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बाजा में भी भोटिंग बिरजू

Posted On 4:15 am by विनीत कुमार |

मौज में था,शोरुम से निकलते हुए कमोवेश चिल्लानेवाले अंदाज में बोलने लगा- हमसे जो टकराएगा
म्यूजिक में मिल जाएगा....
और इसी को बार-बार दोहरा रहा था। तभी बाहर शोरुम की निगरानी करनेवाले गार्डसाहब ने पूछा,भइया दिल्ली में कौनो इलेक्सन हो रहा है जो आप ऐसे चिल्ला रहे हैं, अंदर मालिक ने चंदा देने से मना कर दिया का। मैंने कहा, नहीं भइया ऐसी कोई बात नहीं है। तो फिर जब इलेक्सन गुजरात में है तो माफ कीजिएगा बाबूजी छोटी मुंह बड़ी बात, लेकिन आप दिल्ली में काहे चिल्ला रहे हैं। बंदे का कहना एकदम सही था।
मैं भी यही सब सोच रहा था जब इधर फिर से एफ.एम. रेडियो सुनना शुरु किया तो। रिसर्च के दौरान खूब सुना करता था लेकिन अब सुनने से ज्यादा काम देखने का हो गया तो छूट गया था। इस डेढ़ साल में काफी कुछ बदल गया है एफ.एम. और कई जॉकिज इधर-उधर चले गए। कई नए चैनल्स भी आए। मैं जो चिल्ला रहा था हमसे जो टकराएगा, म्यूजिक में मिल जाएगा, एक नए चैनल से ही सीखा।
फीवर 104 एक नया चैनल है जिसमें आजकल म्यूजिक इलेक्शन चल रहा है, जहां आप कोई गाना पसंद कीजिए और उस पर दिल्ली की जनता यानि ऑडिएंस से वोट मांगिए औऱ ज्यादा वोट मांगने पर आपको ढेरों इनाम मिलेंगे।...तो बोलिए--
हमसे जो टकराएगा, म्यूजिक में मिल जाएगा।
जीतेगा भाई जीतेगा, अपना म्यूजिक जीतेगा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई
म्यूजिक है सबका भाई।
म्यूजिक इलेक्शन जिंदाबाद
जिंदाबाद, जिंदाबाद।।।
जॉकिज आपको एहसास कराता या कराती है कि आपने सारेगम में वोट दिया क्या मिला, व्ऑइस ऑफ इंडिया में वोट किया क्या मिला। मतलब सोमेधा और ऑनिक को वोट देकर अपना कटाए ही तो। कल को चैनल ये भी कह सकता है कि गुजरात और दिल्ली के लिए वोटिंग करके आपको क्या मिल गया। यहां वोट कीजिए, यहां आपको मिलेंगे ढेरों इनाम।
ये मौका वाकई में देश के उन बुद्धिजीवियों और मिडिल क्लास के लिए है जो वोटिंग तो खून-खराबे और भगदड़ मचने की डर से नहीं जाते और सरकार बनने के बाद सबसे ज्यादा ऑथेंटिक रुप से बात करते हैं। नेताओं के लिहाज से ये फालतू जनता है, बकवास है, कचरा है, आप इससे वोट नहीं उगाह सकते। पढ़ने-लिखने और बहस करनेवालों के लिए भले ही ये मतलब के आदमी हैं लेकिन हमारे लिए खर-पतवार हैं।नेताओं के लिए ये रिजेक्चेड माल हैं।
अब देखिए मनोरंजन की दुनिया में अगर भारी पूंजी शामिल हो जाए जिसे कि एडोर्नो ने कल्चर इंडस्ट्री कहा है तो समाज की सारी रिजेक्टेड चीजें काम में आ जाएंगी। जैसे यहां नेताओं के रिजेक्टेड लोगों को काम में लाने का काम फीवर 104 कर रहा है।
इस तरह के सारे चैनल इस क्लास को ढांढस देते हैं कि तुम चिंता किस बात की कर रहे हो, नेता भले ही न माने तुम्हें वोटर, तुम्हें बिना खून-खराबे की वोटिंग करने का शौक है न, हम देते हैं तुम्हें मौका। बस उठाओ अपना मोबाइल और टाइप कर दो हमारे बताए नंबर पर। पैसे की ताकत जब तुम्हारे पास है तो कौन सा मजा और शौक अधूरा रह जाएगा भाई।
और देखिए कि राजनीति के लिए वोटिंग के बरक्स कैसे पूरी मनोरंजन की दुनिया में वोटिंग कल्चर स्टैबलिश हो गया है। तो इसे कहते हैं पूंजी की ताकत और कल्चर का इंडस्ट्री में बदल जाना, जहां सारी चीजें शॉफ्ट होगी, किसी चीज के लिए मार-काट नहीं होगी और जिस सिस्टम में आप फिलहाल जी रहे हो उसमें धीरे-धीरे मितली आनी शुरु हो जाएगी। इसलिए सिस्टम को गरियाने का विकल्प चारो तरफ है, बस एक नजर दौड़ाकर लपकने भर की देरी है।
लेकिन संतों यहां गच्चा खाने का काम नहीं है, म्यूजिक पर बात करके जितना इनोसेंट ये सब कुछ लगता है, क्या मामला ऐसा ही है या फिर नंदीग्राम से तसलीमा पर ला पटकने का खेल यहां भी जारी है।
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