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दीपक चौरसिया की कचहरी जो भी कहूंगा सच कहूंगा में अबकी बार पेशगी हुई स्मृति इरानी यानि घर-घर की तुलसी की। कहते हैं न कि डब्बे से हींग खत्म हो जाता है लेकिन उसकी खुशबू लम्बे समय तक रहती है। टीआरपी को लेकर क्योंकि सास भी कभी बहू तो बुरी तरह पिट गया लेकिन अब न्यूज चैनल है कि एक समय टीवी ऑडिएंस पर राज करनेवाली तुलसी को लेकर अपनी टीआरपी बढ़ाने में जुटे हैं। वो उससे किरदार के बारे में, बालीजी फिल्मस के बारे में, एकता कपूर के बारे में औऔर इसके साथ ही उसकी पर्सनल जिंदगी के बारे में पूछते हैं। न्यूज चैनल की पूरी कोशिश है कि आठ साल से सिर आंखों पर लिए जानेवाली तुलसी को ऑडिएंस इतनी जल्दी न भुला दे। चैनल को इस बात की भनक लग गयी है कि अब ऑडिएंस पर बालिका वधू का रंग चढ़ना शुरु हो गया है और इसके मुकाबले वो तुलसी को भूलने लग गए हैं।...तो भी भागते भूत की लंगोट ही सही। अब जबकि तुलसी और पार्वती जैसी बहुओं ने सात-आठ साल राज किया है तो उसके भीतर से कुछ तो निकाला जाए जो कि बालिका वधू को पटखनी दे सके। स्टार न्यूज तो ऐसा और भी चाहेगा क्योंकि ये इसके सिस्टर चैनल स्टार प्लस पर आता रहा। प्राइम टाइम में दीपक चौरसिया की कचहरी में स्मृति की पेशगी इसी स्ट्रैटजी का हिस्सा है।

न्यूज चैनलों के साथ एक बड़ी सुविधा है कि वो जो और जिस तरह के सवाल तुलसी, पार्वती या काकुली से कर सकते हैं उस तरह के सवाल आनंदी यानि छोटी बहू से नहीं कर सकते। मसलन वो आनंदी से नहीं पूछ सकते कि सीरियल खत्म होने के बाद आप किस राजनीतिक पार्टियों के लिए कैम्पेन करेंगे। सीरियल करते वक्त अपने पति और बच्चों के साथ कैसे एडजेस्ट किया। फैमिली और सेट दोनों को एक साथ मैनेज करना कितना मुश्किल रहा होगा। अब इंडिया टीवी की बात छोड़ दीजिए। उसके लिए पहले से सवाल बना है कि आनंदी पहली बार आपको जींस पहनकर कैसा लगा। कल दिनभर प्रोमो चलाया कि आज बालिका वधू पहली बार पहनेगी जींस। खैर,
दीपक चौरसिया ने बहुत ही मुलायम होकर स्मृति से दुनियाभर के सवाल किए। दुनिया जहां के सवाल। उसके बारे में , कैसे उसे तुलसी का रोल मिला से लेकर कैसे एकता और उसके बीच दरार आए। तुलसी बहुत ही संभलकर जबाब देती और जिस बात का जबाब नहीं देना होता, मुस्कराने लग जाती। वो एकता के लिए किसी भी तरह के उल्टे-सीधे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहती। इसलिए जिस अंदाज में स्मृति बात करती, उसके शब्द दीपक चौरसिया शुद दे देते और कहते- ये मैं कह रहा हूं। लेकिन इतने मुलायम तरह से सवाल-जबाब में दीपक चैरसिया को बहुत मजा नहीं आ रहा था। उनके मिजाज से ये लेडिसाना माहौल बन गया था। वो चाह रहे थे कि कोई गहमा-गहमी हो। समृति कोई ऐसी बात करे, जिसे कि दो-चार घंटे फ्लैश चलाया जाए। ऑडिएंस को बताया जाए कि ये है देश की आदर्श बहू की आपबीती। लेकिन यहां पर भी तुलसी वैसे ही वैलेंस बनाती रही, जैसे कि वो क्योंकि में बनाए रखा था।
स्मृति का कहना बिल्कुल साफ था कि मैं तुलसी बनकर भले ही लोगों की आंखो में आंसू भर देती थीलेकिन मैं नहीं चाहती कि लोग मेरी पर्सनल प्रॉब्लम को सुनकर भावुक हो जाएं। मैंने बहुत स्ट्रगल किए हैं लेकिन इसे कभी भी स्क्रीन पर आने नहीं दिए। स्मृति के पर्सनल इश्यू टीवी के बाहर है। न्यूज चैनल इसी टीवी के बाहर की चीज को फिर से टीवी पर लाने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन तुलसी तो तुलसी है वो क्यों ऐसा होने देती। वो जानती है कि उसी एक-एक बात बाइट है।

इसलिए अंत में जब दीपक चौरसिया ने अपने मिजाज औऱ मतलब की बात के लिए स्मृति के लिए पूछा- आप जिस पार्टी से जुड़ी है, उसमें तो आए-दिन उठापटक चलते रहते हैं, कोई किसी की टांग खींच रहा है तो कोई किसी को गिराने में लगा है। आप ये सब कैसे मैनेज करेंगी। मतलब ये कि क्या तुलसी राजनीति में टिक पाएगी। स्मृति का बहुत ही मैच्योर जबाब था- राजनीति से ज्यादा राजनीति टीवी में राजनीत होती है। अगर इस टीवी में entertainment सहित न्यूज चैनलों को भी शामिल कर लें तो वाकई स्मृति ने बहुत ही अंदर की बात कह दी थी जिसे कि दीपक चौरसिया सहित देश का कोई भी पत्रकार जिसकी दुकान जम गयी है कि कोई उसके अंदर की बात जाने। स्मृति मीडिया के मोटे तिरपाल में आम ऑडिएंस को भीतर झांकने के लिए एक छेद बनाकर चली गयी।...
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2 Response to 'राजनीति से ज्यादा राजनीति टीवी में होती है'
  1. Waterfox
    http://taanabaana.blogspot.com/2008/11/blog-post_10.html?showComment=1226303640000#c3403382882752588281'> 10 नवंबर 2008 को 1:24 pm बजे

    दीपक चौरसिया का तो मुझे समझ में ही नहीं आता, इतने सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं लेकिन अभी भी उसी सनसनी की फिराक में लगे रहते हैं! लेख मजेदार था।

     

  2. जितेन्द़ भगत
    http://taanabaana.blogspot.com/2008/11/blog-post_10.html?showComment=1226424540000#c8509573428887160586'> 11 नवंबर 2008 को 10:59 pm बजे

    राजनीति‍ का अच्‍छा संदर्भ न जाने कहॉं खो गया है।
    अच्‍छा लि‍खा आपने।

     

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