न्यूज चैनल के सबसे चमकते चेहरे के तौर पर बरखा दत्त की सोशल इमेज पूरी तरह करप्ट हो चुकी है। डॉ. प्रणय राय ने एनडीटीवी की व्यावसायिक मजबूरी के तहत उनकी बदनामी को भले ही नजरअंदाज करने की कोशिश की हो लेकिन ऑडिएंस ने उन्हें एक बार फिर से बता दिया कि वो पत्रकारिता करने का नैतिक आधार पूरी तरह खो चुकी है। इस बात को जानने-समझने के लिए कोई सर्वे करने की जरुरत नहीं बल्कि कल रात इंडिया गेट पर बरखा दत्त के साथ जो कुछ भी हुआ, उसकी वीडियो फुटेज देखकर ही आसानी से समझा जा सकता है। ये वीडियो भी किसी चैनल या मेनस्ट्रीम की मीडिया ने नहीं बल्कि हमारी-आपकी तरह ही देश के एक आम इंसान ने शूट करके डाली है।
कल की रात जब देशभर के चैनल जश्न की रात करार देकर इंडिया गेट से लाइव कवरेज दिखा रहे थे,अन्ना हजारे को इस युग का गांधी करार दे रहे थे,भ्रष्ट्राचार यानी सरकार की हार और ईमादारी यानी जनता की जीत के एक-एक क्षण को कैमरे में कैद करके टेलीविजन स्क्रीन पर उगल दे रहे थे, जिसमें कि एनडीटीवी24x7 की मैनेजिंग एडीटर और वी दि पीपल शो की मशहूर एंकर बरखा दत्त भी शामिल थी,ठीक उसी समय वहां जुटी जनता ने बरखा दत्त के विरोध में नारे लगाने शुरु कर दिए। नारा था- बरखा दत्त हाय,हाय, दलाल पत्रकार हाय,हाय,बरखा दत्त बाहर जाओ,बाहर जाओ,बाहर जाओ,कार्पोरेट मीडिया दलाल हाय,हाय। ऐसे में चैनल के संजय आहिरवाल जैसे वयोवृद्ध और गंभीर पत्रकार को हारकर अंत में साइड हो जाने के अलावे कोई रास्ता न बचा था।
मीडिया ने जो समझ हमें अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन को लेकर दी है,उसके हिसाब से इसकी व्याख्या करें तो जिस तरह से देशभर में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगानेवाले और सड़कों पर उतरनेवाले लोग अपनी स्वाभाविक इच्छा से इसके समर्थन में आए थे,ठीक उसी तरह जिन लोगों ने बरखा दत्त के खिलाफ नारे लगाए और उन्हें दलाल पत्रकार कहा,वो भी इन्हीं सामान्य लोगों में से बीच के लोग रहे थे। बरखा दत्त को देखकर उनका गुस्सा स्वाभाविक तौर पर उसी तरह फूट पड़ा था,जिस तरह से अन्ना हजारे की ईमानदार कोशिश को देखते ही उससे जुड़ने का मन हो आया था। लोगों का गुस्सा इस मामले में स्वाभाविक था कि जिस पत्रकार पर भ्रष्टाचार होने के आरोप लगे हों, जिसने दलाली करके कार्पोरेट को फायदा पहुंचाने का काम किया हो, जिसके कारनामे से मीडिया पूरी तरह कलंकित हो चुका हो,उसे भला भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का क्या अधिकार है?
