टाइम्स नाउ औऱ सीएनएन-आइबीएन जैसे चैनलों को चाहिए कि वो स्क्रीन पर BOSS ON COMIC RELIEF का स्थायी स्लग चिपका दे ताकि हम यकीन कर सकें कि पाकिस्तान के चुनाव की खबर दिखाए जाने के बजाय जो तालमखनी चैनल बना रहे हैं, उसकी वजह अर्णव औऱ राजदीप के वीकएंड बनाने के कारण है. नहीं तो इन चैनलों के लिए पाकिस्तान में चुनाव के आनेवाले नतीजे और नवाज शरीफ की सरकार बनने की संभावना से बड़ी खबर क्या हो सकती थी ?
इधर यही काम एबीपी,आजतक,आइबीएन7 और इंडिया न्यूज जैसे चैनलों को करना चाहिए- साहब छुट्टी पर हैं लिहाजा "ललित निंबध" से काम चलाइए. जी न्यूज को तो लगता है कायदे से दो-चार चपत लगाएं, कंटेंट के नाम पर कुछ है नहीं लेकिन कार्यक्रम का नाम दिया है- WE HATE DEMOCRACY. ये बात पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं. इधर न्यूज24 हमेशा की तरह टीबी नॉट टीवी का शिकार है,वही अनसुनी कहानियां जारी है. आजतक के पास कहने को कुछ है नहीं तो बिना खबर के विस्तार में गए पैनल डिस्कशन शुरु.
अगर आप ये बात गंभीरता से समझना चाहते हैं कि अगर न्यूज चैनल के बॉस वीकएंड या छुट्टी पर होते हैं और दूसरी तरह टीवी क्र्यू जहां की खबर हो वहां भेजने की हैसियत चैनल के पास नहीं होती है तो किस तरह का कचरा स्क्रीन पर फैलाकर राष्ट्रीय खबर बनायी जाती है, तो अभी से लेकर आनेवाले एक-दो घंटे तक न्यूज चैनल जरुर देखिए. आइबीएन-7 के लिए सबसे बड़ी खबर एक तेंदुआ के घुस आने की है और इंडिया न्यूज ने बैंग्लोर के स्वामी की सोने की लंका और अभिषेक-एश्वर्या की शादी के पुरोहित होने के नाम पर अमिताभ बच्चन को घसीटने की जो कोशिश की, क्या बॉस छुट्टी पर नहीं होते तो आज ही ये खबर ब्रेक होती ? औऱ इन सबके बीच इंडिया टीवी के बॉस जो सप्ताह में एक ही दिन दिखाई देते हैं, हमेशा की तरह वर्चुअल अदालत में खी-खी,खी-खी में लगे हैं.
फील्ड की घटती रिपोर्टिंग और कंटेंट के न होने की स्थिति तो चैनल कितनी बेहूदगी के साथ छिपाने का काम करता है, आज रात की प्राइम टाइम में खुलकर देखने को मिला और हम और आप हैं कि वेवजह हलकान हुए जाते हैं. यही काम अगर सरबजीत या फिर क्रिकेट हारने जैसे हायपर इमोशनल मामले को लेकर होता तो चैनल के सारे आका घर की पनीर पसंदा और सांगरिला की वाइन छोड़कर स्क्रीन पर आ जाते लेकिन पाकिस्तान में चुनाव और सरकार बनने की घटना पर जहां हैं, वहीं पड़े हैं. इस पर आप सबों को गंभीरता से नजर रखनी चाहिए कि कैसे कोई खबर बिना ज्यादा मेहनत और लागत न लगाए जाने की स्थिति में राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है और जिसे सच में खबर का हिस्सा होना चाहिए, उसकी कोई चर्चा नहीं होती.
ऐसे ही गिने-चुने मौके पर तमाम आलोचना,असहमति,शक और क्रिटिकल होने के बीच बरखा दत्त,बरखा दत्त लगती है. पिछले एक घंटे से टीवी स्क्रीन पर जो भसड़ देखी, उसके बीच बरखा दत्त की लाहौर से लाइव रिपोर्टिंग और दिनभर की रिपोर्टिंग की फीचर गहन विश्लेषण और चुस्त स्क्रीप्टिंग का बेहतर नमूना है. हम बरखा दत्त की दूसरी वजहों से आगे भी आलोचना करते रहेंगे लेकिन मीडिया में प्रोफेशनलिज्म अगर बचा है तो वो बरखा जैसे चंद लोगों के होने की वजह से ही है.
https://taanabaana.blogspot.com/2013/05/blog-post_11.html?showComment=1368294479112#c1629831469974350441'> 11 मई 2013 को 11:17 pm बजे
Isliye Ravish bhi Ravish Kumar hain ...aaj bhi NDTV classics ke naam par 'Ravish ki report' hi hai....accha hi hua ki Ravish ko Angreji kaam challaauu aati hai(unke hi anusaar)...
vinod dua ko khane se fursat nahi ...honge bade Patrakaar ...khane ke alaawa bhi kuch kaam kar sakte hain ....Abhigyaan se bada gyani to koi lagta hi nahi poore karyakram mein wo itani baar ye kahte hain ki "main pahle bhi ye kah chuka hoon, main pahle bhi is par report kar chuka hun, main pahle kayi baar likh chuka hoon.." bla bla ...baaki samy wo gyan khud hi dete rahte hain wo bhi do kaudi ka....khair jo bhi hain Unki Ghadi dikhane ki ada bachkaani hai ...Jiyo Raivsh Jiyo
https://taanabaana.blogspot.com/2013/05/blog-post_11.html?showComment=1368294759398#c9019897970679997132'> 11 मई 2013 को 11:22 pm बजे
AUR haan Kamaal Khan ko NDTV pata nahi kyun bacha ke rakhaa hai ...Lagta hain wo koi bharat sarkaari krantikaari yojna typ hain...jo pata nahi kab kaamyaab hogi tamaam khoobiyon ke baavjood....
...are bhai unko Bhi main stream main le aao ...