टेन जेन देंगे। एफजीसी देंगे। सीटी देंगे। इस तरह के ऑफर जब लड़की के बाप ने मेरे दोस्तों को देने शुरु किए तो मेरे दोस्त सब चकरा गए, घबरा गए। थोड़ी देर के लिए डर भी गए।...और मुझे फोन करके बताने लगे कि क्या करें यार, बड़ी मुसीबत में फंसे हैं।
पहले तो मुझसे येसब जानना चाह रहे थे कि इन सारे संक्षिप्त शब्दों के मायने क्या हैं। उसके बाद उनसे बचने के उपाय भी पूछने लगे।
मेरे कई दोस्तों की नौकरी देश के अलग-अलग हिस्सों में लग चुकी है। कुछ की मल्टीनेशनल कंपनी में, कुछ की मीडिया में, कुछ की सिविल सर्विसेज में और कुछ लोग जो अबतक पढ़ा है, उसे पढ़ाने या यों कहिए कि दुहराने का काम करने लगे हैं। सरकार इसके लिए पैसे देती है और अब वो लेक्चरर की श्रेणी में आते हैं।
सामाजिक हैसियत अब उनकी ऐसी है कि अब वो बाजार में बिकने के लायक बन चुके हैं। उन सबके बाबूजी उनको फोन करके तबाह कर रहे हैं कि अब नहीं करोगे तो कब करोगे। अब तो नौकरी भी लग गई है। पुरुषों की स्मार्टनेस उसकी नौकरी लग जाने पर ही है। बल्कि उसकी स्मार्टनेस तब और बढ़ जाती है जबकि उसे नौकरी लग जाए। समाज की नजर भी उस पर तभी पड़ती है। नहीं तो इसके पहले वो समाज की नजर में नकारा, आवारा, बेकार और लड़कियों के पीछे छुछुआनेवाला जीव है। खैर, मेरे लगभग सारे दोस्त इस बिरादरी से बाहर हो गए हैं।
पापा के फोन मेरे पास भी आते हैं। लेकिन थोड़े अलग किस्म से। वो कहते हैं कि- सामने वाले गुप्ताजी कह रहे थे कि- आपका लड़का अबी तक कौन-सी पढ़ाई पढ़ रहा है। पच्चीस से उपर होने जा रहा है और अभी तक पढ़ ही रहा है। कहीं ऐसा न हो कि बाजार रेट ही गिर जाए। मेरे एमए करने तक रेट दिनोंदिन बढ़ता जा रहा था लेकिन लोगों को भय है कि अब रेट गिरने न लग जाए। क्योंकि एमए तक जो बड़ी नौकरी की उम्मीद बंधी थी, उनके हिसाब से अब बेरोजगारी में तब्दील होने लगी है। मेरे घर के टोले-पड़ोस में हल्ला है कि बेइज्जती की वजह से मैं घर वापस नहीं आ रहा हूं, नहीं तो मेरा मामला पूरी तरह साफ है. दबी जुबान से लोग कहने भी लगे हैं कि देखिएगा, ये लड़का भी अपने बाप-भाइयों की तरह इसी शहर में साड़ी बिलाउज बेचने आएगा। इएचडी और पीएचडी सब ढकोसला है।
पापा से मैंने सवाल किया कि दाम गिर जाएगा लेकिन लड़की मिलेगी कि नहीं, गुप्ताजी से जरा पता करके फोन कीजिएगा।
ओह..हो, मैं भी बस चालू हो जाता हूं. फिलहाल उनकी बात करुं जो कि गर्व से अपने साथ नौकरी लेकर घर की तरफ वापस गए हैं, जो बिकने के लायक हो चुके है और जिनके लिए आए दिन ऑफर आने लगे हैं।
मेरे दोस्त ने उपर बताए शब्दों को जब सुना तो लगा कि किसी दवाई का नाम लिया जा रहा है. या फिर किसी बैंक की बहुत बड़ी पॉलिसी होगी। लेकिन जब चर्चा हुई तो सारी बातें डिटेल में समझ में आ गई।
टेन जेन का मतलब है- जेन गाड़ी और दस लाख कैश
एफजीसी का मतलब है- फ्लैट,गाड़ी और कैश
सीटी का मतलब है- कैश और ट्रांसफर
मेरे कुछ दोस्तों की बहाली अल्टर जगह में हो गयी है। इसलिए लड़कीवाले उन्हें मनमुताबिक जगह में ट्रांसफर कराने के लिए तैयार हैं। बस उसे हां कहना है।
