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BUZZ लगाएगा फेसबुक और ट्विटर की बाट

Posted On 10:56 am by विनीत कुमार |



अगर आप दो दिनों से जीमेल खोल रहे हैं तो देख पा रहे होंगे कि इनबॉक्स के ठीक नीचे एक छुटपन में खेले गए चार रंगों वाला गेंद आ रहा होता है। इस पर क्लिक करते हुए ये फटा हुआ गेंद हो जाता है जिससे हवा नहीं शब्द और अभिव्यक्ति निकलते हैं। ये गेंद दरअसल फेसबुक और ट्विटर के अखाड़े में उतरकर इसकी बाट लगाने की तैयारी में है।

इन दोनों सोशल साइटों से गूगल को अच्छा-खासा नुकसान होता आया है। हिन्दुस्तान में ट्विटर तो कम लेकिन फेसबुक की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। मोबाईल कंपनियों ने तो बाकायदा इसके लिए विज्ञापन करने शुरु कर दिए हैं। अपने विज्ञापनों में तमाम सुविधाओं के साथ मोबाईल स्क्रीन पर फेसबुक को भी शामिल करते हैं। व्यक्तिगत तौर पर भी महसूस करें तो फेसबुक के आने से गूगल की सोशल साइट ऑर्कुट पर हम जैसे लोगों की गतिविधियां पहले के मुकाबले बहुत ही कम रह गयी है। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि शुरु से फेसबुक की ब्रांड इमेज एक इलीट क्लास की सोशल साइट के तौर पर बनी जबकि ऑर्कुट कहने से ही टाइमपास या खलिहर लोगों की साइट होने का आभास होता रहा। इसे लेकर एक देसी मुहावरा भी चल निकला- इस देश में दो लोगों की संख्या बहुत परेशान करती है-एक आर्कुट लोगों की और दूसरा चिरकुट लोगों की। आर्कुट की ब्रांड इमेज का नुकसान बाद में आनेवाली सोशल साइटों के आने से साफ तौर पर दिखने लगा। यानी साइबर स्पेस की दुनिया में गूगल के लिए ये एक कोना ऐसा बनने लग गया जहां कि उसे किसी ने शिकस्त देने का काम किया। लेकिन गूगल अपने को हारा हुआ मान ले,भला ये कैसे संभव है?

इसलिए उसने 'BUZZ'नाम से एक ऐसी सेवा शुरु की जिसमें कि फेसबुक और ट्विटर दोनों का मजा मिल सके। मुहावरे की भाषा में कहें तो एक दोने में तेरह स्वाद। अब देखिए। जीमेल पर स्टेटस तो हमलोग पहले भी लिखते आए हैं। मैं जब शुरु-शुरु साइवर की दुनिया से जुड़ा और जीमेल फ्रैंडली हुआ तो देखा कि लोग स्टेटस के नाम पर किसी महान रचनाकार, चिंतक,कलाकार या हस्तियों के कथन डाला करते थे। जिसे पढ़ते हुए आपको बंदे के सरोकार का एहसास हो। आपको अंदाजा लग जाए कि उसकी पढ़ने-लिखने की रुचि किस तरह की है? बाद में लोगों ने इसे अपने ब्लॉग की हिट्स बढ़ाने के तौर पर इस्तेमाल करना शुरु किया। हम जैसे लोग आज भी इसके लिए बदस्तूर लगे हुए हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि व्यक्तिगत रचनाओं से उपर उठकर दूसरे की रचनाओं और साइटों के लिंक डाले रहते हैं। एक तीसरी स्थिति ये भी है जिसका कि मैं सबसे ज्यादा इस्तेमाल करता हूं वो ये कि जितनी देर ऑनलाइन रहता हूं उतनी देर मूड और स्थिति के हिसाब से स्टेटस बदल देता हूं। मसलन पढ़ते हुए लिखता हूं- मत छेड़ो प्लीज। इसी बीच बारिश होने लग गयी तो- कॉफी पीने आ जाओ न प्लीज। वो मना करती है,मैं तो चला खाने,उसने कहा,जल्दी क्या है? इस तरह से जब भी मैं लिखता हूं तो साथ में जो लोग ऑनलाइन होते हैं अक्सर पोक करके पूछते हैं-किसके बारे में लिखा है,किसने मना कर दिया,कौन कहता/कहती है जल्दी क्या है जैसे सवाल करते हैं? कई बार रहा नहीं जाता तो फोन करके पूछते हैं,अरे किसे कॉफी पर बुला रहे हो? लेकिन ये सबकुछ 'इन्टरपर्सनल टॉक'का हिस्सा बनकर रह जाता। इसमें बाकी के लोग शेयर नहीं कर पाते। बड़ी ही व्यक्तिगत किस्म की बात बनकर रह जाती है ये सारी चीजें। फेसबुक और ट्विटर यहीं पर अपनी धाक जमाता चला गया है।

