मूलतः प्रकाशितः तहलका
स्टार प्लस
का नया शो जूनियर मास्टर शेफ एकबारगी आपको उम्मीद जगाता है कि इस देश के बच्चे
सिर्फ मैगी और नॉर सूप से पेट नहीं भरते बल्कि खुद भी हाथ जलाकर खाना बनाना जानते
हैं. समाज का एक बड़ा वर्ग जो इन्हें पिज्जा-बर्गर जेनरेशन कहकर दुत्कारने का काम
करता है, उन्हें इस शो से गुजरने के बाद ऐसे जुमले इस्तेमाल करने के पहले संभलना
होगा.
रियलिटी शो
देखने के दौरान जो सास-बहू सीरियलों का रोना-धोना मिस करते हैं, उन्हें ये शो
निराश नहीं करेगा. चैनल ने वक्त-वेवक्त दर्शकों के आंसू छलक जाने के भरपूर इंतजाम
किए हैं. अपनी इसी कोशिश में उसने 12 साल के सिद्धार्थ जैसे प्रतिभागी को भी शामिल
किया गया है जो अपनी मां के साथ इडली,सांभर बड़ा और शेक के ठिए संभालने का काम
करता है. जिसके पिता के बारे में पूछते ही नहीं है के साथ वही सब शुरु हो जाता है
जो सारेगम लिटिल चैम्पस, इंडियन आयडल जूनियर जैसे रियलिटी शो का पैटर्न बन चुका
है.
लेकिन इन
तमाम कोशिशों के बीच चैनल का ध्यान देश के उस बाल श्रम कानून की तरफ नहीं गया
जिसके अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चों से न केवल काम लेना अपराध है बल्कि
प्रोत्साहित और ग्लैमराइज करना भी. देश में न जाने कितने लाख ऐसे बच्चे हैं जो
छोटू बनकर चाय, बर्गर,पैटिज सर्व करते और देर होने पर ग्राहक की लताड़ झेलते हैं.
ऐसे में चैनल को चमकाने और सीएसआर के लिए सिद्धार्थ जैसे एकाध चेहरे को शामिल करके
चैनल हम दर्शकों और उन पर क्या एहसान कर रहा है, हम समझ सकते हैं.
दूसरी तरफ साभ्रांत
बच्चों की ऐसी खेप है जो यहां नहीं होते तो किसी और रियलिटी शो में होते, गिटार
बजा रहे होते, डांस क्लास ज्वायन कर लिया होता. उनके लिए खाना बनाना न तो किसी
मजबूरी, न ही आदत और न ही रोजी-रोटी का हिस्सा है. वो स्क्रीन पर देखकर ही साफ झलक
जाता है. उपर से जजों के जो कमेंट दिए जा रहे हैं, वो उन्हें उसी तरह निराश करते
हैं जैसा कि किसी दूसरे रियलिटी शो की परफार्मेंस के दौरान. चैनल का ये तर्क हो
सकता है कि ऐसे शो के जरिए वो बच्चों के बीच कुकिंग के प्रति चार्म पैदा करने का
काम कर रहा है लेकिन जिस निजी चैनल और टेलीविजन ने पिछले बीस-पच्चीस साल से बच्चे
को एक गिलास पानी तक उठाने का शउर नहीं सिखाया, वो अब अचानक से बाकायदा खाना बनाने
की प्रतियोगिता करा रहा है, ये स्वाभाविकता पैदा नहीं करता ?
इन दो परस्पर विरोधी बैग्ग्राउंड से आनेवाले बच्चे के बीच इस शो को
देखें तो सास-बहू सीरियल फ्लेवर ज्यादा है. वैसे भी पिछले दस सालों में तमाम
रियलिटी शो ने बच्चों के बीच के बचपन को सोखकर उसे इतना अधिक मैच्योर बना दिया है
कि अब दूसरी किसी भी कलाबाजी और प्रदर्शन की तरह ये आश्चर्य नहीं होता कि दस
साल-बारह साल के बच्चे इतनी बेहतरीन कुकिंग करते हैं.
स्टार-
डेढ़
चैनल-
स्टार प्लस
समय-
शनि-रवि, रात 9 बजे
https://taanabaana.blogspot.com/2013/09/blog-post_8.html?showComment=1378618503103#c945694282187281693'> 8 सितंबर 2013 को 11:05 am बजे
इस पर किसी का ध्यान जाता नहीं, भावनात्मकता प्रधान समाज के यही तथ्य होते हैं।
https://taanabaana.blogspot.com/2013/09/blog-post_8.html?showComment=1378624625210#c6602644081610039730'> 8 सितंबर 2013 को 12:47 pm बजे
खरी बात!
https://taanabaana.blogspot.com/2013/09/blog-post_8.html?showComment=1378692650144#c8223915365831778523'> 9 सितंबर 2013 को 7:40 am बजे
दुरुस्त बातें ............
https://taanabaana.blogspot.com/2013/09/blog-post_8.html?showComment=1378698390135#c7942834845329202531'> 9 सितंबर 2013 को 9:16 am बजे
गंभीर मुद्दा .सोचने वाली बात है .
https://taanabaana.blogspot.com/2013/09/blog-post_8.html?showComment=1378724193930#c511909822548309452'> 9 सितंबर 2013 को 4:26 pm बजे
सुना है इस कार्यक्रम में एक बेक स्टेज टीम भी है. जो प्रतियोगियों को सिखाने के लिए रखी गई है, पर सच यह है कि पूरी की पूरी डिश ही यह लोग बनाते हैं, और प्रतियोगी सिर्फ कैमरा के सामने नाटक करते हैं.
बाकी सब चयन और एलिमिनेशन एक तरह की राजनीति ही है
जब व्यस्क प्रतियोगियों का यह हाल है तो इन छोटे छोटे बच्चों के मामले में क्या कहा जाए. सच में सास बहू के सीरियल से भी गया गुजरा लगता है अब तो.