showComment=1370362456540#c8398374510358442476'> 4 जून 2013 को 9:44 pm बजे
सबकी एक जैसी कहानी है दोस्त...। सच्ची सी।
https://taanabaana.blogspot.com/2013/06/blog-post.html?showComment=1370410489661#c8498692013346863900'> 5 जून 2013 को 11:04 am बजे
अन्त ने कहा्नी का सारा मज़ा ही खराब कर दिया...
https://taanabaana.blogspot.com/2013/06/blog-post.html?showComment=1370601425009#c8557743812975168093'> 7 जून 2013 को 4:07 pm बजे
hmm manovegyanik vyatha
https://taanabaana.blogspot.com/2013/06/blog-post.html?showComment=1370777529008#c7087109247042999288'> 9 जून 2013 को 5:02 pm बजे
क्या प्रेम कथा है!
बहुत खूब!