जहां-तहां इस्तेमाल किए गए जूठे कंडोम,बीयर की केन और बोतलें,पांच फुट के घेरे में बिछे अखबार और कई बार दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और मोबाईल कंपनियों के नोचकर लाए गए बैनर से बने टैम्पररी बिस्तर कूड़े-कचरे का नहीं बल्कि किसी खेल के लगातार चलने का ईशारा करते हैं। आप इस सेटअप को देखते ही अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां क्या चलता होगा? ये सारी चीजें हर दो-चार कदम की दूरी पर आपको मिलेंगे। वन-विभाग और एमसीडी की ओर से बैठने के लिए जो बेंचें लगायी गयी हैं, जिसे कि सीमेंट से जमाया तक गया है,उनमें से कईयों को उखाड़कर बिल्कुल अंदर झाड़ियों में टिका दिया गया है। इस बियावान रिज में जहां कि
सुबह और शाम तो हजारों लोग मार्निंग वॉक के लिए आते हैं लेकिन दोपहर में कहीं-कोई दिखाई नहीं देता,वहां भी आपको दाम से दुगनी कीमत पर कोक-पेप्सी,पानी बोतल बेचते कई छोकरे मिल जाएंगे। इन छोकरें से आप कई तरह की सुविधाएं ले सकते हैं। ये नजारा है दिल्ली विश्वविद्यालय से सटे उस रिज का जिसका एक हिस्सा सीधे-सीधे कैंपस को छूता है,दूसरा हिस्सा राजपुर रोड को,सामने खैबर पास का इलाका पड़ता है और उसके ठीक विपरीत कमलानगर।
हॉस्टल के कुछ दोस्तों ने जब बताया कि यहां सौ-दो सौ रुपये देकर जगह मुहैया कराया जाता है,आप किसी लड़की के साथ जाओ..वहां जो चौकीदार,वन-विभाग के कर्मचारी है उन्हें कुछ माल-पानी पकड़ाओ,फिर तुम्हें कहीं कोई रोकने-टोकनेवाला नहीं है। एकबारगी तो हमें इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ,लेकिन जब कल मैंने अपने जीमेल स्टेटस पर लिखा कि जूठे कंडोम से अटा-पड़ा है डीयू रिज,जल्द ही पढ़िए तो देर रात कुछ लोगों ने फोन करके अपने अनुभव शेयर किए। एक ने साफ कहा कि अगर आप शाम को जब थोड़ा-थोड़ा अंधेरा हो जाता है,रिज के अंदर नहीं बल्कि बाहर ही जहां कि बेंचें लगायी गयी हैं,वहां अपनी दोस्त के साथ बैठते हो तो थोड़ी ही देर में आपके पास कोई आएगा और पूछेगा- आपको जगह चाहिए? आप को ये स्थिति एम्बैरेसिंग लग सकती है लेकिन कैंपस के ठीक बगल में ये धंधा बड़े आराम से सालों से चल रहा है। इतना ही नहीं डीयू कैंपस के रिज का ये पूरा इलाहा ड्रग,गांजा आदि के अभ्यस्त लोगों के लिए स्वर्ग है। ड्रग तो नहीं लेकिन गांजा और शराब के लिए ये ऐशगाह है,इसे तो हमने अपनी आंखों से देखा है।
रिज के भीतर कुछ चायवाले हैं जो कि अपने लकड़ी के बक्से और ठीया रखते हैं। वो इस तरह से बने और रखे हैं कि आपको पता तक नहीं चलेगा कि यहां कोई इस तरह से भी कुछ रखता है। उसमें उनके चाय का सारा सामान होता है। दिन में तो चाय की सेवा दी जाती है लेकिन रात के आठ-दस बजे तक शहर के शौकीन लोग सीधे उन ठिकानों पर पहुंचते हैं। उसे कुछ पैसे देते हैं और फिर दौर शुरु होता है। जिस रिज में रात को गुजरने में रोंगटे खड़े हो जाए वही रिज कुछ लोगों के लिए एशगाह बन जाता है। शराब का ये अड्डा रिज से बाहर निकलकर अब फैकल्टी ऑफ आर्ट्स तक फैल गया है। फैकल्टी ऑफ आर्टस की मेन गेट जो कि लॉ फैकल्टी की तरफ है,सामने पार्किंग है वहां शाम को मजमा लगते हमने कई बार अपनी आंखों से देखा है।
