पिछले दो-तीन सप्ताह से न्यूज24 की सेहत में लगातार सुधार हो रहा है। टीआरपी की चार्ट में तो वो उपर की ओर सरक ही रहा है,साथ ही टाइम स्पेंट के मामले में उसकी स्थिति पहले से बहुत बेहतर हुई है। इस सप्ताह उसने एनडीटीवी जो कि एक मिथक की तरह गंभीर ऑडिएंस के बीच स्थापित है उसे भी हुर्रा मारकर आगे बढ़ गया। IBN7 और ZEE NEWS को भी न्यूज24 का ये हुर्रा बर्दाश्त करना पड़ रहा है। टीआरपी रिपोर्ट कार्ड की इस खबर को मीडियाखबर ने एक पोजिटिव ख़बर की शक्ल देते हुए हुए एक पोस्ट प्रकाशित की- न्यूज़ 24 में जश्न का माहौल, टीआरपी चार्ट में एनडीटीवी इंडिया को पीछे छोड़ा।
इस रिपोर्ट में अगर ये भी शामिल होता कि किस तरह के कार्यक्रम टॉप-5 या टॉप-10 में रहे तो इसके कुछ और नतीजे निकाले जा सकते हैं। इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए हमने साफ लिखा कि हम न्यूज24 के इस जश्न में खलल नहीं डालना चाहते लेकिन हां इतना जरुर है कि उनकी खुशी भले ही बढ़ रही हो लेकिन हम जैसी ऑडिएंस लगातार निराश हो रही है। हम ऐसा करने किसी चैनल की आलोचना भी नहीं कर रहे,बल्कि न्यूज चैनल की उस स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं जहां एक फार्मूला सा बन गया है कि अगर जिंदा रहना है तो इंडिया टीवी हो जाओ। हम इस बहस को और आगे बढ़ाएंगे,फिलहाल हम वो कमेंट आपसे साझा करना चाहते हैं जिसे कि मीडियाख़बर ने एक पोस्ट की शक्ल में प्रकाशित किया।
न्यूज24 के लोगों की बांछे खिल गयीं है लेकिन हम जैसी ऑडिएंस निराश हो गए हैं। हम न्यूज24 के लोगों के दुश्मन नहीं हैं। उन्हें रोता-बिलखता देख,एक बार भी एन्क्रीमेंट न होता देख,एक ही एंकर को घंटों रगड़ता देख मेरा भी मन रोता है लेकिन ये मेरी बहुत ही व्यक्तिगत फीलिंग हैं। एक ऑडिएंस की हैसियत अब स्थिति ये है कि अगर हमें इंडिया टीवी और न्यूज24 में चुनना हो तो हम इंडिया टीवी देखेंगे,आजतक औऱ न्यूज24 में चुनना हो तो आजतक देखेंगे,IBN7 और न्यूज24 में चुनना हो तो IBN7 चुनेंगे। अब हम न्यूज24 को एक अलग चैनल के तौर पर देखने नहीं जा रहे हैं क्योंकि ये दूसरे चैनलों का रंग पोतकर हमें भरमाता है,इसकी अपनी कोई अलग से पहचान नहीं रह गयी है।
जब ये चैनल लांच हुआ था तो पहली सुबह मैं मेट्रो की सीढ़ियों से उतरते हुए इसके किऑस्क देखे थे। चमचमाती जगह में अंदर दर्जनों ट्यूब लाइट के दम पर बोर्ड भी चमक रहा था जिस पर लिखा था-न्यूज इज बैक। हमें तब भी अंदाजा था कि पैसे के दम पर न्यूज बैक नहीं आ सकता लेकिन ये भी है कि बिना पैसे के चैनल भी नहीं चल सकता।
फिर हमनें टीम देखी- आजतक के एक - से - एक धुरंधर,टीआरपी की मशीन कहे जानेवाले सुप्रिय प्रसाद,सबसे ग्लैमरस एंकर श्वेता सिंह,पंडिजी के फोटोकॉपी कार्तिकेय शर्मा सबके सब पहुंचे। लगा कि इन सबके भीतर एस पी सिंह की आत्मा का थोड़ा भी हिस्सा वहां जाकर रह गया तो चैनल को चमका देंगे। चार-पांच महीने खूब प्रयोग हुए। एक से एक कार्यक्रम,एनडीटीवा का मिथक टूटा..फिर धीरे-धीरे लोगों में हताशा होने लगी,फ्रस्ट्रेशन की वजह से जो जहां से आए थे वहां वापस जाने के लिए हाथ-पैर मारने लगे औऱ ले देकर चैनल बैठने लग गया।..लेकिन हम जैसी ऑडिएंस ने चैनल को देखना नहीं छोड़ा।
न्यूज24 के भीतर जो जश्न का महौल है उसे हम बेमजा होने नहीं देना चाहते लेकिन हां बिजनेस तौर पर ये चैनल की जीत है,एथिक्स के तौर पर उसकी जबरदस्त हार। अंत में एक बार फिर यही साबित हुआ- अगर जिंदा रहना है तो इंडिया टीवी हो जाओ,न्यूज रुम में भूत बुलाओ।
इस जश्न के बीच हम जैसों के कमेंट का कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सवाल एथिक्स का नहीं खुद को जिंदा रखने का है और इसके लिए चैनल क्या कोई भी कुछ कर सकता है? हमें चैनल के पक्ष में कई तर्क नजर आ रहे हैं..ओफ्फ.