सारे के सारे दोस्त घरवालों का दबाब झेल रहे हैं। एक दो की मां ने मदर्स डे के नाम पर वचन मांग लिया है कि दो साल के भीतर पोते का मुंह देखना चाहते हैं। एक की मां का कहना है कि बस बहुरिया के हाथ से दो जून की रोटी नसीब हो जाए। सेंटी वाक्यों से लदे मेरे दोस्त परेशान हैं कि करें तो करें क्या, जाएं तो जाएं कहां।
बाबूजी लोगों का कहना है कि तुम जल्दी से कुछ करो। आए दिन लड़कीवोलों को टाइम देने पड़ते हैं, खातिरदारी करनी पड़ती है। समय और पैसे हवा और पानी की तरह बह रहे हैं। कुछ तो कीलियर करो ताकि हम उनको जबाब दें।
जबकि मेरे दोस्तों की स्थिति कुछ अलग ही है-
जिन्हें प्रेम विवाह करना है, उनके साथी का अगले साल फाइनल पेपर है, नेट में एपीयर होना है। अगले साल इनक्रीमेंट के इन्तजार में हैं। एक दोस्त चाहती है कि एक कमरे का भी कम से कम फ्लैट हो जाए ताकि पति से मामला बिगड़ जाए तो भी सुकून से रह सके। उसे ड़र है कि उसका पति इतना खुले विचार का होगा भी कि नहीं कि उसे नाइट शिफ्ट में मीडिया की नौकरी करने देगा।
प्रेम विवाह करनेवाली एक दोस्त अपने मां-बाप के साथ धोखा नहीं करना चाहती। लेकिन मां द्वारा नापसंद किए गए अपने वर को ठुकरा भी नहीं सकती। फिलहाल महौल बनाना होगा और उसके लिए वक्त चाहिए। जबकि इधर लड़के के मां को पोते को खेलाने की इच्छा उफान पर है।
एक- दो साथी अपने को खुलेआम बेचना नहीं चाहते। उन्हें तरीके की लड़की मिल जाए, बस। अपने बिजी लाइफ में अफेयर कर नहीं सकते। तरीके की लड़की उसके घरवाले खोज सकते हैं। लेकिन उन्हें लगता है कि बिना दहेज के शादी करने की बात करनेवाला उनका लड़का पगला गया है। जब आज एक फोर्थ ग्रेड का आदमी पांच लाख उगाह ले रहा है तो उसका लड़का सिक्स प्वाइंट फाइव के पैकेज पर है। इसे पगलाना नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।
जिनके मां-बाबूजी मुझे पर्सनली जानते हैं, फोन पर कहते हैं- बेटा समझाओ अपने दोस्त को। अभी नहीं करेगा तो कब करेगा। अच्छा, दिल्ली में कोई चक्कर तो नहीं है बेटा इसका. पता चला हम इधर डोरा बांट रहे हैं और सीधे आशीर्वाद देने भर के रह जाएं, बताना।
एक की मां ने पूछा कि- पूनमिया से अभीओ बतियाता है क्या।
एक के बाबूजी ने कहा- तुम्हारी नौकरी लग जाती तो क्या तुम बंड़े ऐसे ही बैठे रहते बेटा. नाती-पोता का मुंह देखने का मन किसको नहीं होता है।...और देखो अपने दोस्त हरीशचन्द्र को, लड़कीवाले दे रहे हैं और इ मना कर रहा है। गांजा पी लिया है।
एक लड़कीवाले ने दबी जुबान से कह भी दिया कि बताइए जनाब, आपके दोस्त तीस हजार महीना पाते हैं औऱ हमसे दहेज नहीं लेगें। अजी मैं तो कहता हूं, जरुर कोई ऐब या अंदरुनी कमजोरी होगी। आपको पता नहीं चलता होगा या बताया नहीं होगा। यहां रेडीवाले मुंह फाडे रहते हैं।
सारे साथियों की स्थिति बड़ी गड्डमड्ड है। वो कुछ दिन और फ्री रहना चाहते हैं। ऐसे ही जीना चाहते है। शादी करना भी चाहते हैं तो भी अपनी शर्तों और सुविधा के हिसाब से। हमसे मदद मांगते हैं।
मदद के नाम पर मैं उनके लिए कमरे खोज सकता हूं। गवाह जुटा सकता हूं और गृहस्थी में दो-तीन तिनके जोड़ सकता हूं। उनके समर्थन में, दहेज के खिलाफ पोस्ट लिख सकता हूं। बाकी तय करना तो उनका ही काम है। बोलिए कुछ गलत कहा।..
