टेलीविजन पर टैलेंट हंट शो की बाढ़-सी आई है जितने चैनल उतने टैलेंट हंट शो। कई चैनलों पर तो एक ही साथ कई शो, अलग-अलग मिजाज के बच्चों के लिए अलग-अलग हंट शो। मैं तो बस दो ही बातों का इंतजार कर रहा हूं। एक तो कि टेलीविजन पर इतने टैलेंट शो हो जाए और इतनी वरायटी की हो कि देश के सारे बच्चे उसमें शामिल हो सकें। जो रोज रियाज करता है वो भी और जिसने कभी रियाज नहीं किया वो भी, जो सबसे अच्छा गाता है वो भी और जो सबसे बेसुरा गाता है वो भी, जो फाइव स्टार स्कूल में पढ़ रहा है वो भी और जो सेंट बोरिस( जहां बैठने के लिए साथ में बोरी या दरी अपने साथ ले जाना पड़ता है) में पढ़ता है वो भी। टैलेंट की खोज और स्थापना तो हो। और दूसरी बात का जो इंतजार है वो इधर ही पनपा है, तारे जमीन पर देखने के बाद कि देश में जितने डिस्ऑर्डर बच्चे हैं उनके बीच टैलेंट हंट किया जाए और संभव हो आमिर को उस प्रोग्राम का हॉस्ट बनाया जाए। क्योंकि एक इशान अवस्थी तो उनका हीरो बन गया, अब क्यों न इसकी संख्या बढ़ायी जाए। मामला घाटे का नहीं होगा। देशभर के एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ता सामने आएंगे और बिना बड़े-बड़े बैनर के अच्छी पब्लिसिटी हो जाएगी। इसके लिए स्कूल के बच्चे सामने आएंगे और मुझे पूरा भरोसा है कि प्रोग्राम हिट रहेगा। ये एक ऐसा शो होगा जिसे जो भी चैनल कराएगा,उसकी ब्रांड इमेज बहुत ही बेहतर बनेगी। जिन चैनलों को लगातार गरिआया जाता है उनके लिए एक बेहतर मौका होगा।
सबसे बड़ी बात तो ये होगी कि लगे हाथ देशभर में इस तरह के बच्चों की खोज हो जाएगी और आगे उनके इलाज और सुधार में मदद मिल सकेगी। उनके बीच कुछ ऐसे इवेंट कराए जाएं जिसे कि एक सामान्य बच्चा नहीं कर सकता और अगर करे भी तो उसे बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी। ये इवेंट सिर्फ गाने या नाचने तक सीमित नहीं होंगे। कई ऐसे इवेंट हैं जिसमें इन बच्चों को शामिल किया जा सकता है। आमिर ने तो अपने हिसाब से एक पेंटिंग आर्टिस्ट को खोज निकाला। क्या पता कोई बड़ा रंगकर्मी निकल आए, कोई अंच्छा डांसर, कोई अच्छा बांसुरी वादक, मंच का कवि या फिर वो कुछ जिसके होने और बनने की कल्पना एक सामान्य बच्चों में देखते हैं। ऑडिशन के लिए मनोचिकित्सक की मदद ली जा सकती है।
आगे ज्यादा क्या राय दूं जो भी चैनल इस ओर पहल करेंगे, उनकी पूरी टीम तो दिमाग लगाएगी ही। मेरे पास तो अचानक से आइडिया आया सो मैंने बता दिया। वैसे आइडिया बुरा नहीं है न.....
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http://taanabaana.blogspot.com/2008/02/blog-post_03.html?showComment=1202037600000#c6773682425322182091'> 3 फ़रवरी 2008 को 4:50 pm बजे
आइडिया बुरा नहीं है..जिस तरह रियलिटी शो का चलन बढ़ा है... ये भी सम्भव है,इस तरह अपने आइडिया को सार्वजनिक करना ठीक नहीं है... कोई यहीं से चेप देगा. वैसे कल्पना अच्छी है,
http://taanabaana.blogspot.com/2008/02/blog-post_03.html?showComment=1205393340000#c6252023622690163673'> 13 मार्च 2008 को 12:59 pm बजे
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