BUZZ पर मैंने जब आजतक की स्टोरी 'मौत का पिंजरा' के बारे में लिखा जो कि आशा किरण होम में लगातार मर रहे बच्चों को लेकर है तो ओमान में मास मीडिया और विज्ञापन पढ़ा रहे एसिस्टेंट प्रोफेसर संजय सिंह ने आशा किरण को लेकर अपने निजी अनुभव बताएं। उन्होंने जो कुछ भी बताया उसे सार्वजनिक करना जरुरी है। उन्होंने लिखा-
बंधु तुमने आशा किरण का नाम लेकर मेरी याद ताजा कर दी। मैं 1999 में cry,दिल्ली के एक प्रोजकेट में मीडिया कन्स्लटेंट था तब आशा किरण से पहली बार वास्ता पड़ा। इसका मुख्य काम गरीब बच्चों को आशियाना मुहैया कराना है। एक ऐसी ही बच्ची मंगोलपुरी की जो चाइल्ड सेक्सुअल एवियूज की शिकार शिकार थी,उसको लेकर जब मैं तिहाड़ जेल स्थित आशा किरण होम पहुंचा तो वहां की तत्कालीन डायरेक्टर साहिबा मैडम ने बच्ची को लेने से मना कर दिया। बोला कि टीवी है,पहले ईलाज कराकर लाओ। खैर मैं अपने एक सहयोगी प्रोजक्ट कॉर्डिनेटर के साथ जयपुर गोल्डन,रोहिणी हॉस्पीटल में उसका ईलाज कराया। फिर जब बच्ची ठीक हो गयी और फिर से उसे लेकर वहां पहुंचा तो मैडम साहिबा ने फिर से साफ मना कर दिया। तब हमें मीडिया की शरण में जाना पड़ा औऱ मदद मिली इसी शम्स ताहिर खान के चैनल आजतक से। वहां एक किरणदीप रिपोर्टर काम करती थी जिन्होंने इस स्टोरी को कवर किया था। साथ ही the hindustan times की रिपोर्टर सोनी सांगवान ने पहले पेज पर इस घटना को छापकर,इस मामले को औऱ चर्चा में ला दिया। बात विधान सभा तक भी पहुंची, मुझे होम के कर्मियो द्वारा धमकी भी मिली। उन दिनों मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के मानसरोवर हॉस्टल में रहता था। खैर इन तमाम दिक्कतों के बावजूद भी मैं उस 13 साल की बच्ची को होम तक पहुंचाने में कामयाब रहा। लेकिन सरकार द्वारा चलायी जा रहे इस होम की हालत और व्यवस्था देखकर तब भी उतना ही खराब लगा था जितना आज फिर उसके बारे में जामकर।
संजय सिंह ने जो अनुभव हमसे साझा किया उससे साफ है कि आशा किरण होम में बच्चों की मौत की बनती लगातार घटना सिर्फ साधनों की कमी और अव्यवस्था का नतीजा नहीं है। इसके भीतर एक बड़ा खेल शामिल है और संभव है कि उनमें कई लोग के हाथ सने हों। नहीं तो जिस होम को बेहतर बनाने के लिए वहां के लोग नियुक्त हैं और बाहरी लोगों के प्रयास से भी जिसे बेहतर करने की कोशिशें की जा रही हो,ऐसे में धमकी देने की घटना क्यों होती है? पिछले बुधवार को आजतक पर इस खबर के दिखाए जाने के क्रम में नेताओं की बाइट आनी शुरु हो गयी। बाकी तमाम तरह की घटनाओं की तरह ही इस पर बयानबाजी शुरु हो गयी लेकिन इस होम के भीतर जो रैकेट चल रहे हैं जो कि बयान से इसकी आशंका बनती है,उस दिशा में क्या काम किए जा रहे हैं,इस पर भी बात होनी चाहिए। 18 फरवरी को देशभर के तमाम अखबारों ने इस मु्द्दे को प्रमुखता से उठाया। उनकी खबरों में बदहाली की बातों के साथ ये भी शामिल है कि वहां बाकी सुविधाओं के साथ-साथ सेवाकर्मियों और कर्मचारियों की संख्या से लेकर उनकी पगार( 3000 से बढ़ाकर 6000 आया के लिए) बढ़ाने की बात की गयी है। लेकिन इन सबके वाबजूद असल सवाल है कि ये संस्थान बच्चों को लेकर कितना मानवीय है या रह गया है?
अखबारों ने आशा किरण होम को लेकर जो खबरें छापी है वो इस सवाल को कितनी शिद्दत से उठा रहे हैं, नेताओं की बयानबाजी किस तरह की आ रही है? आपके अध्ययन के लिए कुछ लिक्स-
THE TIMES OF INDIA
THE INDIAN EXPRESS
DNA
HINDUSTAN
TIMES
THE HINDU
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http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/blog-post_22.html?showComment=1266815719232#c2349631546617006191'> 22 फ़रवरी 2010 को 10:45 am बजे
आप एक ब्लागर कम, पत्रकार की तरह ज्यादा लिख रहे हैं। सही मायने में कहें, तो कहना पड़ेगा रिपोर्टिंग में दम है, तथ्यपरक और संदर्भ के साथ।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/blog-post_22.html?showComment=1266817331303#c489941558500135115'> 22 फ़रवरी 2010 को 11:12 am बजे
prabhat ji ki baat se bilkul sehmat hoon...!
http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/blog-post_22.html?showComment=1266817833906#c7935434360039940202'> 22 फ़रवरी 2010 को 11:20 am बजे
I ditto what Prabhat Sahab says.
Keep the good work going Vineet.
http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/blog-post_22.html?showComment=1266818691429#c6770388392352034307'> 22 फ़रवरी 2010 को 11:34 am बजे
is par bina ye soche ki aajtak par story chal gayee hai aur vineet ne post likh diya hai... aur media houses ko bhee lagataar report chhapni chahiye...
http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/blog-post_22.html?showComment=1266839195188#c4327003790837003067'> 22 फ़रवरी 2010 को 5:16 pm बजे
आशा नही की यह सब कभी खत्म भी होगा...आपने रिपोर्टिंग अच्छी की है...जिम्मेदारी से.
http://taanabaana.blogspot.com/2010/02/blog-post_22.html?showComment=1266891111962#c8173887391652814787'> 23 फ़रवरी 2010 को 7:41 am बजे
सुन्दर प्रयास...और आपकी लेखनी तो ज्वलन्त है..३०० के ऊपर पोस्ट लिखना कोई छोटी बात नही..बहरहाल मै यहा पहली बार आया हू..अच्छा लगा आपको जानकर...