2004 में जब मशहूर पटकथा लेखक और राजस्थानी कथाकार विजयदान देथा के पोते की देर रात रिज में मौत हुई थी,इसके पहले भी रिज के भीतर खूनी खा झील में कुछ लोगों की मौत हुई थी तो रिज के भीतर सुरक्षा व्यवस्था काफी बढ़ा दी गयी थी। ये सुरक्षा कागजी तौर पर आज भी बरकरार है। बीच में इसी सुरक्षा के बीच ऐसी स्थिति बनी कि अकेले किसी लड़के को जाने नहीं दिया जाता,अगर उसके साथ लड़की होती तो कोई दिक्कत नहीं होती। इसी में गुपचुप तरीके से लेकिन जाननेवालों और लगातार जाने के अभ्यस्त लोगों के लिए ये सबकुछ खुल्ल्-खुल्ला है। रिज में कई तरह के अवैध काम होने की जब तब जानकारी हमें सालों से टुकड़ों-टुकड़ों में मिलती रही है। तब हॉस्टल के लड़कों के बीच ये गप्प हांकने से ज्यादा कुछ नहीं होता। लोग अक्सर गर्मियों में लंच करने के बाद रिज के भीतर जाते,ऐसी जगहों पर जहां कि फ्रीक्वेंटली नहीं जाया जा सकता,कई तरह की झाडियां,कांटेदार पेड़ जिससे होकर गुजरना मुश्किल होता। वहां से लौटकर आते तो बताते कि उसने कैसे-कैसे सीन देखें हैं। संभव हो कि वो इसमें कुछ अपनी तरफ से जोड़ देते। लेकिन मैंने कई बार देखा कि झाड़ियों में जो गुलाबी और पीले फूल खिलते हैं,कपल बिल्कुल उसी के रंग के कपड़ों में जगह का चुनाव करते हैं ताकि दूर से कुछ अलग दिखाई न दे।
कॉमनवेल्थ की तैयारी के नाम पर जैसे-जैसे पूरे कैंपस में डेमोलिशन और नए कन्सट्रक्शन का काम होने शुरु हुए,हम थोड़े ज्यादा कन्सर्न बनाने लगे। हमने देखना शुरु किया कि कहां पर क्या बन-बदल रहा है? जो फुटपाथ अभी छ महीने पहले ही बनाए गए थे उसे पूरी तरह तोड़कर दुबारा बनाया जा रहा है। जो दीवारें काफी मजबूत और नयी थी,उसे पूरी तरह ढाह दिया गया है और फिर से बनाया जा रहा है। इसी क्रम में हमने रिज में भी जाना-झांकना शुरु किया। पेड़ों की छटाई पहले से बहुत बेहतर हुई है। नयी बेंचें लग गयी है,मेन्टेनेंस पर पहले से बहुत ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इस भयंकर गर्मी में जबकि आधी से ज्यादा दिल्ली पानी के लिए बिलबिला रही है,वहां पानी की इतनी मोटी धार से पेड़ों को धोया जा रहा है कि आप हैरान हो जाएं। कुल मिलाकर कॉमनवेल्थ की तैयारी का असर हमें इस रिज में साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं। इधर छ महीने से एक और नजारा आपको देखने को मिलने लगेंगे। सुबह-सुबह माला-ताबीज,चूर्ण,आयुर्वेदिक दवाई,ठेले पर मोटर लगाकर जूस आदि की अस्थायी दूकानें रोज खुलती हैं। ये बाबा रामदेव के उस शिविर का असर है जो कि पिछले तीन-चार महीने से वो इस पूरे इलाके में लगवा रहे हैं।..तो कहानी ये है कि जिस रिज को पर्यावरण के लिहाज से,हरा-भरा रखने के लिहाज से बचाने की कवायदें चल रही है,उसके भीतर कई किस्म के धंधे एक सात पनप रहे हैं। दुनियाभर का कचरा इसके भीतर फैल रहा है। पेड़ों की हरियाली के आगे उपरी-उपरी तौर पर भले ही कुछ नजर न आता हो लेकिन गटर बनने में बहुत अधिक वक्त नहीं लगने जा रहा।
