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मां किसी-किसी मर्द को मौगा कहती

Posted On 6:55 am by विनीत कुमार |


पिछले साल मदर्स डे पर मैंने लिखा- मां की बातें और मां की बातों का अंत नहीं है। लेकिन इतना तो जरुर है कि अगर मां को सिर्फ भावुक न होकर, तर्क पर, किताबी ज्ञान और डिग्रियों की गर्मी को साथ रखकर भी याद करुं तो भी मां से लगाव में रत्तीभर भी कमी नहीं आएगी। मेरी बात रखने के लिए वो हां में हां मिला भी दे तो भी चीजों को देखने और समझने का उसका अपना नजरिया है, न जाने कितने मुहावरे हैं, जिसे विश्लेषित करने के लिए मुझे न जाने कितने वाद पढ़ने पड़ जाएं और कितनी किताबों के रेफरेंस देने पड़ जाएं।(
अतरा में पतरा नहीं खोलेगा मेरा बेटा।) इस साल मैं चाहता हूं कि उन शब्दों औऱ मुहावरों को याद करुं जो कि दिल्ली में रहते हुए अक्सर याद आते हैं,मौके-बेमौके उन्हें इस्तेमाल करने का मन करता है लेकिन शहरीपन के दबाब में जीने के कारण फिर रुक जाता हूं।

मां द्वारा प्रयोग किए गए शब्द/पद , मूल अर्थ और मेरी टिप्पणी


1. जौरे-साथे रहनाः किसी के साथ अफेयर होना-मां प्रेम,प्यार,लव या अफेयर जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करती, ऐसा करते हुए उसे संकोच महसूस करती।

2. लेडिज गंजीः ब्रा-शर्म के मारे वो ब्रा नहीं बोल पाती।

3. दूध में दू दाना चौर डालनाः खीर बनाना- आमतौर पर घर में जब खीर बहुत तैयारी से नहीं बनायी जाती तो मां खीर की इज्जत रखते हुए इसे खीर नहीं कहती।


4. अनपढ़वा आदमी को बूढ़बक बनानाः अनपढ़ इंसान को बेबकूफ समझना-इस शब्द का प्रयोग वो अपने लिए करती

5. कोढ़ा-कपार उठाकर ले आनाः फालतू चीजें खरीद लाना-आमतौर वो खिलौने,सीटी,बाजा जिससे नाश्ते के बाद उससे सोने में खलल पड़ती हो

6. जया भादुड़ीः नाटी लड़कियां-उन लड़कियों के लिए जो नाटी होती हुई भी इधर-उधर इतराती फिरती

7. कुलबोरनीः कुलच्छनी,बदचलन- इस शब्द का वो अर्थ संकुचन कर देती है क्योंकि कोई लैंप का सीसा फोड़ दे, तेल की शीशी गिरा दे तो भी कुलबोरनी है


8. सिहकी पदलकै आदी गुड़ बंटलकैः डींग मारनेवाली औरतें- जो औरतें छोटी-छोटी बातों को भी बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताती।

9. खपतानः बदमाश- छोटे बच्चे जो निगरानी न करने की स्थिति में काम बिगाड़ देते हैं।

10. भीतरघुन्ना/ भीतरघुन्नी/गुम्माहुड़ारः अपनी बात मन में रखनेवाले लोग- जो लड़का या लड़की उपर से कुछ और भीतर ही भीतर कुछ और सोचते रहते।

11. करेजा दू टुकरी या छलनी कर देनाः मन को चोट पहुंचाना- पापा द्वारा कहे गए वो शब्द जिसे लेकर वो घंटो सोचा करती और कहती इ आदमी करेजा चुकरी करनेवाली बोत बोलकर गए।

12. नेमान होना या करनाः किसी चीज को पहली बार खाना या चखना- ये मूलतः खाने-पीनेवाली चीजों के लिए इस्तेमाल करती और खासतौर से जो मौसमी फल या मिठाइयां होती

13. गेंदरा के सुत्तल गेंदरा नहीं रहनाः चालाक हो जाना- घर के पुराने कपड़ों से बच्चों के सोने के लिए बिस्तर बनाए जाते। मां किसी के बचपन को याद करते हुए जबकि वो नंग-धडंग पड़ा होता,कहती अब वो चालाक हो गया है।

14. अचरा का हवा लग जानाः पत्नी की के इशारे पर चलना- जब किसी लड़के की नई-नई शादी होती है और वो घर से झाड़कर पत्नी के साथ सिनेमा या शॉपिंग के लिए जाता है या फिर पत्नी के पक्ष में बात करने लग जाता है,ऐसे समय में मां इसका प्रयोग करती।