इससे ठीक विपरीत,जब तक ये मामला पूरी तरह स्पष्ट न हो जाए कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में जो घोटाले हुए हैं और कॉर्पोरेट लॉबिइस्ट नीरा राडिया के साथ मिलकर उसने मंत्री बनाने-बिगड़ाने से लेकर सौदेबाजी तक का काम किया हो,उसे इस पेशे से दूर ही रहना चाहिए। लेकिन उस वक्त एनडीटीवी और बरखा दत्त ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए बेशर्मी से मीडियाकर्म में लगी रही। एनडीटीवी की साख मिट्टी में मिल जाने के बावजूद गले की फांस बन चुकी बरखा दत्त को तब निकालना भी आसान नहीं था। चैनल के ऐसा करने से ये साबित हो जाता कि सचमुच बरखा दत्त के हाथ इस पूरे मामले में सने हैं और जब ये संदेश एक बार चला जाता तो उंगलियां इस बात को लेकर भी उठती कि ऐसा हो ही नही सकता कि इन सारी बातों की जानकारी प्रणय राय को नहीं रही होगी। इससे होता ये कि पूरा का पूरा चैनल शक के घेरे में आ जाता। ऐसा करके चैनल ने अपनी साख बचाने की कोशिश में बरखा दत्त को बने रहने दिया।
इतना ही नहीं पहले तो चैनल के सीइओ नारायण राव ने ओपन पत्रिका सहित जिसने कि बरखा दत्त को लेकर स्टोरी की थी और टेप प्रकाशित की थी,धमकी दी और फिर बाकी लोगों के लिए भी कहा कि अगर किसी ने बदनाम करने की कोशिश की तो उसका अंजाम ठीक नहीं होगा और फिर 30 दिसंबर रात 10 बजे NDTV 24X7 पर RADIA TAPE CONTROVERSY नाम से कार्यक्रम प्रसारित किया गया। इस कार्यक्रम में संजय बारू,(संपादक बिजनेस स्टैन्डर्ड, स्वपन दासगुप्ता( सीनियर जर्नलिस्ट), दिलीप पडगांवकर( पूर्व संपादक दि टाइम्स ऑफ इंडिया) और मनु जोसेफ( संपादक, ओपन मैगजीन) को बरखा दत्त से सवाल-जबाब के लिए पैनल में शामिल किया गया। इस बातचीत के अलावे आगे बरखा दत्त ने किसी भी चैनल पर बात करने से मना कर दिया और ये मानकर चली कि उनका काम हो गया है और उन्होंने ऑडिएंस को अपने पक्ष में कर लिया है। लेकिन इस शो के बाद हेडलाइंस टुडे की बातचीत सहित बाकी मंचों पर भी लोगों की प्रतिक्रिया सामने आयी कि बरखा दत्त किसी भी तरह से भरोसा नहीं दिला पायी। लिहाजा बरखा दत्त को लेकर ओपन,आउटलुक की स्टोरी और इन्टरनेट पर तैरते नीरा-बरखा टेप सुनकर जो राय बनी थी,वही टिककर रह गयी। लोगों के मन में स्थायी तौर पर ये बात बैठ गयी कि बरखा दत्त देश की एक ऐसी पत्रकार है जिस पर कि किसी भी सूरत में भरोसा नहीं किया जा सकता। कल रात जतंर-मंतर पर देश के आम दर्शकों ने उसके प्रति अपनी जो भावना जाहिर की, वह इसी स्थायी छवि की परणति है। उससे ये साबित हो गया कि पत्रकार की छवि,मीडिया और दर्शकों की प्रतिक्रिया का मामला इतना आसान नहीं है। इतनी आसानी से किसी बदनाम हो चुके पत्रकार का मेकओवर नहीं किया जा सकता।
बरखा दत्त जैसी किसी भी पत्रकार के लिए अब ब्रिटिश काउंसिल या इंडिया हैबिटेट सेंटर जैसी सुरक्षित जगहों पर जाकर "वी दि पीपल" जैसे शो करना फिर भी आसान है लेकिन आम लोगों के बीच से लहराते हुए पीटीसी करना नामुमकिन ही नहीं,असंभव दिख रहा है। बदनाम मुन्नी से जोड़कर इस पत्रकार की छवि को देखें तो ऑडिएंस ने उस बदनाम मुन्नी को भी हाथोंहाथ लिया,अपना प्यार और सम्मान दिया लेकिन इस बदनाम बरखा के प्रति उनकी हिकारत,नफरत और उबाल को वो किसी भी सूरत में दबा नहीं पा रहे हैं।