आज से चार दिन पहले हमें पूरी रात नहीं आयी। कुछ भी करने का मन नहीं किया,पढ़ने या सर्फिंग करने तक का नहीं। अंत में साढ़े चार बजे होते-होते जुबली हॉल के उन दोस्तों के जागने का इंतजार करने लगे जो सात बजे तक थोड़ी मशक्कत के बाद उठ जाते हैं। तब हम फिर रिज गए। इस बार विश्वविद्यालय वाले रास्ते से नहीं बल्कि खैबरपास वाले रास्ते सर। थोड़ी दूर जाने के बाद अगर पेड़ों की संख्या और हरियाली को छोड़ दें तो कहीं से हमें नहीं लगा कि ये भी रिज का ही हिस्सा है। कदम दर कदम उसी तरह बिछे अखबार,बीयर की बोतलें,इस्तेमाल किए कंड़ोम,उसके फेंके गए पैकेट। कुछ बोतलें तो इतनी नयी कि जिसमें बीयर का कुछ हिस्सा अब भी बच्चा था,कुछ कंडोम तो इतने ताजे कि उसमें स्पर्म अब भी मौजूद थे, कुछ अखबार तो ऐसे बिछे कि लगा नहीं कि पिछले घंटों हवा चली हो। उपर जो और सुविधाओं वाली जो बात हम कह रहे थे,उसके निशान हमें यहां दिखाई देने लगे। हमने नोटिस किया है कि अंदर जितने भी कंड़ोम के पैकेट मिले उसमें 'कोबरा'नाम के कंड़ोम के पैकेट सबसे ज्यादा थे। उसके बाद डीलक्स निरोध,कुछ मूड्स के और बहुत कम ही कामसूत्र या फिर कोई दूसरे। इससे क्या इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोबरा नाम का कंडोम अंदर से ही सप्लाय की जाती हो।
कौन करते हैं सेक्स और किनके लिए है ये धंधा,आगे की किस्त में..
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http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275635506716#c5153513922835884130'> 4 जून 2010 को 12:41 pm बजे
आप से विनम्र निवेदन है कि उपर लगाया गया चित्र आप हटा लेँ,लेख आज कि परिस्थितियोँ पर लिखा गया है ।
ETIPS-BLOG.BLOGSPOT.COM
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275635509010#c858456899877642479'> 4 जून 2010 को 12:41 pm बजे
चिराग तले अंधेरा...
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275635943997#c1051603836172402858'> 4 जून 2010 को 12:49 pm बजे
जय हो..
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275636773872#c6007308163756309741'> 4 जून 2010 को 1:02 pm बजे
शानदार पोस्ट है.
यह हाल है? बुरा लगे तो माफी चाहूँगा लेकिन कभी-कभी लगता है जैसे दिल्ली दिलवालों की नहीं बल्कि दलालों की होकर रह गई है. इसका मतलब यह कतई नहीं है कि बाकी के शहरों में ऐसा नहीं हो रहा लेकिन यूनिवर्सिटी के आस-पास के इलाके का यह हाल है? सोचता हूँ क्या क्रायटेरिया और प्रियारिटी होती होगी सरकार की?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275637227150#c2691318989289166455'> 4 जून 2010 को 1:10 pm बजे
ये शहर बहुत भठियारा है, प्यार करने वालों के प्रति बडा सख्त है. वैसे झाडी वाडी में कॉलेज के जमाने में ताकाझांकी करके बेचारों को हडका चुके हैं. तब ज्यादा कुंठा और कुछ-कुछ मजा लेने के कारण ऐसा करता था. हमारा कॉलेज बुद्धा और महावीर जयंती पार्क के बिल्कुल करीब था. कॉलेज के दो-चार बिहारी दोस्तों के साथ कभी निकल लेता था 'सीन' देखने. फिर से कह रहा हूं, वो एक कुंठाग्रस्त नौजवान की हरकत थी.
