साल 2002 में हमने रांची शहर छोड़ दिया था. झारखंड जब बिहार से अलग राज्य बना था, हमारे संत जेवियर्स कॉलेज रांची में उत्सव का माहौल था. पूरे दिन हम पेड़ों की टहनियां तोड़कर आदिवासी नृत्य करने की कोशिश करते रहे. उंचा-नीचा पहाड-पर्वत नदी-नाला गाते रहे..कितने दोस्तों ने न जाने कितनी मिठाईयां खायी होगी. पता ही नहीं चल रहा था, किसने मंगाई है ये मिठाइयां. फादर प्रिंसिपल ने हमलोगों को बाहर मैंदान में बुलाया था, शुभकामनाएं दी थी और कहा था- और इस राज्य को सुंदर और बेहतर बनाने की बात कही थी.
प्रभात खबर ने अपने विशेषांक में लिखा था- झारखंड, जहां बोलना ही संगीत है और चलना नृत्य. उसके बाद अस्मिता की जो लड़ाई सालों से लड़ी जाती रही और जिस संभावना को ध्यान में रखकर बिहार से अलग होने की मांग की गई थी, उस पर सेंधमारी का भी काम तेजी से शुरु हो गया.
एचइसी का इलाका जो सबसे शांत और खूबसूरत इलाका हुआ करता था, रसियन हॉस्टल के विधान सभा बन जाने के बाद राजनीति,दलाली और गुंडागर्दी का अखाड़ा हो गया. मेरे इस शहर को छोड़ते-छोड़ते आभास हो गया था कि कैसे इस राज्य में लूटपाट और तबाही होनी है. कार्पोरेट के डिब्बाबंद चमकीले इरादे जहर की तरह फैलेंगे..आज वो सबकुछ हो रहा है. इन सबके बीच यूट्यूब पर इस वीडियो को जरुर देखिए. इसकी सीडी आज से कोई तीन साल पहले इंसाफ के साथियों ने बेर सराय,दिल्ली में वीडियो दिया था. हम वहां जल,जंगल,जमीन की लड़ाई लड़ती आयी दयामणि बारला दीदी से मिलने गए थे.
माय माटी छोड़ब नहीं, लड़ाय छोड़ब नहीं..
बांध बनाए, गांव डुबोए,कारखाना बनाए
जंगल काटे, खदान कोडे, सेंचुरी बनाए
जल,जंगल जमीन छोड़ी हमिन कहां कहां जाए
विकास के भगवान बता हम कैसे जान बचाएं.
https://taanabaana.blogspot.com/2012/07/blog-post_07.html?showComment=1341735163015#c914788602948696750'> 8 जुलाई 2012 को 1:42 pm बजे
बहुत खूबसूरत वीडियो है। देखकर बहुत अच्छा लगा। उतना ही खराब कि किस तरह लोग जंगल बदर किये जा रहे हैं। :(