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http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276779605442#c6064091678432721880'> 17 जून 2010 को 6:30 pm बजे
good analysis
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276780049601#c5818345561603114221'> 17 जून 2010 को 6:37 pm बजे
न्यूज 24 हो या फिर कोई भी न्यूज चैनल कान खोल कर सुनलो.एक हि खबर को कितनी बार दुहराते हो । टिआरपी के लिऐ अपने चैनलो कि साख ना गिराओ
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276781886239#c5503211321415035054'> 17 जून 2010 को 7:08 pm बजे
ab din prati din news chainal
manoranjan chainal ho gaye hain
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276807438944#c2844114490701436573'> 18 जून 2010 को 2:13 am बजे
भारत में मीडिया की हालत इतनी खराब हो गयी है, इंडिया टी वी पे सिर्फ उल जुलूल प्रोग्राम आते रहते हैं. तंत्र मंत्र, या कोई ज्योतिष भविष्यवाणी. जो mature audience है, उसके लिए कुछ नहीं है.
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276811097921#c7161741176576860840'> 18 जून 2010 को 3:14 am बजे
एकदम सही बात है दोस्त.. मीडिया चैनल्स को पैसे के साथ साथ खुद की गरिमा के बारे मे सोचना चाहिये.. लेकिन उन्हे हम भी कहा देखते है.. हमे भी तो वही जानना है कि गाय बिजली के खम्भे से चिपककर कब मरी... नही तो एलियन्स की कुछ ऊल जुलूल कहानिया.. नही तो साप, भूत प्रेत..
२ रूपये की सरस सलिल भी तो ज्यादा ही बिकती थी.. इन्डिया टीवी भी ज्यादा चलता है :(
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276836898081#c353184191133358089'> 18 जून 2010 को 10:24 am बजे
अपना ही लिखा कुछ याद आ रहा है.. वही शेयर करूँगा..
पहले माता सरस्वस्ती जी के सुर होते थे अब माता लक्ष्मी की ताल होती है.. और सब उसी ताल पर बेताल नाचते रहते है..
मैं न्यूज चैनल बहुत कम देखता हूँ.. इसकी वजह भी शायद ये सब नाटक ही है.. खैर ऑडियंस के तौर पर जब तक हम देखेंगे चैनल्स हमें वही दिखायेंगे.. कल रात किसी चैनल पर राज ठाकरे द्वारा पाकिस्तानी हास्य कलाकार शकील शिद्दक्की को भारत से वापस भेजने को लेकर डी गयी धमकी की खबर में आधे घंटे का शकील का हास्य प्रोग्राम ही दिखा दिया.. एंटरटेनमेंट चैनल का काम अब न्यूज चैनल करने लगे है.. वैसे हम चाहते भी तो यही है..
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276844124934#c8500082906153804338'> 18 जून 2010 को 12:25 pm बजे
"क्या एलियंस गाय का दूध पीते हैं?"
दूध की कीमतों में बढ़ोतरी का असली कारण शायद यही है. भाई, आम आदमी नहीं खरीदेगा तो फ़िक्र नहीं है. भाई लोग एलियंस को बेंच लेंगे.
इंडिया टीवी ने अपने धंधे वालों को जिंदा रहने के गुर सिखा दिए हैं? सीखने वाले धन्य हैं. मैं तो न्यूज चैनल्स देखता हूँ. खासकर हिंदी न्यूज चैनल्स. इससे बढ़िया मनोरंजन कहाँ मिलेगा? हाँ देखने की हिम्मत होनी चाहिए.
आपने बहुत ईमानदारी से टिप्पणी की है. सवाल एक ही है. क्या आप जैसे ईमानदार दर्शकों की बात भाई लोगों के गले उतरेगी?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1276916600951#c385676168746579435'> 19 जून 2010 को 8:33 am बजे
मैं तो न्यूज चैनल्स देखता हूँ. खासकर हिंदी न्यूज चैनल्स. इससे बढ़िया मनोरंजन कहाँ मिलेगा? हाँ देखने की हिम्मत होनी चाहिए. शिवकुमार मिसिरजी की बात से सहमत हैं।
नया टेम्पलेट चकाचक है। बधाई!
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1277180003466#c8245256348527941774'> 22 जून 2010 को 9:43 am बजे
बढ़िया विश्लेषण....अभी इंतज़ार कीजिए....कोई नया चैनल आया तो इंडिया टीवी को भी पछाड़ देगा....एक बात सही पकड़ी आपने....एक खास समुदाय होता है, जो हर नए खुलते चैनल के साथ टीआरपी विशेषज्ञ बन जुड़ता है और फिर उदास होकर वापस अपनी खोह में लौट जाता है....क्या वीओआई से लेकर तमाम दूसरे चैनल्स को डुबाने में इन महारथियों का हाथ नहीं है....
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html?showComment=1277540835502#c7355754614620977959'> 26 जून 2010 को 1:57 pm बजे
INDIAN MEDIA CHANNALES IS VERY FUNNY. I THINK THAT COMPITution with sab tv.