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नया ज्ञानोदय(मार्च) के लिए लेख लिखने के क्रम में मुझे एक बार फिर न्यूज चैनलों के उन पुराने फुटेज औऱ खबरों को खंगालना पड़ गया जिसमें सीरियलों की नई खेप को सामाजिक विकास का माध्यम बतालाया गया था। स्टार न्यूज, इ 24 और आजतक ने सीरियलों की इस नयी खेप पर बहुत सारी स्टोरी की है। सबमें ये बताने की कोशिश की है कि अब टीवी सीरियल के जरिए सामाजिक विकास का काम किया जा रहा है। हेडलाइन्स टुडे 14 नवम्बर बाल दिवस के दिन बालिका वधू का असर देखते हुए राजस्थान के उन इलाकों की कवरेज में जुटा रहा, जहां सरकारी प्रतिबंध के वाबजूद भी बाल-विवाह जारी है। कुल मिलाकर चैनलों द्वारा इस तरह के महौल बनाए गए कि एकबारगी हम भी सोचने लग गए कि क्या वाकई टीवी सीरियलों के जरिए सामाजिक विकास संभव है। http://teeveeplus.blogspot.com
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2 Response to 'क्या देखें- सास बहू और साजिश या सास बहू औऱ बेटियां'
  1. MANVINDER BHIMBER
    http://taanabaana.blogspot.com/2009/02/blog-post_24.html?showComment=1235494860000#c2737990196223591927'> 24 फ़रवरी 2009 को 10:31 pm बजे

    सभी जानते है की टीवी पर क्या परोसा जा रहा है .......एक ही बात .....रसोई घर की राजनीती ...or कुछ नही

     

  2. cg4bhadas.com
    http://taanabaana.blogspot.com/2009/02/blog-post_24.html?showComment=1235833380000#c4148038573505817881'> 28 फ़रवरी 2009 को 8:33 pm बजे

    सास बहु और शाजिशतो ठीक है पर ऊसमे आये भूतो का जिक्र नही किय आपने आज कल सब सीरियल में भूत ही मुख्या भूमिका में है उनका क्या

     

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