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http://taanabaana.blogspot.com/2008/05/blog-post_22.html?showComment=1211471760000#c675595915287648378'> 22 मई 2008 को 9:26 pm बजे
अरे भईया गजब ढा दिये आज तो,
"पापा के फोन मेरे पास भी आते हैं। लेकिन थोड़े अलग किस्म से। वो कहते हैं कि- सामने वाले गुप्ताजी कह रहे थे कि- आपका लड़का अबी तक कौन-सी पढ़ाई पढ़ रहा है। पच्चीस से उपर होने जा रहा है और अभी तक पढ़ ही रहा है।"
हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही है, सारे रिश्तेदार कह रहे हैं कि पता नहीं कैसी पढाई है, जब भी पूछो हमेशा बोलते हो: दो साल और लगेगें ।
भईया सच्ची बताओ कि क्या सच में मार्केट वैल्यू जैसी आप बता रहे हो वैसी ही है???
आपको शुभकामनायें, वैसे पढवईया (ईएचडी/पीएचडी) दूल्हे का बाजार भाव तो कुछ होगा नहीं, कहीं शादी के लिये दहेज देना न पड जाये :-)
http://taanabaana.blogspot.com/2008/05/blog-post_22.html?showComment=1211476500000#c5738701538364756735'> 22 मई 2008 को 10:45 pm बजे
सुझाव क्या दें भैया हम तो खुदै त्रस्त हैं.
लड़की वाले से पैसे देने की मना करो तो समझता है उसका स्टेटस क्या रह जाएगा समाज में. उसे भी तो कल किसी को सीना फुला के कहना है कि इतना दिया था.
हमें ही कुछ सलाह दे दो भैया.
प्रेम विवाह करने वालों को सलाह है रानी मुखर्जी और विवेक ओबराय की साथिया फिल्म से प्रेरणा लें. मुंबई में उन दिनों ये ट्रेंड खूब चला था.
http://taanabaana.blogspot.com/2008/05/blog-post_22.html?showComment=1211499900000#c8103719171675767688'> 23 मई 2008 को 5:15 am बजे
उनके समर्थन में, दहेज के खिलाफ पोस्ट लिख सकता हूं।
-यह ही तो सबसे साधुवादी कदम है-बाकी तो बाजार के भाव ताव आपके और आपके मित्रों के देखते रहेंगे. :)
http://taanabaana.blogspot.com/2008/05/blog-post_22.html?showComment=1211529420000#c1580319290742586498'> 23 मई 2008 को 1:27 pm बजे
सेंसेक्स भी होगा शायद कही छिपा हुआ .....गुप्ता जी का फोन नंबर मिल जाता तो ..............?
http://taanabaana.blogspot.com/2008/05/blog-post_22.html?showComment=1211659920000#c268948370999976576'> 25 मई 2008 को 1:42 am बजे
अरे भाई, एतना छिरियाने की क्या बात है ?
ऊ अपनी बेटी को 25 साल के राशन का
पइसा,घूमने को गाड़ी, रहने को घर देता है
तो देने न दीजिये । इसको भाव रेट अउर
न जाने का का बोल रहे हैं । अब लरका को
अपने दुआर पर बाँध नहीं रहा है, इसको नहिं
न देखेंगे, आप !