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लिंकित मनः अब बिक्री के लिए

Posted On 4:23 am by विनीत कुमार |

वर्ल्ड बुक फेयर में हूं। दिल्ली, प्रगति मैंदान के हॉल न. 6 के ठीक सामने। एरो लगा है- हिन्दी के नए साहित्य के लिए यहां पधारे। मैं सीधे हॉल के अंदर पहुंचता हूं।
देखता हूं कि कहीं कोई किताब की स्टॉल नहीं है, न वाणी, न राजकमल, न ज्ञानपीठ और न ही किताबघर। लेकिन मजे की बात कि लगभग सारे स्टॉल पर भीड़ खचाखच भरी है। खरीदारी के लिए मार हो रही है। मैं अकचका जाता हूं, भईया जब कहीं कोई किताब नहीं तो लोग खरीद क्या रहे हैं।
सारे स्टॉल पर पांच-छः डेस्कटॉप या फिर किसी-किसी पर लैपटॉप लगे हैं और प्रिंटर से धड़ाधड़ कागज निकल रहे हैं। दुकानदार कागज गिनकर ग्राहक को दे रहा है और ग्राहक बिल पेमेंट कर रहे हैं।
सारे स्टॉल पर एकदम नए लेकिन जाने-पहचाने लगभग दोस्तों के अपने नाम।
एक स्टॉल के बोर्ड पर लिखा है- मसीजीवी का खुराफाती मन, यहां पढ़ें।
मोहल्ला का चिकचिक औऱ आपका कोना, इन्ट्री लें। नोटपैड का लिखित वर्जन। फुरसतिया का सम्पूर्ण पाठ, यहां से लें। लिंकित मन हो गया है अब किताबी दुनिया में शामिल। रविरतलामी अब चार खंडों में। एक स्टॉल पर गाना बज रहा है, एक भड़ासी, दो भड़ासी, तीन भड़ासी, चार। और अलांउस हो रहा है कीमत सिरफ 60 रुपये, साठ रुपये, साठ रुपये। कस्बा- पढ़ने को मन करता है, यहां से लें। रेडियोनामा की सारी बातें, कीमत 1600 रुपये, डाकखर्च सहित। बिहार का मंजर, हफ्तावार में। अगड़म-बगड़म खरीदें आसान किस्तों पर। इस तरह से अलग-अलग स्टॉलों पर अलग- अलग आकर्षण और ग्राहकों के फायदे का वायदा।
सबसे पहले मैं मसीजवी स्टॉल पर गया और प्रकाशक के मालिक ही मिल गए, अपने विजेन्द्र सर, ब्राउसर लिया और पूछा, सर ये स्टॉल वाले ने तो बहुत पैसे लिए होंगे। उनका जबाब था नहीं रे बचवा, सरकार ने सब्सिडी दी है। 230 रुपये नकद, पासपोर्ट साइज फोटो, आइडी की फोटो कॉपी और अंडरटेकिंग कि आप लिखिए कि आप जीते जी अपना प्रकाशन बंद नहीं करेंगे। तुम इतना तेज बनते हो, पता नहीं चला तुमको, नहीं लगाए अपना स्टॉल, रुको कहीं कुछ देखता हूं।
उसके बाद पहुंचा मोहल्ला जहां से मेरी भी कुछ रचनाएं छपती है। देखा वहां सुंदर-सुंदर रिपोर्टर प्रकाशक की बाइट ले रहे हैं। मोहल्ला के स्टॉल पर धीरे-धीरे बज रहा है-
मोरे बलमा मोरी चोलिया मसक गयी
रेडियो में मेरी रुचि है सो यूनूस भाई और इरफान का स्टॉल एक ही साथ था, शायद मुरीदों को भटकना न पड़े, पहुंचा वहां भी। वहां से लोग सीडी खरीद रहे थे, पुराने रेडियो नाटकों और गानों के। पीछे से पुराने विज्ञापनों की आवाज आ रही थी- मुन्ना जा जरा पान की दुकान से नमक तो ले आ। यूनूस भाई ने मना करने पर भी एक सीडी पकड़ा दी। पैसे के लिए पूछा तो बोले, पराया समझते हैं आप हमें।
