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गुरु नहीं सिर्फ लव चाहिए

Posted On 3:00 pm by विनीत कुमार |

वो रेडियो जॉकी है, लवगुरु है। प्रेम और अफेयर में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने का काम करता है। उन्हें बताता है कि मुश्किल दिनों में क्या करे, उलझन से उबरने के लिए क्या करे। लेकिन आज यही लवगुरु परेशानी में है। पिछले एक महीने से वो इतना परेशान है कि अंत में उसे पुलिस की शरण लेनी पड़ गयी। वो अब उन सब चीजों से बचना चाहता है जिसे की प्रोफेशन के दौरान जीता रहा।
ये रेडियो जॉकी है बिग 92.7 एफएम का अनिरुद्ध एलएलबी। इसकी परेशानी है कि इसके पीछे पिछले एक महीने से एक लेडी डॉक्टर लिस्नर पड़ी है। वो दिनभर उसे फोन करती है, एसएमएस करती है और उसका जीना हराम कर दिया है। शुरुआत में तो इस लवगुरु ने उसे बहुत समझाया कि आप ऐसा न करें लेकिन इस बात का कोई भी असर उस डॉक्टर पर नहीं हुआ। उस लिस्नर ने इस लवगुरु का जीना हराम कर दिया और अंत में उसे पुलिस की शरण लेनी पड़ गयी।
बात ये हुई कि लवगुरु पिछले एक महीने से किसी दूसरे काम में फंसे हुए हैं। ऑफिस से उन्होंने छुट्टी ले रखी है। इसलिए इस बीच उनके फैन्स उन्हें बेसब्री से खोजते-फिर रहे हैं। उनके बारे में जानना चाह रहे हैं। कई लोग तो खोजते-खोजते ऑफिस तक आ गए जिसमें ये डॉक्टर लिस्नर भी हैं। लवगुरु ने बताया कि मीडिया के किसी भी व्यक्ति का नं लेना मुश्किल नहीं होता सो अंत में उसे भी मेरा नंबर मिल गया और उसके बाद तो.......। लवगुरु के लाख समझाने के बाद इस लिस्नर का एक ही जबाब है- मुझे गुरु नहीं लव चाहिए।

मीडिया जब अच्छी-खासी भाषा को, लोकप्रय मुहावरों को तोड़ती-मरोड़ती है तब हम नाराज होते हैं। शब्दों के भीतर नए अर्थ भरे जाने पर आपत्ति दर्ज करते हैं लेकिन मीडिया की इसी नयी भाषा के साथ जब ऑडिएंस जीना शुरु कर देते हैं, उसे अपने फायदे के हिसाब से तोडते और समझते हैं तो एक नया सौंदर्य पैदा होता है।ऑडिएंस को परेशानी नहीं होती, कम्फर्ट फील होता है कि चलो हमने मीडिया के हिसाब से भाषा का प्रयोग करना सीख लिया। लेकिन मीडिया की अपनी ही इस भाषा से एलएलबी जैसे जॉकी को परेशानी होने लगती है।
एलएलबी एक सीरियस शब्द है। आज भी अगर आप कहें कि वो एलएलबी कर रहा है तो उससे एक गंभीर और पढ़ाकू किस्म के इंसान की छवि बनती है। इस लवगुरु ने इस शब्द के अर्थ को रिप्लेस कर दिया और ये शब्द जितना ही गंभीर था उसे उतना ही कैजुअल और फंकी बना दिया। अब एलएलबी का मतलब है- लव, लड़कियां और बॉलीवुड। इन तीनों शब्दों के संदर्भ को अगर समझे तो मतलब साफ है कि सिर्फ मस्ती की बातें होंगी और जिन चीजों से मस्ती में रुकावटें आती हैं, उनकी बाते होगी। कानून पढ़नेवाले लोग कह सकते हैं कि मेरे प्रोफेशन के शब्द का कबाड़ा कर दिया। चाहें तो मान-हानि का भी दावा कर सकते हैं लेकिन यहां तो यही अर्थ है।

इसके साथ ही गुरु शब्द भी अपने आप में गंभीर अर्थ रखता है। गुरु का एक अर्थ गंभीर भी है। लेकिन एफएम के सारे चैनलों पर लवगुरु या डॉक्टर लव मौजूद हैं। क्योंकि जब रिश्ते बन जाएं वहम तो जरुरत है डॉक्टर लव की। पॉपुलर मीडिया में कौन से शब्दों का प्रयोग कहां होगा,यह तय कर पाना मुश्किल है। हां अगर पॉपुलर कल्चर के मिजाज को समझ रहे हैं तब आपको इस बात का ज्ञान होने लग जाएगा कि किस शब्द का प्रयोग माध्यम को पॉपुलर बनाने के लिए किया जा सकता है।