रही बात वन विभाग और एमसीडी कर्मियों के गठजोड से चलने वाले धंधे की, तो भैया इसका स्पेस पैदा कैसे होता है उस पर विचार करना भी ज़रूरी है. जो ताजा इस्तेमाल कंडोम आपने देखे उसमें से पेशेवरों द्वारा इस्तेमाल कितने थे और कितने जगह तलाश करते आए लोगों द्वारा इस्तेमाल किए हुए. हो सकता है मेरा अंदाजा गलत निकल जाए, पर तब तक के लिए मेरा मानना है धंधेबाज़ों की आवक फिर भी कम होगी वहां.
कम से कम पुराना किला और सफदरजंग के मकबरे वाली हालत तो नहीं है.
वैसे अच्छा विषय छेड़े हो. सलाह घुसेड़ने की आदत है सो बाज़ नहीं आउंगा. टाइटल सनीखेज न लिखो. टीआरपी के च
क्कर में न पड़ो. वैसे ही तुम्हारे द्वारे आने वालों की तादाद ठीक ठाक है.
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275637964956#c2726351772858909497'> 4 जून 2010 को 1:22 pm बजे
hmm, badhiya rapat, agli kisht ki pratiksha,
mudda sahi uthayein hain, ummeed hai kuchh asar bhi hoga
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275639405738#c6497108961122662950'> 4 जून 2010 को 1:46 pm बजे
विनीत जी, आप ने बेहद संवेदनशील बात को उजागर किया है. मैं यह सब जानकार हतप्रभ रह गया. आप की अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार है.
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275639443715#c3326842502007977157'> 4 जून 2010 को 1:47 pm बजे
pathetic
shame on Delhi Police/MCD/Govt/ and on the students who do such nasty things in Campus
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275646663880#c5395216704368108588'> 4 जून 2010 को 3:47 pm बजे
मेट्रो यूनिवर्सिटी स्टेशन की साईड वाली दिवार के पीछे लाईन से लगी गाडियों में में यही सब कार्यक्रम होते देखा जा सकता है.. ये मैं भारी दोपहर की बात कर रहा हूँ.. रात का तो कहना ही क्या.. वैसे क्या गवर्मेन्ट को इसके लिए ऐसी जगह बना देनी चाहिए ? या ऐसा करने पर रोंक लगानी चाहिए?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275671137083#c3901832730778538868'> 4 जून 2010 को 10:35 pm बजे
बड़ा लफ़ड़ा है भाई। अगली किस्त का इंतजार है। बहुत विस्तार से और अच्छा लिखा है। बधाई!
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275673811494#c5983870427128613399'> 4 जून 2010 को 11:20 pm बजे
विनित ने सेक्स वालि यह पोस्ट लगाई।
शिवप्रसाद मिश्रा इसे शानदार पोस्ट कह रहे।अनूप शुक्ल दे रहे बधाई।।
लोगोन को है इन्तजार अगलि कड़ि का बेसबरी से।
सभी चाहते हैन यह सोफ़्ट पोर्न पडना बेशरमी से।।
खुद तो करेन्गे चिट्ठ्हाचर्चा पर ऐसि पोस्टोन की बुराई।
कुश भी देखते है यही सब कार्यक्रम पक्के है बेहयाई॥
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275673848610#c6649075144925721343'> 4 जून 2010 को 11:20 pm बजे
विनित ने सेक्स वालि यह पोस्ट लगाई।
शिवप्रसाद मिश्रा इसे शानदार पोस्ट कह रहे।अनूप शुक्ल दे रहे बधाई।।
लोगोन को है इन्तजार अगलि कड़ि का बेसबरी से।
सभी चाहते हैन यह सोफ़्ट पोर्न पडना बेशरमी से।।
खुद तो करेन्गे चिट्ठ्हाचर्चा पर ऐसि पोस्टोन की बुराई।
कुश भी देखते है यही सब कार्यक्रम पक्के है बेहयाई॥
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674143415#c6831472130857176877'> 4 जून 2010 को 11:25 pm बजे
इस्तेमाल किए गए जूठे कंडोम,बीयर की केन और बोतलें,पांच फुट के घेरे में बिछे अखबार और कई बार दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और मोबाईल कंपनियों के नोचकर लाए गए बैनर से बने टैम्पररी बिस्तर
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674176545#c8149488118288868266'> 4 जून 2010 को 11:26 pm बजे