15. मर्द नहीं मौगा या मौगमेहरा होनाः औरतों की बातों में रुचि लेना- मां इसे बहुत बड़ा अवगुण मानती है,मेरे एक फूफा का उदाहरण देकर हुए कहती है- वो मर्द नहीं मौगा हैं।

16. पेट काटनाः बचत करना- अपने उन बुरे दिनों को याद करने के क्रम में जब उसने बचत करके मुझे पब्लिक स्कूल में पढ़ाया

17. निमला पइयो हाड़-गोड़ चिबईयोः कमजोर को सब सताता है- खासकर मेरे लिए इसका प्रयोग करती जब घर के सारे लोग मुझे छोटा और कमजोर जानकर परेशान करते

18. दीदा में पानी नहीं रहनाः शर्म नहीं आना- उस पीढ़ी के लिए जो मां-बा के बहुत करने पर भी सब भूल जाते हैं

19. अरझो-परझो मारनाः अप्रत्यक्ष तौर पर कहना- जब बात किसी और से कही जा रही हो और किसी और के लिए कहना हो

20. कैफट्टा,भुजगल्लाः जिसकी काया या शरीर फट जाए- एक तरह की गाली जो हमलोगों को मारनेवाले लोगों के लिए इस्तेमाल करती लेकिन घर के लोगों के लिए नहीं, मोहल्ले के उन लोगों के लिए जिनसे अपनी दुश्मनी होती

अब ये कहना कि मां याद आती है बकवास बात होगी। ऐसा कौन सा दिन होता है जब मां याद नहीं आती या फिर ऐसा कौन सा दिन होता है जिस दिन बात नहीं होती। लेकिन इस विशेष मौके पर मैं उसे याद करने से ज्यादा उसके शब्दों को, उसकी अभिव्यक्ति को याद करता हूं जो मुझे अक्सर एहसास कराती है कि हमसे दूर होने पर तुम पूरे एक शब्दकोश से महरुम रहते हो।
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9 Response to 'मां किसी-किसी मर्द को मौगा कहती'
  1. Udan Tashtari
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241926020000#c2143737169194956267'> 10 मई 2009 को 8:57 am बजे

    इस मौके पर:

    मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.

     

  2. अनूप शुक्ल
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241928900000#c8955873527074744678'> 10 मई 2009 को 9:45 am बजे

    सुन्दर। शुक्रिया इसे पढ़वाने के लिये। मातृ दिवस की शुभकामनायें।

     

  3. राजकुमार ग्वालानी
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241935800000#c1504654620943515288'> 10 मई 2009 को 11:40 am बजे

    मां तूने दिया हमको जन्म
    तेरा हम पर अहसान है
    आज तेरे ही करम से
    हमारा दुनिया में नाम है
    हर बेटा तुझे आज
    करता सलाम है

     

  4. Vinay
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241944740000#c8263136884477456905'> 10 मई 2009 को 2:09 pm बजे

    मातृ दिवस पर ऐसा लेख पढ़ना एक अच्छा अनुभव रहा, शुभकामनाएँ

     

  5. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241945160000#c4396622540691278937'> 10 मई 2009 को 2:16 pm बजे

    सुन्दर प्रस्तुति,
    मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।

     

  6. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241945160001#c8684238615810811738'> 10 मई 2009 को 2:16 pm बजे

    सुन्दर प्रस्तुति,
    मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।

     

  7. PD
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241946120000#c18809507402569883'> 10 मई 2009 को 2:32 pm बजे

    lagta hai aapki likhavat pahchanne laga hun.. bas topic dekh kar hi samajh gaya tha ki ye aap hi honge.. :)
    bahut badhiya likhe hain.. shayad har ghar me kuchh aise hi shbdon ka prayog hota hi hai.. jaise meri mummy "झांप-तोप करना" bahut use karti hai.. jiska matlab hota hai "baadal ka aana jana, jo kabhi bhi baarish kar sakta ho.."

     

  8. राजीव जैन
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1241953560000#c1192552658589079691'> 10 मई 2009 को 4:36 pm बजे

    बहुत मेहनत करते हैं विनीतजी पोस्‍ट लिखने में

     

  9. जितेन्द़ भगत
    https://taanabaana.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html?showComment=1242209100000#c832983586861978543'> 13 मई 2009 को 3:35 pm बजे

    अच्‍छे मुहावरे जुटाए आपने, भाषा वैज्ञानि‍कों के लि‍ए भी अच्‍छी सामग्री है यहॉं।

     

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