एक हिजड़े ने कांग्रेस को हरा दिया, बीजेपी को हरा दिया..हाय,हाय। मर्द होकर हार गए।(किन्नर के अंदाज में ताली बजाते हुए,बराबर उड़ाया सागर की मेयर कमला का मजाक)। उन मतदाताओं को धिक्कारने का काम किया गया जिसने लिंग भेद से उपर उठकर कमला को वोट देकर अपना मेयर चुना। कमला के पास लोकतंत्र की ताकत है लेकिन इस ताकत को क्षुद्रताओं की जहर में बार-बार डुबोने की कोशिश की गयी। हजारों की संख्या में मौजूद लोगों के बीच उसका उपहास किया गया।...और ये सबकुछ देश का कोई औसत दर्जे के अंगूठे छाप ने नहीं किया जो समानता और मानवता की बात के बारे में कुछ नहीं लिखा-पढ़ा है। ये सब किया दुनिया को इंसानियत,मानवता,संयम और लोकाचार का पाठ पढ़ानेवाले आसाराम ने जिसे लोग लगातार नाम के पीछे बापू शब्द लगाकर इस शब्द को कलंकित करते आ रहे हैं। ये सब किया उस शख्स ने जो भक्ति के बीच से पाखंड की फसल पैदा कर रहा है,आपसी वैमनस्य और गैरबराबरी फैलाने के काम पर ईश्वरीय ताकत का लेबल चस्पा रहा है।
कहानी हाल भी उज्जैन में दिए गए उस प्रवचन को लेकर है जिसमें भौंडापन का एक नमूना शामिल है। स्टार न्यूज की सनसनी टीम ने इसे आसाराम बापू की नौटंकी नाम दिया है। उज्जैन में आसाराम को सुनने हजारों की भीड़ जमा होती है। एक संत कहलाए जाने के नाते भक्ति,आध्यात्म और मानवीय गुणों पर प्रवचन देने के नाम पर आसाराम ने राजनीति गलियारों की गतिविधियों पर अनर्गल बोलने लग गए। इसी बीच उन्होंने सागर,मध्यप्रदेश की चुनी गयी मेयर का जमकर मजाक उड़ाया। पहले तो उसने किन्नरों जैसी हाय-हाय का स्टेज पर ही नकल करना शुरु किया। बाद में कमला ने जो बातें कहकर सागर के लोगों से वोट देने की अपील की थी उसकी नकल उतारने में जुट गए। कमला ने वोट की अपील के दौरान कहा था कि हम निष्पक्ष हैं। हम तो न तो इस पार्टी से है और न ही उस पार्टी से है,आसाराम ने इस 'पार्टी' शब्द के जरिए बहुत ही भद्दे भाव पैदा करने की कोशिश की जो कि लिंग के स्तर पर भेदभाव फैलाने का मामला बनता है। बाद में कहा कि वो राम, हरिओम, अल्लाह आप जो भी कहते हो उसकी पार्टी के हैं,आप हमें खाली वोट देना,भगवान खुश रखेगा। फिर ताली बजाते हुए आय,हाय कहा। दुनिया की नजरों में संत माने और कहलाए जानेवाले आसाराम बापू की ये हरकत उनके पाखंड को तो उजागर करती ही है,इसके साथ ही ये कानूनी मामला भी बनता है। इस देश में किसी भी शख्स को लिंग के आधार पर वैमनस्य फैलाने का अधिकार कैसे दिया जा सकता है?