इससे पूरे प्रकरण में सबसे जरुरी बात है कि ऑडिएंस को लेकर मीडियाकर्मियों के जो मिथक हैं कि इनकी यादाश्त बहुत ही कमजोर होती है और लॉफ्टर चैलेज शो के बीच वो इन सब बातों को बहुत जल्द ही भूल जाते हैं,वो ध्वस्त हुए हैं। नबम्वर में हुई इस घटना को अप्रैल तक आते-आते भी देश की ऑडिएंस अपनी याद में जस की तस बनायी हुई थी। तभी तो बरखा दत्त को देखते ही जिस तरह से उसने रिएक्ट किया,ऐसा लगा कि मानो ये कल-परसों की ही बात है। 5 अप्रैल को अन्ना हजारे और उनके समर्थक जब भ्रष्टाचार के खिलाफ जंतर-मंतर पर अनशन के लिए बैठे थे,हमने अपनी फेसबुक वॉल पर तभी लिखा था कि हम देश में फैले भ्रष्टाचार पर बात करने के साथ-साथ मीडिया में फैले भ्रष्टाचार पर भी बात करें। मीडिया के भीतर की गंदगी और दोगलेपन को हम लगातार देखते आ रहे हैं लेकिन कभी मीडियाहाउस ने इस पर बात नहीं की। कल रात यानी 9 अप्रैल को जो हुआ,उससे ये साबित हो गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस देश में जो मुहिम चली है,उसके निशाने पर मीडिया भी है। मीडिया ने अपनी तरफ से तो पूरी कोशिश की थी कि पहले पेड न्यूज और फिर बाद में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला,राडिया-मीडिया प्रकरण में जो साख पूरी तरह गंवा चुकी है,उसे अन्ना की इस मुहिम की लगातार कवरेज करके मेकओवर कर ले। उसने इसे कभी हायपर देशभक्ति तो कभी नोशन ऑफ सिलेब्रेशन तक ले जाने की जी-जान से कोशिश की जिसका असर भी हुआ और देश की एक बड़ी आबादी इसमें समा गयी।
लेकिन इसी आबादी से कुछ लोग ऐसे भी निकलकर सामने आए जिसने कि मीडिया पर भी सवाल किया और बरखा दत्त जैसी पत्रकार को आइना दिखाने का काम किया । कोई खुद भ्रष्ट होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ बात नहीं कर सकता। इस पूरी घटना की कोई भी फुटेज,किसी भी चैनल ने नहीं दिखाई। सब अन्ना,अनशन और उत्सव में लगे रहे जिससे देशभर में व्यापक संदेश गया है कि मीडिया खुद चाहे कितनी भी गड़बड़ी कर ले,वो खबर का हिस्सा नहीं बन पाएगा। उनके लिए भ्रष्टाचार का मतलब अपने को माइनस करके दिखाना है। लेकिन जिन चैनलों ने अन्ना की इस मुहिम में न्यू मीडिया की भूमिका को शामिल किया है,हम साफतौर पर देख रहे हैं कि यही न्यू मीडिया,मेनस्ट्रीम में फैले भ्रष्टाचार को बेनकाब करने के काम आ रहा है।
लेकिन इसी आबादी से कुछ लोग ऐसे भी निकलकर सामने आए जिसने कि मीडिया पर भी सवाल किया और बरखा दत्त जैसी पत्रकार को आइना दिखाने का काम किया । कोई खुद भ्रष्ट होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ बात नहीं कर सकता। इस पूरी घटना की कोई भी फुटेज,किसी भी चैनल ने नहीं दिखाई। सब अन्ना,अनशन और उत्सव में लगे रहे जिससे देशभर में व्यापक संदेश गया है कि मीडिया खुद चाहे कितनी भी गड़बड़ी कर ले,वो खबर का हिस्सा नहीं बन पाएगा। उनके लिए भ्रष्टाचार का मतलब अपने को माइनस करके दिखाना है। लेकिन जिन चैनलों ने अन्ना की इस मुहिम में न्यू मीडिया की भूमिका को शामिल किया है,हम साफतौर पर देख रहे हैं कि यही न्यू मीडिया,मेनस्ट्रीम में फैले भ्रष्टाचार को बेनकाब करने के काम आ रहा है।
सार्वजनकि तौर पर बरखा दत्त का बहिष्कार ये साबित करता है कि इस देश की जनता भ्रष्टाचार के जिन ठिकानों की तलाश में निकली है,उसका एक अड्डा मीडिया भी है और वो इस पर भी छापेमारी का काम करेगी। अन्ना मुहिम की कवरेज के लिए इस मीडिया का शुक्रिया भी अदा करते रहें तब भी वो इसके खिलाफ जाकर काम करेगी और अगर जरुरत पड़ी तो अन्ना से अपना रास्ता अलग कर देगी और प्रतिरोध में कहेगी कि- नहीं अन्ना,जिस मीडिया के भीतर बरखा दत्त,प्रभु चावला,वीर सांघवी जैसे दागदार पत्रकार हैं,हम उसका शुक्रिया क्या,उसे सहन नहीं कर सकते। उन्हें जड़ से काटना भी हमारी इसी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का हिस्सा है,आप साथ दें तो भला, न दें तो हम अलग से मंच खड़ी करेंगे।
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302430221534#c4362991738403346742'> 10 अप्रैल 2011 को 3:40 pm बजे
shame!
