संघनक का मतलब है सनग्लास, व्ऑय फ्रैंड, कैलकुलेटर या फिर फैक्स मशीन और दूरभाष यंत्र का मतलब होता है स्पीड पोस्ट, लेटर य़ा फिर ट्रैफिक।
हिन्दी का ज्ञान बढाने के लिए चैनल [ v] पर एक प्रोग्राम आता है- वीआईक्यू। वीजे लोगों से किसी हिन्दी शब्द का मतलब पूछता है जैसे लौहपथगामिनी और जिसमें ज्यादातर लोग सुनकर ठहाके लगाते हैं, लड़कियां व्हॉट बोलती है, मुंह बनाती है या फिर उपर जैसा लिखा है, उस तरह कुछ भी बोल जाती है। लड़के भी ऐसा ही करते हैं। इस तीन से चार मिनट के कार्यक्रम में आपको अंदाजा लग जाएगा कि चैनल किसी भी तरह से लोगों का हिन्दी के प्रति ज्ञान नहीं बढ़ा रहा या बढ़ाना चाह रहा है बल्कि हिन्दी के नाम पर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है जिसे कि हिन्दी बोलने वाले भी लोग इस्तेमाल नहीं करते। अब आप ही बताइए न, हममें से कितने लोग सिगरेट को धूम्रदंडिका बोलते हैं। किसी के नहीं बताने पर वीजे उसका अर्थ बताता है।
अच्छा हिन्दी का मतलब नहीं जानने पर किसी को संकोच, शर्म या फिर उदासी नहीं आती कि वे भारत में रहकर हिन्दी नहीं जानते। इसे वे स्टेटस के तौर पर लेते हैं कि उन्हें हिन्दी नहीं आती। यू नो आई मीन बोलकर उनका काम चल जाएगा। तंगी के दिनों में मैंने कॉन्वेंट के कई स्टूडेंट को हिन्दी की ट्यूशन दी है। पहले ही दिन उसकी मां या फिर खुद वो बड़े ही गर्व से बताता कि हिन्दी में थोड़ वीक है लेकिन बाकी के पेपर में तो....जीनियस। मतलब ऐसे समझाए जाते कि बाकी पेपर में जीनियस होने या फिर कुछ कर गुजरने के लिए हिन्दी में वीक होना जरुरी है।
मिडिल क्लास या फिर लोअर मिडिल क्लास में जाइए और आप पूछें कि आपका लड़का किस क्लास में है तो पहले बताएंगें, इंगलिस मीडियम में है और फिर क्लास। मैं कोई एमपी सरकार का आदमी नहीं हूं कि हिन्दी, संस्कृत और साथ में सरस्वती वंदना आप पर लाद दूं लेकिन इस मानसिकता को बढ़ावा देना कि अगर आप हिन्दी नहीं जानते तो आप हाई सोसाइटी से विलांग करते हैं और इससे आपके मिडिल क्लास में होने की सारी विडम्बनाएं खत्म हो जाएगी, सरासर गलत है। आप बोलिए न अंग्रेजी, कौन मना कर रहा है, मत बोलिए हिन्दी। लेकिन हिन्दी ज्ञान के नाम पर आप हिन्दी की ही लेने पर क्यों तुले हैं। आपकी औकात है तो फिर वीटीवी या फिर एमटीवी को अंग्रेजी में चला क्यों नहीं लेते। अपने को शहरी और इलिट बताने के लिए ये जरुरी है क्या कि आप हिन्दी के टिपिकल शब्द खोज कर लाएं जो कि प्रैक्टिस में भी नहीं है और इमेज बनाएं कि ऐसी होती है हिन्दी, हार्ड, कोई समझ ही नहीं पाएगा आपकी बात और फिर कोड़े बरसाने शुरु कर दें। ये तरीका ठीक नहीं है। आप हिन्दी भाषा के प्रसार के लिए कुछ कर नहीं कर सकते तो रहम करके उसकी गलत छवि बनाने का खेल न करें।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_20.html?showComment=1200849960000#c5893194383146955971'> 20 जनवरी 2008 को 10:56 pm बजे
सही मुद्दे पर सटीक नज़र!!
https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_20.html?showComment=1200850800000#c1101749149350657424'> 20 जनवरी 2008 को 11:10 pm बजे
बात में दम है, और कहने के तरीके में भी दम है. आपके लेख पढ़कर लगता है कि अन्दर कहीं ज्वाला है. दहकाये रखें.
https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_20.html?showComment=1200851640000#c4813885205864579731'> 20 जनवरी 2008 को 11:24 pm बजे
अरे वाह कया बात हे,यानी मां की इज्जत नही कर सकते तो बेज्जती तो मत करो, आप की कलम यु ही तरक्की करे,
ध्न्यवाद
https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_20.html?showComment=1200870420000#c310025347523286058'> 21 जनवरी 2008 को 4:37 am बजे
आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ ।
घुघूती बासूती
https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_20.html?showComment=1200883080000#c3461508826001493632'> 21 जनवरी 2008 को 8:08 am बजे
कडवा सच ही तो है ये कि हिन्दोस्तान में रहने के बाद...यहाँ खाने कमाने के बाद भी लोग इसे तुच्छ समझ हिकारत भरी नज़र से देखते हैँ।
हिन्दी में बात करते हुए उन्हें शर्म आती है...
और किसी की क्या बात करें अपने फिल्मी नायक-नायिकाओं को ही लो...
लाखों करोडों हर साल कमाते हैँ हिन्दी की बदोलत लेकिन जहाँ कभी इंटरव्य्यू देने की बारी आती है तो झट से अँग्रेज़ी में गिटर-पिटर चालू
https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_20.html?showComment=1200934080000#c3296034798614148743'> 21 जनवरी 2008 को 10:18 pm बजे
kya tamacha mara hai ,dil ko tand padgai. (richa )
https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_20.html?showComment=1201097760000#c6014033667420650206'> 23 जनवरी 2008 को 7:46 pm बजे
ek pankti hai..
mtv, v tv ko dekhkar sanskrit ka adhyapak oob gaya bola surya ko dekho paschim mein dhala to doob gaya...
inki duniya bas ishi illusion mein chalti rahti hai kya kijiyega kuch bina saur ke bhi log ish society mein hain ...