इस पूरे मामले की जानकारी जब कमला को होती है तो इसके जबाब में जिस तरह से पेश आती है,उस पर आसाराम को शर्म आनी चाहिए। दुनिया की निगाह में संत संयमी और बहुत ही उंचे ख्यालात के होते हैं जबकि किन्नरों के बारे में जिस तरह की कथाएं गढ़ी गयी हैं,उनके बारे में जिस तरह से बताया जाता रहा है वो ये कि इनमें लाज-शर्म नाम की कोई चीज नहीं होती। इसे पूरी तरह ध्वस्त करते हुए कमला ने बहुत ही शांत अंदाज में कहा है कि ऐसा करके आसाराम बापू ने मेरा मजाक नहीं उड़ाया है बल्कि गीता(श्रीमद्भागवत गीता) को झूठा करार दिया है। आसाराम को हमें मजाक से नहीं बल्कि सेवाभाव से देखना चाहिए। एक कहावत है न- लंबा तिलक मीठी जुबानी, दगाबाज की यही निशानी।
कमला को आसाराम की इस हरकत से गहरा दुख पहुंचा है। एक तो ये देश जातीय,लिंग,धर्म और पाखंड़ों के बीच पहले से ही इतना जकड़ा हुआ है। लोकतंत्र की बात करते हुए भी ये सारी चीजें इतने जबरदस्त तरीके से हावी रहती है कि आमतौर पर मतदाता इससे उपर उठकर मतदान नहीं करता। ऐसे में सागर के लोगों ने कमला को मेयर चुनकर इस जड़ मानसिकता को कुचलने का काम किया है तो ऐसे में उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाय आसाराम ने उन्हें हतोत्साहित करने का काम किया। आसाराम ने लोकतंत्र के भीतर स्वस्थ मानसिकता के पनपने की संभावना को खत्म करने की कोशिश की है। इस संबंध में संत समाज से जब राय ली गयी तो उनलोगों ने भी आसाराम के इस रवैये पर सख्त नाराजगी जाहिर की। इलाहाबाद में माघ मेले के लिए जुटे साधुओं में इस बात को लेकर गहरा रोष है। स्वामी ब्रह्माश्रम ने कहा कि ऐसा कहकर आसाराम ने समाज के लिए अच्छा नहीं किया। दरअसल वो बौखला गए हैं। एक दूसरे साधु महेशाश्रम ने कहा कि ऐसा कहकर आसाराम ने अपनी अज्ञानता और अंहकार का परिचय दिया है।
वैसे भी आसाराम बापू पिछले साल-दो साल से जो कुछ भी करते आ रहे हैं(खासकर व्यवहार के स्तर पर) वो संत की गरिमा से किसी भी रुप में मेल नहीं खाता। पिछली होली में सूरत में आासाराम बापू ने हजारों की भीड़ के सामने विदेश से आए मां-बेटे को लेकर बहुत ही भद्दी हरकत की। दोनों को स्टेज पर बुलाया। जेम्स की मां ने कहा- बापू आ लव यू। बापू ने जेम्स से कहा, इसे हिन्दी में बोलो कि- मम्मी बापू को बहुत प्यार करती है। आसाराम ने सवाल किया- बापू तुम्हारा क्या लगता है? जेम्स ने जबाब दिया- बापू मेरा पापा है। आगे आसाराम ने बताया कि ये विदेशी महिला साल में तीन-चार बार इस देश में आती है और फिर गाना गाने लग जाते हैं- जोगी,हम तो लूट गए तेरे प्यार में। इसके अलावे टेलीविजन के जरिए देखी गयी फुटेज के आधार पर बात करें तो आसाराम का रोना,धमकाना,खुली चुनौती देना कि अगर बापू दोषी है तो कोई उसे गिरफ्तार करने क्यों नहीं आता,उसे पता है कि अगर गिरफ्तार किया तो देश में क्या हो जाएगा जैसी बातें जारी है?
आसाराम ने प्रशासन को तो इस तरह की खुली चुनौती दी ही है,ईश्वर का प्रकोप से लेकर रोने तक ड्रामा किया ही है साथ ही आश्रम में बच्चों की हुई रहस्यमयी मौत के मामले में मीडिया को कुत्ता भी कहा। देश और दुनिया में साधना के नाम पर संतई का कारोबार चलाने वाले आसाराम सरीखे लोग क्या देश के कानून से उपर है? आमतौर पर संतों के प्रवचनों को ये मान कर चला जाता है कि वो देश के लोगों के बीच मानवीयता और बंधुत्व का पाठ पढ़ाने जा रहे हैं जो कि सरकारी प्रयासों को ही एक हद तक मदद पहुंचाने का काम है। सरकार भी चाहती है कि देश में इन भावनाओं का विकास हो। लेकिन आसाराम जैसे दूसरे टेलीविजन की कोख से पैदा हुए पॉपुलर बाबा जिस तरह से मानव विरोधी बयान दे रहे हैं,मानवीय प्रयासों को हतोत्साहित करते हैं,ऐसे में सवाल सिर्फ माफी मांगने और सफाई देने भर का नहीं है बल्कि ऐसे बाबाओं पर कानूनी कार्यवाही होना अनिवार्य है। इनके प्रवचनों पर बहस किया जाना जरुरी है। आप क्या सोचते हैं? मुझे पता है कि जिस आसाराम बापू को उनके भक्त सोनी चैनल पर प्रवचन देते देखते आए हैं उनपर सनसनी में आधे घंटे की स्टोरी देखकर उन्हें धक्का पहुंचेगा। ये धक्का शायद उसी तरह का होगा जैसा हाल-फिलहाल तक एन.