barkha dutt
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302431814739#c2362618940255692434'> 10 अप्रैल 2011 को 4:06 pm बजे
हा हा हा हा हा बहुत सही बहुत सही विनीत भाई , और लोग कह रहे हैं कि इस मुहिम से कोई फ़र्क नहीं पडने वाला है अजी अभी तो देखते जाइए कि कहां कहां से सफ़ाई शुरू होती है ..मैं तो कल्पना करके ही सिहर जाता हूं कि अगर अन्ना की तबियत में जरा सी भी ऊंच नीच हो गई होती तो इतिहास गवाह होता इस बात कि भारत भी मिस्र और सीरिया से आगे जाकर वो कर देता जिसका अंदाज़ा अभी सत्ता को नहीं है या शायद है तभी आननफ़ानन में पहले घुटनों के बल फ़िर फ़िर साष्टांग दंडवत कर बैठी ..अब लोगों को इस आग को अपने भीतर उबालते रहने का समय है अभी तो बहुत मौके आने वाले हैं ऐसे ..
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302431818471#c2735596978864333391'> 10 अप्रैल 2011 को 4:06 pm बजे
जनता को बेबकूफ बनाना अब इतना आसान नहीं..
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302435406052#c6468432293885919357'> 10 अप्रैल 2011 को 5:06 pm बजे
public sab jaanti hai sab yaad rakhti hai.
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302435498549#c267187380826754159'> 10 अप्रैल 2011 को 5:08 pm बजे
दबंग की मुन्नी बदनाम होने पर भी प्यार बांटती है. लेकिन यह मुन्नी भ्रष्टाचार बांटती है...
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302437858188#c3369531228878559612'> 10 अप्रैल 2011 को 5:47 pm बजे
ये था जनता का जवाब !
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302440688533#c4671367719819279543'> 10 अप्रैल 2011 को 6:34 pm बजे
यह यही सिद्ध करता है कि जनता अब भूल नहीं पा रही है।
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302442355405#c4634708051730723554'> 10 अप्रैल 2011 को 7:02 pm बजे
ये आम जन का आक्रोश है .....
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302443499778#c4140007331612796402'> 10 अप्रैल 2011 को 7:21 pm बजे
ab barakha india habitat aur british council jaisi jagaho per hi barasengi :-)
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302446538459#c8474818759038339932'> 10 अप्रैल 2011 को 8:12 pm बजे
यह जरुरी है के मिडिया अपने अंदर की गंदगी पर भी ध्यान दे. सब जानते हैं कि नेता, अफसर और प्रशासन में बैठे लोग भ्रष्ट हैं. बीच-बीच में न्यायपालिका के भ्रष्ट लोगों की पोल भी खुलती रही है. लेकिन इन सबों की गंदगी देश के सामने रखने वाली मिडिया खुद कितनी साफ़ है, ये उसको भी साबित करना पड़ेगा. और कुछ बरखा दत्त जैसे मीडियाकर्मियों के कारण ये स्थिति पैदा हुई है.
