साथियों, कनकलता के मामले में अखबारों,टेलीविजन चैनलों के अलावा ब्लॉग के जरिए भी आपको लगातार सूचनाएं मिलती रही हैं। आपके सामने सबकुछ स्पष्ट है कि किस तरह से कनकलता के मकान-मालिक और उसके परिवारवालों ने उसकी जाति जान लेने पर कि वो दलित है,कनकलता औऱ उसके भाई-बहनों को बुरी तरह पीटा। कनकलता औऱ उसकी बहन को सामूहिक बलात्कार की धमकियां दी और उसके भाईयों को अपनी बहू के साथ छेड़छाड़ करने के खिलाफ फर्जी केस बनाने की कोशिश की। पुलिस ने भी इनकी शिकायत दर्ज करने के बजाय इसी बात को दुहराया और समझौते कर लेने के लिए दबाब बनाती रही।
आज इस घटना के हुए 45 दिनों से ज्यादा हो रहे हैं लेकिन कनकलता और उसके भाई-बहनों के साथ हुए इस जातीय उत्पीड़न को प्रशासन की ओर से गंभीरता से नहीं लिया गया है। मकान-मालिक और उनके परिवार वाले आज भी बेखौफ घूम रहे हैं। उन पर इस बात का कोई भी असर नहीं हो रहा है कि उन्होंने गैरमानवीय कार्य किया है। उल्टे उनकी दादागिरी बढ़ती ही जा रही है। तभी तो वापस उस घर में सामान ले जाने के लिए गई कनकलता को मकान-मालिक ने साफ कहा कि- आगे से कोई सामान यहां से नहीं जाएगा और कनकलता का आधा सामान आज भी उस 165 नं, घर के दूसरे तल पर बंद है।
घटना के शुरुआती दौर में पुलिस ने बार-बार समझौते के लिए दबाब बनाए और अब भी तेजी से कोई भी कारवाई करने में नाकाम रही है। इसे आप कनकलता को न्याय दिलाने में पुलिस की दिलचस्पी का न होना या फिर दोषी मकान-मालिक को समर्थन देने के रुप में देख सकते हैं।
साथियों,
पुलिस के इस टालमटोल रवैये और मकान-मालिक की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ अब सड़कों पर उतरने के अलावा हमारे पास कोई दूसरा चारा नहीं है। हमनें तय किया है कि कनकलता के पक्ष में हम अपनी आवाज सड़कों पर बुलंद करेंगे। हम कनकलता के पक्ष में अब उन-उन जगहों पर जाकर आवाज उठाएंगे जहां से हमें अब तक न्याय की गारंटी मिलती रही है औऱ जो वक्त के साथ-साथ कोरे आश्वासन में बदलती चली जा रही है। हम मांग करते हैं कि-
ओमप्रकाश ग्रोवर तथा उसके परिवार के सदस्यों पर अनुसूचित जाति/जनजाति(अत्याचार निवारण)अधिनियम 1989 की धारा 3 के तहत अबिलंब मुकदमा दायर किया जाए और उकी त्वरित सुनवायी की जाए।
कनकलता और उसके भाई-बहनों के साथ हुए जातीय उत्पीड़न के मामले को रफा-दफा करवाने में सक्रिय रुप से शामिल मुखर्जीनगर थाने की एसएचओ श्री इंदिरा शर्मा और एसपी. उत्तर पश्चिम चंद्रहास यादव को बर्खास्त किया जाए तथा उनके विरुद्ध अनुसूचित जाति/जनजाति(अत्याचार निवारण)अधिनियम 1989 के धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया जाए
कनकलता और उसके भाई-बहनों के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमा तत्काल वापस लिया जाए।।
आप ब्लॉगर साथियों से अपील है कि आप हमारे इस मिशन में शामिल हो। इस अपील के नीचे नाम सहित टिप्पणी करें, संभव हो तो बताए गए स्थान और समय के मुताबिक आकर हमारा साथ दें। औऱ जो ब्लॉगर साथी समाचार पत्र,न्यूज चैनल या फिर मीडिया के अन्य माध्यमों से जुड़े हैं वो इस पोस्ट को खबर के तौर पर आगे प्रसारित करें।
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http://taanabaana.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html?showComment=1213733700000#c7896937697916203013'> 18 जून 2008 को 1:45 am बजे
vastav men koyee bhee is bat par dhyan nahee deta ki yah JATI shabd kahan se aaya ? Yah sanskrit shabd Gyati se aaya yah uska apbhransh hai is ka arth eak vanshavali ke vanshaj jo eak hee prakar kee jeevan vrati se judhe hote hain.
http://taanabaana.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html?showComment=1213769040000#c8368935518340473853'> 18 जून 2008 को 11:34 am बजे
yeh samay jaati ka arth ya uski paribhaash jaanne ka nahi.yeh samay hai anyaay ke khilaf aawaz buland karne ka.vineet sir is sambandh me suchna mujhe pehle bhi mil chuki hai lekin tab bhi is apeal ko aage badhane aur apni batchmate ke saath hui badsaluki ke khilaf aawaz uthane ki hamari koshish pehle bhi jaari thi aur aage bhi jaari rahegi.
http://taanabaana.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html?showComment=1213783140000#c8114482847425399675'> 18 जून 2008 को 3:29 pm बजे
विनीत जी, मैं आपसे पूरी अरह से सहमत हूँ. अब समय आ गया है कि ब्लॉगर सड़क पर आयें. वैसे, कलकत्ते की कौन सी सड़क पर उतरेंगे आपलोग? पूर्व सूचना मिलने पर मैं भी सड़क पर आ सकूंगा.
http://taanabaana.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html?showComment=1213803900000#c1967709479135905656'> 18 जून 2008 को 9:15 pm बजे
मैं आप के साथ हूँ। कोई भी आदेश दीजिएगा।