हफ्तावार के स्टॉल पर एक नोटिस लगी थी कि आप यहां से जो कुछ भी ले जाएंगे, उसके पैसे बिहार की बदहाली को कम करने के लिए वहां भेज दिया जाएगा। लोग पूछ रहे थे अगर आगे भी डोनेट करना चाहे तो क्या करना होगा।
नीलिमा के ब्लॉग पर साफ लिखा था, रचनाओं की असली कीमत है कि वो सही पाठकों तक पहुंचे, बाकी कोई दाम नहीं।
एक स्टॉल पर कुछ ट्रेनिंग चल रही थी- कुछ बोलने की। कुछ क्या गाली देने की ट्रेनिंग जी, गाली देने की। किऑस्क पर साफ लिखा आ रहा था-
क्या आप दिल्ली में नए हैं
आपको यहां झिझक होती है
कंडक्टर आपकी बात नहीं सुनता
लाइफ में कुछ करना चाहते हैं तो
यहां आइए आपको सिखाते हैं गाली। गाली से परहेज कैसा। कांनफिडेंस आएगा भाई। ये जितेन्द्र भाई का प्रकाशन है।
नोटपैड पर टॉक शो चल रहा था। सवाल स्त्रियों के और जबाब मृणाल पांडे के। जानिए अपने अधिकारों को किरण बेदी से।
आपके घर में बेसन, घी, चीनी, मैदा और गैस भी है तो फिर क्यों जाएं आफिस भूखे। दस मिनट में गरमागरम नाश्ता तैयार। लीजिए टिप्स निशामधुलिका के।
बोल हल्ला वाले स्टॉल पर देश के चार बड़े मीडियाकर्मी बैठे थे और नए पत्रकारों को बता रहे थे कि कैसे मालिकों को खुश करके भी समाज सेवा करें।
सब पर वैसी ही भीड़ और हर बंदे के हाथ में प्रकाशकों की थैली और माल भी।
लेकिन हैरत हुई भड़ास के स्टॉल पर लिखा था-
सिरफ काम का माल ले जाएं।
देखा वहां कुछ ज्यादा ही भीड़ है। खासकर नए पत्रकारों की या फिर जो मीडिया कोर्स कर रहे हैं- उनकी। वे एक सीडी लेकर आ रहे हैं- जिसपर कंपनी की पंचलाइन लिखी है- सारा माल इसमें। स्टॉल पर जाकर पूछा कि इस सीड़ी में क्या है भईया. तो बताया कि सर इसमें मीडिया के सारे बाबाओं के पर्सनल मोबाइल नं है और उनके चूतियापे का काला चिठ्ठा, उनके सफल होने के राज और कैसे बने खालिस पत्रकार. बहुत काम का है ले लीजिए सर। मैंने कहा मैं लेकर क्या करुंगा, हां अगले मेले में एक सीडी मैं भी दूंगा तुम्हे. सेल्समैन मुस्कराया, समझ गए सर।
अलग-अलग रंगों, कार्यक्रमों और हिन्दी की नयी रंगत को देखकर मन खुश हो गया। लगा अपनी हिन्दी भी कुछ काम की है भाई। लोटने लगा तो कई जगहों पर लिखा देखा-
गाहे- बगाहे का भसर यहां उपलब्ध है।।
शा न अजीब सपना लेकिन हकीकत के बहुत नजदीक
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17 Response to 'लिंकित मनः अब बिक्री के लिए'
  1. Rakesh Kumar Singh
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200389160000#c759852117798130419'> 15 जनवरी 2008 को 2:56 pm बजे