अब देखिए न, एमएमएस बोलते ही हमारे कान खड़े हो जाते हैं। हमें लगने लगता है कि जरुर कोई देशी पोर्न हाथ लगनेवाली है। हम इस पर अतिरिक्त एटेंशन देते हैं। इसलिए जब रितु बेरी एमएमएस सुनते हैं तो सबकुछ छोड़-छाड़कर उधर खींच जाते हैं। बाद में जब पता चलता है कि यहां एमएमएस का मतलब महा,महासेल है तो ठगे जाते हैं. अच्छी-खासी डिस्कांउट की बात जानने पर भी हमें लगता है कि हम झले गए हैं।
शुरुआत में अगर हम इस तरह के शब्दों को सुनते हैं और पॉपुलर माध्यम के जरिए उसका अर्थ पाते हैं तो हमें लगता है कि हम उसमें छले गए हैं, हमारे साथ धोखा हुआ है। एक तपका इस बात का विरोध करने लग जाता है कि ऐसे कैसे शब्दों के साथ खिलवाड़ किया जा सकता है. लेकिन, इसके साथ ही एक बड़ी सच्चाई है कि एक तपका तेजी से पनप रहा है जो सबकुछ में एडजस्ट कर लेता है। औऱ न सिर्फ एडजस्ट कर लेता है बल्कि उसी के हिसाब से भाषा-प्रयोग और अर्थ ग्रहण करने लग जाता है जिसे कि हम मास सोसाइटी कहते हैं। डॉक्टर लिस्नर भी उसी मास सोसाइटी से आती है।

लेकिन मजे की बात देखिए कि जब यही मास सोसाइटी मीडिया द्वारा बनाए या बिगाड़े गए शब्दों का इस्तेमाल करने लग जाती है, उसी के बताए टिप्स के अनुरुप जीना शुरु करती है तो मीडिया को कितनी परेशानी होने लग जाती है.
फिलहाल एलएलबी ने अच्छी बात कही है वो है कि हालांकि उन्होंने राहत के लिए पुलिस का सहारा लिया है लेकिन वो नहीं चाहते कि उस लिस्नर पर कोई कारवाई हो। आखिर वो उसकी फैन है।
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6 Response to 'गुरु नहीं सिर्फ लव चाहिए'
  1. डा० अमर कुमार
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post.html?showComment=1214997720000#c3261633481316286049'> 2 जुलाई 2008 को 4:52 pm बजे

    यही तो तरीका है, लतिहड़ और भ्रष्ट बनाने का !

     

  2. नीलिमा सुखीजा अरोड़ा
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post.html?showComment=1215001260000#c6391843434870127361'> 2 जुलाई 2008 को 5:51 pm बजे

    yahi to ai virtual world lekin jab ye reality mein badalta hai to badaa dukhdaayi ban jata hai

     

  3. राकेश जैन
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post.html?showComment=1215005280000#c5692198813451507682'> 2 जुलाई 2008 को 6:58 pm बजे

    yah to sach hai ki private media sirf bechna janta hai shayad, samaj ko kya chahiye yah secondary target hai shayad, aur hum jaise yuva bhi fame ke lie isi dhara ke pani ho jate hain, mehsoos tab hota hai jab pata chalta hai, ki meri ganga hi maili ho gai, aur ye hota zurur hai..kyunki abhi kalyug pratham charan main hi pahuncha hai..

     

  4. सतीश पंचम
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post.html?showComment=1215019320000#c4652874906463015089'> 2 जुलाई 2008 को 10:52 pm बजे

    Yes, People try to imitate themself according to media hype n heroism, but don't accept that it is a part of gimmick......Nice post.

     

  5. Udan Tashtari
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post.html?showComment=1215032880000#c1241389881523928185'> 3 जुलाई 2008 को 2:38 am बजे

    सहमत हूँ आपकी बात से.

     

  6. tarun
    https://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post.html?showComment=1215064860000#c939069231963134717'> 3 जुलाई 2008 को 11:31 am बजे

    pyar me deewangi ka aa jaana koi zyaada badi ghatna nahi,naahi ye koi badi baat hai ki koi fan kisi ke liye crazy ho jaye.haan is baare me ek baat jaan leni behad zaruri hai wo ye ki yahi anirudh sahab the jo dilli ki ladkiyo ko 'HAAYE AAYEHAAAYE HAAYE KE SAATH MUUAAAAAAH' ke sath sambodhit karte the.halaanki ki rakio par inko doctorlove ki tarz par rakha gaya tha.inka kaam tha love advice dena.lekin jin logo ne inhe suno hai un logo ke muh se yahi nikla ki anirudh(LLB)kuchh zyaada hi exited jaan padta hai.aaj agar unke fans exited ho rahe hai ya unke liye crazy ho rahe hai to unke pareshan hone par hairat zarur hoti hai.unhe in cheezo ka aadi ho jaana chahiye tha.khair ye kehna zaruri hai ki chahe radiyo par programme host karne wale ho ya listener sabko apni limit me rehna zaruri hai.f.m gold aur fm.rainbow iska achchh udahran kahe ja sakte hai.

     

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