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सिस्टम आपको फ्रशट्रेट करती है

Posted On 1:58 pm by विनीत कुमार |

लोगों के चारों तरफ से घेर लेने के बाद भी अंत-अंत तक अपनी बात कहने की कोशिश करता रहा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हमें यह लिखना ही था कि हमसे गलती हुई है और हम लिखित माफी मांगे। मैंने कहा- चलो बाहर निकलते हैं, कागज-कलम लेने। मैं बाहर भी गया तो लोग मुझे चारों तरफ से घेर हुए थे। मैं अपने दोस्त मुन्ना के पास गया और नीचे की ओर उतरने लगा। मुझे इस बात का बार-बार मलाल था कि जिस बंदे को मैंने एम.फिल् में बताया कि ऐसे काम करो, जिस बंदें को अपनी असुविधा को नजरअंदाज करते हुए रात-रातभर टीवी इस्तेमाल करने दिया, आज वही मुझसे तू-तड़ाक में बात कर रहा है और मेरा पार्टनर इतना गिरा हो सकता है कि वो सब कुछ तय होने के बाद इस तरह से लोगों को मेरे खिलाफ इकट्ठा हो जाएगा। मुझे गहरा सदमा लगा, मेरे पेट में अचानक तेज दर्द शुरु हुआ और मैं बेहोश हो गया। जब नींद खुली तो मैंने अपने को अपने कमरे में पाया. मैं तब रो रहा था, बहुत जोर से, इतने जोर से कि मैं कुछ कह नहीं पा रहा था, स्टोन का दर्द जानलेवा होता है. मैं किसी भी तरह से अपने को रोक नहीं पा रहा था। मुन्ना ने राकेश सर को फोन लगा दिया था और उनके बार-बार पूछने पर भी कि क्या हुआ, मैं बता नहीं पाया। अंत में दस मिनट के भीतर राकेश सर खुद मेरे पास आ गए. मुझे अपने साथ घर ले गए और रात भर उन्हीं के पास रहा। इस बीच पार्टनर का दो-तीन बार फोन आया और बार-बार यही कहता रहा कि विनीत से बोलिए कि वो लिखकर दे दे कि उसने कमरे में किसी को भी शराब पीते हुए नहीं देखा है, उसे गलतफहमी हुयी है। राकेश सर ने बताया-वो सो रहा है उसकी तबीयत ठीक नहीं है।वार्डन को जब इन सारी बातों की जानकारी हुई तो उन्होंने उन चौदहों-पन्द्रहों के खिलाफ शिकायत लिखने को कहा। मैंने कहा-सर मेरा सिर्फ कमरा बदल दीजिए, बाकी मैं पहले से ही परेशान हूं। इनके खिलाफ शिकायत करके मैं और परेशान हो जाउंगा। वार्डन अपनी बात पर अडे रहे। मुझे मुन्ना की हालत याद हो आयी। नबम्बर की ठंड में उसे दस-बारह लोगों ने घेरकर मारा था, रात के तीन बजे लाकर हॉस्टल के आगे छोड़ दिया था। कई दिनों तक वो इससे उबर नहीं पाया था। एक ही बात कहता-चार साल पहले की दुश्मनी निकाली है लोगों ने सर। किसी का अब यूनिवर्सिटी से कोई लेना-देना नहीं है।यह बात सच है कि हॉस्टल के भीतर ऑथिरिटी आपको सुरक्षा देगी लेकिन हॉस्टल के बाहर आपकी स्थिति आम आदमी की तरह है। मेरे पार्टनर के सात जो लोग थे, उनमें से कईयों के कोर्स खत्म हो चुके हैं और अब उन्हें यूनिवर्सिटी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें इस बात का डर नहीं है कि उन्हें निकाल-बाहर किया जाएगा। मैं उलझना नहीं चाहता था.मेरी शिकायत के करीब सात दिन हो गए हैं। कारवाई के नाम पर सिर्फ इतना हुआ है कि पार्टनर को एक लेटर दिया गया है जिसमें उसने जो कुछ भी किया है उसके बारे में सवाल किए गए हैं और पूछा गया है कि उन पर कारवाई क्यों न हो। बाकी आज से फिर मेरे पार्टनर के गेस्ट का आना और रुम में खाना लाकर खाना, बातटीत करना जारी है.ऑथिरिटी का कहना है कि- विनीत हम एक मामले को नहीं बल्कि पूरी जड़ को खत्म करना चाहते हैं और इसके लिए जरुरी है कि तुम वहीं रहो।
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