    मस्त. मज़ा आ गया. लग रहा था जैसे मेले में ही घुमाई हो रही है. दमदार लिखा.

     

  2. कमलेश प्रसाद
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200389520000#c8197522941462152876'> 15 जनवरी 2008 को 3:02 pm बजे

    क्या कहना भईया..अभी-अभी ब्लाग की चर्चा ही हो रही थी अब आप लोग बिक्ने भी लगे। खैर कुछ धन कि बारिस हुई या नही? या सब फ़्री का...

     

  3. Avinash Das
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200391860000#c9125947653072514881'> 15 जनवरी 2008 को 3:41 pm बजे

    ये चीज़ बड़ी है मस्‍त-मस्‍त।

     

  4. Sanjeet Tripathi
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200393960000#c4504211515376686635'> 15 जनवरी 2008 को 4:16 pm बजे

    अरे मामू अपन तो पीछे रै गए रे!! अपन को पताई नई चला नई तो अपन भी लग लेते अपना स्टॉल लगाने के लिए!

    दमदार है बॉस!!!

     

  5. Shiv
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200398220000#c980545779177858664'> 15 जनवरी 2008 को 5:27 pm बजे

    बहुत खूब. जबरदस्त पोस्ट, सर.
    शायद इसी मंजर को देखकर देश के सबसे 'महान' अम्बानी ने कहा था; "सबकुछ बिकता है"........:-)

     

  6. काकेश
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200400320000#c8052053712612725929'> 15 जनवरी 2008 को 6:02 pm बजे

    जी गजब है जी ये तो. मजा आ गया.

     

  7. Ashish Maharishi
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200400440000#c704352457053344835'> 15 जनवरी 2008 को 6:04 pm बजे

    बोल हल्‍ला की थोडी गलत व्‍याख्‍या हो गई, फिर भी लेखन की स्‍टाइल बिंदास है

     

  8. अजित वडनेरकर
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200432540000#c3171238464097282521'> 16 जनवरी 2008 को 2:59 am बजे

    अच्छी लगी पोस्ट । नवीनता थी। कुछ दिनों की बोरियत दूर हो गई। लोग जबर्दस्ती मज़े ले रहे थे।

     

  9. ghughutibasuti
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200432720000#c3836021909966906040'> 16 जनवरी 2008 को 3:02 am बजे

    बढ़िया सपना रहा आपका ।
    घुघूती बासूती

     

  10. Yunus Khan
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200454680000#c5643671655458470525'> 16 जनवरी 2008 को 9:08 am बजे

    हमारी दी हुई सी डी सुनी या नहीं आपने । वरना भाई साहब अगली बार होगा ये कि आपको जबर्दस्‍ती सुनवाना होगा । अच्‍छा है । मज़ा आया ।

     

  11. Arun Arora
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200455160000#c5584764903297125708'> 16 जनवरी 2008 को 9:16 am बजे

    मतलब यहा भी बिना पंगा नही मानने वाली आप..आप्को सबसे बडी स्टाल नही दिखाई दी..्जहा सबसे ज्यादा भीड जमा थी..सबसे ज्यादा बिक्री हो रही थी लोग पंगो के आईडिये के लिये धडाधड बुकिंग करा रहे थे जी...:)

     

  12. note pad
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200456360000#c939709182784185283'> 16 जनवरी 2008 को 9:36 am बजे

    नोटपैड पर टॉक शो चल रहा था। सवाल स्त्रियों के और जबाब मृणाल पांडे के। जानिए अपने अधिकारों को किरण बेदी से।
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    अधिकार जान लेने भर से क्या होगा भई ? और हमारे होते किरण वगैरह क्या जवाब देंगी।

     

  13. Priyankar
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200465000000#c6022372988040725247'> 16 जनवरी 2008 को 12:00 pm बजे

    pr

     

  14. Priyankar
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200465060000#c861842876456576093'> 16 जनवरी 2008 को 12:01 pm बजे

    आमीन !

     

  15. राजीव जैन
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200602160000#c2810503116997148578'> 18 जनवरी 2008 को 2:06 am बजे

    बहुत खूब

     

  16. Chhindwara chhavi
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1200652500000#c3535358478912465837'> 18 जनवरी 2008 को 4:05 pm बजे

    vineet bhai,

    bhul gaya tha main ki aapkee kalpana ke sagar me gote laga raha hu. 15 jan ko pustak mela kaise ho sakta hai. kamal hai aap jaise bhi kalam ke dhanee hai jo... shadon ke mele me dukan bhee laga dete hai. bhai badhai ho... likhate raho

     

  17. Unknown
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_15.html?showComment=1201011900000#c1040867627425505012'> 22 जनवरी 2008 को 7:55 pm बजे

    bahut badhiya....

     

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