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302446896932#c8254921793694720866'> 10 अप्रैल 2011 को 8:18 pm बजे
किसी पत्रकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ और नहीं हो सकता . बरखा ने अपने दर्शकों के साथ जो छल किया यह उस सजा की महज एक शुरुआत भर है. जंतर - मंतर पर अन्ना लाईव करते और ईमानदारी का ढोंग करते न्यूज़ चैनलों और पत्रकारों के लिए एक सबक है. प्रणव रॉय अब शायद अपनी कुम्भकर्णी नींद से जाग जाएँ.
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302462283548#c6445622938967331324'> 11 अप्रैल 2011 को 12:34 am बजे
'जनता की याददाश्त कमज़ोर होती है' इस जुमले पर सोचना पडेगा
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302462391300#c1780244590456549211'> 11 अप्रैल 2011 को 12:36 am बजे
रोचक पोस्ट!
हो सकता है इस झटके से उबरने की कोशिश में बरखा दत्त अच्छी पत्रकार बन जायें। :)
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302462967101#c8799694096412618270'> 11 अप्रैल 2011 को 12:46 am बजे
शानदार जक्सटापोजिशन विनीत. 'नौ सौ चुहे खा कर बिल्ली हज़ को चली वाली कहावत' में थोड़ा विस्तार ... रास्ते में मिल गया बिलाड़.
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302465755980#c1555951674416034784'> 11 अप्रैल 2011 को 1:32 am बजे
is gusse ko banaye rakhana jaruri hai
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302477564082#c4743202075628956844'> 11 अप्रैल 2011 को 4:49 am बजे
iss krantikaari zazbe wale video ke nauzawano ko mera salam
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302500415300#c346762270178359668'> 11 अप्रैल 2011 को 11:10 am बजे
Excellent post by vineet these shameless journos should introspect instead of claiming the tampering of video /audio tapes
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302502476813#c81864991155850729'> 11 अप्रैल 2011 को 11:44 am बजे
कमाल है:)
जो अपने सामने कल तक दूसरों को बोलने नहीं देते थे. आज लोगों ने उनकी ही बोलती बंद करने की ठान ली है. बल्ले बल्ले.
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302528390253#c6722413270742441881'> 11 अप्रैल 2011 को 6:56 pm बजे
बहुत सही !
यूट्यूब पर ऐसा ही विडियो देखने के बाद मैंने भी पूछा था कि किसी चैनल/अखबार में ये खबर नहीं आने का क्या ये मतलब नहीं है कि भारतीय मीडिया का अपना कार्टेल है. ?
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302539763328#c2731136191078356875'> 11 अप्रैल 2011 को 10:06 pm बजे
media ki ek karari khabar hi media se out ho gaye....
jai baba banaras...
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302792287300#c7473893375622553338'> 14 अप्रैल 2011 को 8:14 pm बजे
जाहिर बात है ये होना ही था ..वर्तमान समय में आप अपने हिस्से का सच दिखाकर एक दर्शक को तो पटा सकते है पर सूचनाओ के इस विकिलीक्स युग में संदेह का घेरा कुछ संवेदनशील पोस्ट पर बैठे लोगो के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है .उन्हें दर्शको का स्नेह भी मिला है ...सो ये प्रतिक्रिया भी झेलनी होगी .
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1302792392743#c263723480818313579'> 14 अप्रैल 2011 को 8:16 pm बजे
ओर हाँ अभिषेक ओझा का सवाल बड़ा वाजिब है ...जिसमे जवाब भी शामिल है
https://taanabaana.blogspot.com/2011/04/blog-post_10.html?showComment=1327080730811#c2640139735438601716'> 20 जनवरी 2012 को 11:02 pm बजे
हैरत की बात है की इतना बड़ा हंगामा हमारे राष्ट्रीय चैनलो से नदारद क्यो रहा??
ये चैनल सोचते हैं की हम जिसे दिखाते हैं, वही खबर है। और आपने उस भरम को तोड़ दिया है। विनीत जी बरखा दत्त की 'खबर' लेने के लिए आपको दिल से मुबारक बाद। आपके हौंसले को सलाम। बरखा हसीब दारबू की तरह एक और दलाल है राजदीप सरदेसाई। अब इन गदारों और मीडिया के कलंको को बेनकाब करने का वक्त आ गया है।