बाजू में लगा है निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674213651#c7889972969139295708'> 4 जून 2010 को 11:26 pm बजे
सौ-दो सौ रुपये देकर जगह मुहैया कराया जाता है,आप किसी लड़की के साथ जाओ..वहां जो चौकीदार,वन-विभाग के कर्मचारी है उन्हें कुछ माल-पानी पकड़ाओ,फिर तुम्हें कहीं कोई रोकने-टोकनेवाला नहीं है।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674245071#c9028137979685893202'> 4 जून 2010 को 11:27 pm बजे
बाजू में लगा रखा है हार पहनाया निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674271629#c4698700459672223688'> 4 जून 2010 को 11:27 pm बजे
जहां कि बेंचें लगायी गयी हैं,वहां अपनी दोस्त के साथ बैठते हो तो थोड़ी ही देर में आपके पास कोई आएगा और पूछेगा- आपको जगह चाहिए?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674297644#c6566986717552694119'> 4 जून 2010 को 11:28 pm बजे
बाजू में लगा रखा हओ निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674316570#c7895235411691683048'> 4 जून 2010 को 11:28 pm बजे
कैंपस के ठीक बगल में ये धंधा बड़े आराम से सालों से चल रहा है
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674351386#c3724673071180064253'> 4 जून 2010 को 11:29 pm बजे
बाजू में लगाया हुया है हार वाला निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674368298#c5200627008398770975'> 4 जून 2010 को 11:29 pm बजे
गांजा और शराब के लिए ये ऐशगाह है,इसे तो हमने अपनी आंखों से देखा है।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674393638#c2386850431422505645'> 4 जून 2010 को 11:29 pm बजे
बाजू में क्यों है निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674413769#c565085677955096898'> 4 जून 2010 को 11:30 pm बजे
जिस रिज में रात को गुजरने में रोंगटे खड़े हो जाए वही रिज कुछ लोगों के लिए एशगाह बन जाता है।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674456310#c1649143416711246041'> 4 जून 2010 को 11:30 pm बजे
बाजू में है पिटीशनार्थ निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674485683#c1922016332990474256'> 4 जून 2010 को 11:31 pm बजे
अकेले किसी लड़के को जाने नहीं दिया जाता,अगर उसके साथ लड़की होती तो कोई दिक्कत नहीं होती।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674522513#c5003778689148498832'> 4 जून 2010 को 11:32 pm बजे
बाजू में है निरूपमा के मासूम चेहरा वाला चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674547137#c5708118704880269204'> 4 जून 2010 को 11:32 pm बजे
जहां कि फ्रीक्वेंटली नहीं जाया जा सकता,कई तरह की झाडियां,कांटेदार पेड़ जिससे होकर गुजरना मुश्किल होता। वहां से लौटकर आते तो बताते कि उसने कैसे-कैसे सीन देखें हैं।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674568364#c6354693469635438610'> 4 जून 2010 को 11:32 pm बजे
क्यों है निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674610283#c7795848398524610062'> 4 जून 2010 को 11:33 pm बजे
पेड़ों की हरियाली के आगे उपरी-उपरी तौर पर भले ही कुछ नजर न आता हो लेकिन गटर बनने में बहुत अधिक वक्त नहीं लगने जा रहा।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674641948#c4474427201361612119'> 4 जून 2010 को 11:34 pm बजे
इस सोफ़्ट पोर्न वाली पोस्ट पर है निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674668137#c7555510875235482557'> 4 जून 2010 को 11:34 pm बजे
कदम दर कदम उसी तरह बिछे अखबार,बीयर की बोतलें,इस्तेमाल किए कंड़ोम,उसके फेंके गए पैकेट।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674690662#c2098621726187185554'> 4 जून 2010 को 11:34 pm बजे
