26/11 के जिन शहीदों की तस्वीरों को देखकर उनके बच्चे,पाल-पोसकर बड़ा करनेवाली माएं और उनकी विधवा हो चुकी पत्नी अब भी बिलख रही हैं,देश का तथाकथित संभ्रांत समाज उन तस्वीरों के शराब के मग पर छापे जाने से खुश है। वो उस मग में में बीयर और शराब पीकर उन्हें याद कर रहा है। ये अलग और नए किस्म से शहीदों को याद करना है। इसके लिए उन्हें तीन सौ रुपये देने पड़ रहे हैं। एनडीटीवी इंडिया ने मुंबई के लियोपोल्ड कैफे की इस पहल का विरोध करने के बजाय सराहा है। शिव सेना के खिलाफ स्टोरी एंगिल लेने के चक्कर में इसके खिलाफ एक लाइन भी बोलना-बताना जरुरी नहीं समझा।..और तो और उसके पक्ष में कसीदे पढ़ने का काम किया।
शराब के लिए ड्रिंक मग पर 26/11 के चिन्हों और शहीदों की फोटो छापे जाने और तीन सौ रुपये पैग बेचे जाने पर शिव सैनिकों ने एक बार फिर हंगामा किया। मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमले में मुंबई का लियोपाल्ड कैफे भी हमले का शिकार रहा है। उसकी दीवारों पर आज भी आतंकवादियों की गोलियों के निशान मौजूद है। मैनेजमेंट उसे याद के तौर पर बचाकर रखना चाहता है। इसी क्रम में उसने ड्रिंक मग के पर इस घटना के कुछ चिन्ह प्रिंट करवाकर ग्राहकों के लिए उपलब्ध करवाए। टेलीविजन फुटेज पर कोका कोला के डिश पेपर के उपर रखे ये मग धमाके और खून के धब्बे के तौर पर दिखाई दे रहे थे। शिव सैनिकों ने इसका विरोध इस आधार पर किया कि रेस्तरां याद के नाम पर शहीदों की शहादत को भुनाना चाह रहा है। उसका भी बाजारीकरण किया जा रहा है। जाहिर है ये देश की संस्कृति के खिलाफ है। ये संभव था कि अगर शिव सेना इस पर विरोध नहीं जताती और मीडिया से जुड़े लोगों ने इसकी नोटिस ली होती तो वो भी इससे असहमति जताते हुए इसके खिलाफ स्टोरी बनाते,दिखाते।
लेकिन एनडीटीवी इंडिया में सात बजे के शो में पहले एंकर रुचि डोंगरे ने इसे चुनावी हार की बौखलाहट से जोड़कर दिखाया,बताया उसी बात को विनोद दुआ ने अपने खास कार्यक्रम विनोद दुआ लाइव में भी इसी अंदाज में पेश किया। उन्होंने तो इस हमले का ऐतिहासिक विकासक्रम बताते हुए विधान सभा हंगामा,एक निजी चैनल पर हमला तक ले गए। स्थिति साफ है कि शिव सेना अब चाहे जो कुछ भी कर ले,जिस भी मुद्दे की बात कर लें,मीडिया उसके खिलाफ आग उगलने का फार्मूला गढ़ लिया है। मीडिया का ऐसा करना जरुरी भी है क्योंकि जब तो वो विरोध के तरीकों में बदलाव नहीं लाती है,उसका विरोध करना अनिवार्य है। शिव सेना ने इतिहास से कुछ भी नहीं सीखा। मीडिया और कांसीराम के प्रकरण को कभी याद नहीं किया कि मीडिया से पंगा लेने का क्या अंजाम होता है? लेकिन एक सवाल तो बनता ही है कि क्या एनडीटीवी इंडिया जैसा चैनल लियोपोर्ड के इस तीन सौ रुपये के पैग और मग का विरोध इसलिए नहीं करता कि वो शिव सेना को उत्पाती दिखाना चाहता है? अगर उसने भी इसके विरोध में एक लाइन भी कहा होता तो शिव सेना के समर्थन में खड़ा नजर आता? मामला चाहे जो भी हो लेकिन लियोपोर्ड का समर्थन इसलिए ज्यादा जरुरी और बाजिब है क्योंकि वो भी वही कर रहा है जो कि चैनल के लोग कर रहे हैं। अपने-अपने स्तर से भुनाने की कोशिश। ऐसे में निष्पक्ष होकर बात करने की गुंजाइश ही कहां बच जाती है?
स्टिल फोटो- पुष्कर पुष्प के सौजन्य से
मूलतः प्रकाशित- मीडिया मंत्र
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https://taanabaana.blogspot.com/2009/11/blog-post_25.html?showComment=1259147024303#c5998715225434558202'> 25 नवंबर 2009 को 4:33 pm बजे
सटीक… NDTV को तो बहाना चाहिये… और वो मिल गया…। रही बात धंधेबाजी की, लियोपोल्ड हो, चैनल हों, ताज हो अथवा आईडिया हो, 26/11 उनके लिये कमाई का साधन है… लानत है ऐसे घिनौने लोगों पर…
https://taanabaana.blogspot.com/2009/11/blog-post_25.html?showComment=1259155283416#c8113384407014439272'> 25 नवंबर 2009 को 6:51 pm बजे
सुरेश बाबू आप के क्यों आग लग जाती हैं ,शिवसेना भी तो शहीदो का नाम अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है,अगर इतना ही देशप्रेम होता तो मराठी मानुस का नारा ना देते, इस बारे मैं भी तो अपनी राय दो, मालूम तो हो आप किसका समर्थन करते हैं? देश प्रेम का या शिवसेना का?
https://taanabaana.blogspot.com/2009/11/blog-post_25.html?showComment=1259165451691#c937655304195657605'> 25 नवंबर 2009 को 9:40 pm बजे
shivsena aur ndtv !!
vinod duwa(ha ha ha ha..)
apse purntah sahmati...
https://taanabaana.blogspot.com/2009/11/blog-post_25.html?showComment=1259254617795#c4693797864460253801'> 26 नवंबर 2009 को 10:26 pm बजे
sir aap kaha hai ?
https://taanabaana.blogspot.com/2009/11/blog-post_25.html?showComment=1264843025593#c2249845595904803030'> 30 जनवरी 2010 को 2:47 pm बजे
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