मुझे लगता है कि गूगल ने इन सारी बातों को गंभीरता से समझा है और खासकर इन दोनों सोशल साइटों को बाट लगाने के मूड में आ गया। 'BUZZ' इसी का नतीजा है। अब देखिए,आप जीमेल पर काम करते रहिए। आप देखेंगे कि आपके लिखे स्टेटस पर कमेंट्स आ गए। हिन्दी समाज की बुनियादी विशेषता आपके स्टेटस से जुड़ती चली जाएगी कि बात निकली है तो दूर तलक जाएगी टाइप की। इसमें फेसबुक की तरह अलग से ब्राउसर खोलने की भी जरुरत नहीं। ये साइवेर स्पेस की हमारी कई तरह की गतिविधियों को एक जगह पर एसेम्बल कर देता है। अभी तो जुम्मा-जुम्मा तीन-चार ही दिन हुए हैं,मुझे लगता है कि आनेवाले समय में इसमें और भी कई सुविधाएं जुड़ जाएगी।..और फेसबुक औऱ ट्विटर तरीके से आमलोगों के बीच पॉपुलर हो इसके पहले ही 'BUZZ'अपने पैर पसार लेगा।

इन तमाम तरह की अटकलों को लेकर हमारी चैट लिस्ट में जो लोग शामिल हैं उनके बीच विमर्श का दौर शुरु हो गया है। दिलीप मंडल के हिसाब से फेसबुक को ये गूगल का जवाब है। बढ़िया तो है, लेकिन किसी एक प्लेयर का इतना ताकतवर होना खतरनाक भी हो सकता है। मजेदार रहेगी ये भिड़ंत। वहीं अविनाश का सवाल है कि-कोई भी ऐसी नयी चीज़ आती है,तो लोग कविताएं पढ़ाना क्‍यों शुरू कर देते हैं? इस पर सुशांत झा की राय है कि-हमारे तमाम कवि आलोचकों के वार से लहूलुहान हो चुके हैं...मजे की बात ये है कि आलोचकों के गिरोह को इंटरनेट ऑपरेट करना नहीं आता...इसलिए कविता यहां आ गई है।

'BUZZ'को लेकर राय देने का सिलसिला जारी है। अभी मामला वही है- जितने मुंह उतनी बातें। कुछ और कमेंट आने दीजिए,कुछ और लोगों को इस विमर्श में शामिल होने दें तब विस्तार से इसकी चर्चा की जाएगी। फिलहाल इस बज को आप भी आजमाइए और बजबजाते हुए इस समाज में कुछ बचाने के लिए ये काम आएगा इस पर विचार कीजिए।..
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5 Response to 'BUZZ लगाएगा फेसबुक और ट्विटर की बाट'
  1. रवि रतलामी
    http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/buzz.html?showComment=1265955994881#c7218039665726027269'> 12 फ़रवरी 2010 को 11:56 am बजे

    बज को जुम्मा जुम्मा दो दिन हुए हैं और इसमें 90 लाख पोस्टें-टिप्पणियाँ हो गईं. 1लाख 60 हजार पोस्टें-टिप्पणियाँ प्रतिघंटे की दर से और ये एक्सपोनेंशियली बढ़ता जा रहा है. बज में देखते रहिए, कयास है कि गेम, गीत संगीत, वीडियो सब आने वाला है!

     

  2. Parul kanani
    http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/buzz.html?showComment=1265961947426#c8384760293601226496'> 12 फ़रवरी 2010 को 1:35 pm बजे

    google aise ho thode hi na google hai..sabki band bajni hai :)

     

  3. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/buzz.html?showComment=1265996264850#c6408752240277225893'> 12 फ़रवरी 2010 को 11:07 pm बजे

    हमने सुना कि यह साइबर की दुनिया में कदम रख चुके लोगों की निजता (privacy) की भी बाट लगा देगा। आपका क्या ख्याल है?

     

  4. विनीत कुमार
    http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/buzz.html?showComment=1265996625046#c8194859191118048952'> 12 फ़रवरी 2010 को 11:13 pm बजे

    नहीं सिद्धार्थजी,मुझे तो फिलहाल कहीं से ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा। साइवर स्पेस पर आनेवाली हर नई चीजों को लेकर हमेशा यही कयास लगाए जाते हैं। ऐसा कहना एक नार्म सा बन गया है। जैसे रीयल स्पेस में नई चीजों को संस्कृति के भ्रष्ट हो जाने के खतरे से जोड़कर देखते हैं वैसे ही यहां प्राइवेसी को लेकर। हां ये जरुर है कि इसमें आगे चलकर कई और तरह के एप्लीकेशन्स आने हैं।..

     

  5. Rangnath Singh
    http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/buzz.html?showComment=1266004217654#c1084721131328423229'> 13 फ़रवरी 2010 को 1:20 am बजे

    हम तो तकनीकी के मामले में पिछलग्गु हैं। नए से डर-डर के ही जुड़ते हैं। आप लोग आगे बढ़िए फिर हम आएंगे।

     

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