बाजू में है निरूपमा का हार वाला चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674718935#c6466063230230245258'> 4 जून 2010 को 11:35 pm बजे
कुछ कंडोम तो इतने ताजे कि उसमें स्पर्म अब भी मौजूद थे
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674743477#c4246341661267330237'> 4 जून 2010 को 11:35 pm बजे
बाजू में है निरूपमा का खिलखिलाता चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674758242#c8592574934715102404'> 4 जून 2010 को 11:35 pm बजे
जितने भी कंड़ोम के पैकेट मिले उसमें 'कोबरा'नाम के कंड़ोम के पैकेट सबसे ज्यादा
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674782283#c423084983711968417'> 4 जून 2010 को 11:36 pm बजे
बाजू में है न याय मान्गता निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674803310#c4328838281480455509'> 4 जून 2010 को 11:36 pm बजे
डीलक्स निरोध,कुछ मूड्स के और बहुत कम ही कामसूत्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674820731#c3339011506530531007'> 4 जून 2010 को 11:37 pm बजे
बेचारी निरूपमा का चित्र
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674856558#c435885615849757932'> 4 जून 2010 को 11:37 pm बजे
कौन करते हैं सेक्स और किनके लिए है ये धंधा
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275674886163#c1106970099179953898'> 4 जून 2010 को 11:38 pm बजे
विनित ने सेक्स वालि यह पोस्ट लगाई।
शिवप्रसाद मिश्रा इसे शानदार पोस्ट कह रहे।अनूप शुक्ल दे रहे बधाई।।
लोगोन को है इन्तजार अगलि कड़ि का बेसबरी से।
सभी चाहते हैन यह सोफ़्ट पोर्न पडना बेशरमी से।।
खुद तो करेन्गे चिट्ठ्हाचर्चा पर ऐसि पोस्टोन की बुराई।
कुश भी देखते है यही सब कार्यक्रम पक्के है बेहयाई॥
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275675183176#c117710389796310987'> 4 जून 2010 को 11:43 pm बजे
फिल्म- देशप्रेमी
गीत-महाकवि आनन्द बख्शी
संगीत- लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
नफरत की लाठी तोड़ो
लालच का खंजर फेंको
जिद के पीछे मत दौड़ो
तुम देश के पंछी हो देश प्रेमियों
आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों
देखो ये धरती.... हम सबकी माता है
सोचो, आपस में क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
दीवानों होश करो..... मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो
मीठे पानी में ये जहर न तुम घोलो
जब भी बोलो, ये सोचके तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से
पर वो घाव नहीं भरता, जो बना हो कड़वी बोली से
दो मीठे बोल कहो, मेरे देशप्रेमियों....
तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की
रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की
पूरब-पश्चिम- उत्तर- दक्षिण का क्या मतलब है
इस माटी से पूछो, क्या भाषा क्या इसका मजहब है
फिर मुझसे बात करो
ब्लागप्रेमियों... आपस में प्रेम करो
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275703948052#c4902827183159266628'> 5 जून 2010 को 7:42 am बजे
महानगरों में ही नहीं हर तरफ यह फैल रहा है। ज़रा इन्हें पढ़ें:
http://girijeshrao.blogspot.com/2010/06/blog-post_03.html
http://girijeshrao.blogspot.com/2010/05/blog-post_12.html
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1275709696086#c829988174127603137'> 5 जून 2010 को 9:18 am बजे
@ कुछ कंडोम तो इतने ताजे कि उसमें स्पर्म अब भी मौजूद थे
'स्पर्म' नंगी आँखों से नहीं दिखते। वीर्य लिखना था।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html?showComment=1277100531894#c3331001802617651891'> 21 जून 2010 को 11:38 am बजे
Sex Jawani ki bhukh hoti hai