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.....सिर्फ आजतक पर (1)

Posted On 12:15 pm by विनीत कुमार |

इंडिया 20-20 वर्ल्ड कप जीत गई। इस जीत की खुशी को सारे चैनलों ने दिखाया और पूरी रात तक दिखाएंगे, अभी ये सबसे बिकाऊ खबर है। सारे एंकर और रिपोर्टर से लेकर ट्रेनी तक काफी खुश थे।...कुछ समय के लिए वे भूल गए कि उनकी कितनी बत्ती लगाई जाती है। एंकर और रिपोर्टर तो सारे चैनलों में दिखे और खूब उत्साहित होकर बताते हुए दिखे कि ...कैसे भारत की टीम ने पाकिस्तान की टीम को पटकनी दी।....लेकिन ट्रेनी भी उतना ही खुश था....ये हम कैसे कह सकते हैं..ये सवाल आपके मन में इसलिए उठ रहा होगा क्योंकि या तो आपने उस समय देश के सबसे तेज चैनल को नहीं देखा या फिर देखा भी होगा तो पता नहीं कर पाए होगें कि इसमें कौन-सा बंदा या बंदी ट्रेनी या इन्टर्न है।....वैसे भी ट्रेनी या इन्टर्न में कोई अलग से दुम तो नहीं लगा होता कि आप देखते ही पहचान जाते और जो कि बाद में ट्रेनिंग के दौरान खत्म हो जाता है।....लेकिन यकीन मानिए कुछ ट्रेनी थे....वे भी अपने सीनियर कॉरसपोन्डेन्ट के साथ नाच रहे थे।ये इम्प्रेशन जमाने के लिए कि सर हम टेप इन्जस्ट कराने और शॉट कटाने के साथ-साथ नाच भी सकते हैं, आपका चैनल जितनी तेजी से बदल रहा है हम अपने को उतनी ही तेजी से बदल रहे हैं सर....आप जिस स्टेप पर नाचेंगे, हम भी उस स्टेप पर धमाल मचा देंगे सर। और तो और वे सारे कॉपी डेस्क के लोग, विडियो एडीटर और वो कैमरामैन जो सबकी तस्वीरें तो खींचता है लेकिन खुद कभी तस्वीर की शक्ल में नहीं आता। चैनल की डिक्शनरी में ये अभागे लोग हैं क्योंकि ये दस-दस साल तक काम करते रह जाते हैं लेकिन स्क्रीन पर नहीं आते।..मोटी सैलरी और बाकी चीजें तो अपनी जगह पर है लेकिन कोई भी बंदा जब इलेक्ट्रानिक मीडिया में काम करने आता है तो उसके मन में ग्लैमर तो कमोवेश जरुर होता है।...मैं खुद भी जब ट्रेनी के तौर पर काम करता था तो अक्सर बॉस को अहसास कराते हुए कि मैं टैलेंटेड बंदा हूं, अच्छा बोल सकता हूं, शक्ल भी ठीकठाक है,, कहा करता था कि सर मुझे भी रिपोर्टिंग के लिए भेजा करें और फिर इसमें बुरा क्या है । 16-18 घंटे अगर (8 घंटे बतौर शिफ्ट के नाम पर और बाकी समय सीखने के नाम पर) दे रहे हैं तो हर कोई चाहेगा कि लोग उसके काम के साथ-साथ उसे भी देखें और जाने।...इस लिहाज से जो बंदे शक्ल के कारण, आवाज की वजह से या फिर कोई और कारण से स्क्रीन पर आने से रह गए...उन सबको आजतक ने लाइव दिखाया और वो भी नाचते हुए...इसे कहते हैं आइडिया...बिग कॉन्सेप्ट। जिसके लिए रिपोर्टर हमेश लात-जूते (बात के) खाता है। पचासों मीडियाकर्मी जब एक साथ अपनी-अपनी सीट छोड़कर नाचने लग जाते हैं तो लगता है कि कोई नहीं है व्यस्त, सब हैं मस्त। ये है गधा जनम मिटाने का नायाब तरीका...पूरा आजतक का स्टूडियो क्रिकेटमय हो जाता है।.....अब वो वाला थकेला अंदाज गया कि दूरदर्शन इंडिया की जीत की खबर ऐसे दिखाए कि लगे पढ़नेवाला पाकिस्तान की हार से ज्यादा दुखी है या फिर वो अंदाज कि भई कोई जीते, हमें क्या और वैसे भी हमें तो तटस्थ रहना है।....लेकिन नहीं अब ऐसा नहीं चलेगा, चैनल भी भारत की को सिलेब्रेट करेगा तभी तो ये लाइव चैनल है। चैनल भी खालिस भारतीय है भई...इसे थोडे ही विदेशी नीतियों के हिसाब से चलना है कि वैलेंस बनाकर चले।....कपिल का तो शैम्पेन के बिना गला ही सूख रहा था, सीधा कहा कि कुछ लाओ भाई और पहले जो कुछ भी लिया था, उसी के दम पर बोले कि आज हममे से कोई प्रोड्यूसर के हिसाब से नहीं चलेगा..कोई ब्रेक नहीं होगा और न ही कोई विज्ञापन। आज सिर्फ मस्ती होगी, सिर्फ मस्ती।.....यहां तक तो सारा मामला सही है....सब चकाचक है.....चक दे इंडिया है। लेकिन मान लीजिए कोई हैदराबाद जैसे विस्फोट की खबर हो या फिर कोई हादसे की खबर और इसे लेकर एंकर और मीडियाकर्मी जार-जार रोने लगे, कोई रिपोर्टर बलात्कार की खबर की कवरेज न देकर एफआईआर दर्ज कराने लग जाए तो जरा आप ही बताइए कि इन सारे मीडियाकर्मियों को सिरफिरा घोषित करने में चैनल को कितना वक्त लगेगा।
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2 Response to '.....सिर्फ आजतक पर (1)'
  1. बेनामी
    https://taanabaana.blogspot.com/2007/09/1_24.html?showComment=1190707080000#c5707541325725153446'> 25 सितंबर 2007 को 1:28 pm बजे

    wah veenet wah tumne to bilkul dil ki baat kah di main bhi ye hi sonch rahi thi......tum jyada samajhte ho kyonki tum bhi us stage se gujre ho

     

  2. Sanjeet Tripathi
    https://taanabaana.blogspot.com/2007/09/1_24.html?showComment=1190741160000#c3975043219445000135'> 25 सितंबर 2007 को 10:56 pm बजे

    शानदार!!
    विचारणीय!!

     

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