डी.तिवारी जैसे कद्दावर नेता का नाम इंडियन सेक्स की पहली लिंक पर देखना होता है। खबरों की पॉलिएशन मीडिया का खेल है,कोई नई बात नहीं। लेकिन इस तरह की खबरें मसलन राजनीतिक पुरुष की लिंक इंडियन सेक्स पर और संत आदमी पर की स्टोरी सनसनी में कोई पॉलिएशन का हिस्सा नहीं बल्कि उसके बदले चरित्र के सबूत हैं।
(इस पूरे मसले पर स्टार न्यूज ने सनसनी कार्यक्रम के अन्तर्गत आधे घंटे का कार्यक्रम प्रसारित किया है। आज यानी 18 जनवरी 2010 सुबह साढ़े दस बजे सुबह। हमने उस कार्यक्रम की पूरी वीडियो डिजीटल रिकार्डिंग की है। पूरी वीडियो तो नहीं डाल सकते लेकिन मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि रात तक कमला की बाइट से लेकर आसाराम बापू का गैरमानवीय वक्तव्यू हूबहू आपके सामने पेश कर दें। फिलहाल यूट्यूब के लिंक से भी काफी-कुछ जान सकते हैं आप। इसे हमने पोस्ट की पहली ही लाल रंग से लिखी लाइन में एटैच कर दिया है।)
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http://taanabaana.blogspot.com/2010/01/blog-post_18.html?showComment=1263812329110#c5616434350925527099'> 18 जनवरी 2010 को 4:28 pm बजे
agian thanks sir ji logo ki aankho par ye baba aastha ki pati band kar jo pakhand dikha rahe hai uske aap or hum logo ko is paati ho hatane ki jarurat hai
http://taanabaana.blogspot.com/2010/01/blog-post_18.html?showComment=1263821666716#c3783633841999412183'> 18 जनवरी 2010 को 7:04 pm बजे
लगता है बापू जी भारतीय संस्कृति को भी बिसार बैठे हैं । अरे किन्नर पर तो भीषम पितामह ने भी वार नहीं किया था। किन्नर पर वान चलाने से अपने प्राण त्यागना उन्होंने श्रेयस्कर समझा .... भगवान उन्हें सद्बुधी दे .
http://taanabaana.blogspot.com/2010/01/blog-post_18.html?showComment=1263841549563#c6778042847127430079'> 19 जनवरी 2010 को 12:35 am बजे
Yah to harsh ka vishay ha.......hame to is kaary ka swagat karna chahiye,kyonki isi ke sahaare to ham tathakathit santon ka asal chehre ki jhalak dekh paane me samarth ho paate hain..hame to ishwar se manana chahiye ki we kuchh aisa karen ki pratyek kshadmdhaari swayan hi apne nakaab utaar de...
http://taanabaana.blogspot.com/2010/01/blog-post_18.html?showComment=1263847221975#c259489325609121320'> 19 जनवरी 2010 को 2:10 am बजे
विनाश काले विपरीत बुद्धि......
http://taanabaana.blogspot.com/2010/01/blog-post_18.html?showComment=1263881781784#c7768261967828648293'> 19 जनवरी 2010 को 11:46 am बजे
संतई में नीचता का समागम। जैसे तथाकथित भगवान वैसे ही भक्तजन। अपनी लोई नहीं संभलती, दूसरे की खींचने पर तने हैं। अब उधड़ रही है चमड़ी। बैठ रही हैं जांच कमेटी।
बाबा पता नहीं क्यों भूल गया कि वो जिसका अपमान कर रहा है वह सारे समाज का तिरस्कार और अपमान का कड़वा घूंट पीकर नीलकंठ बन चुका है। उसे इसके शब्दों से कोई असर नहीं पड़ता।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/01/blog-post_18.html?showComment=1263892294582#c6986593556213047783'> 19 जनवरी 2010 को 2:41 pm बजे
दक्षिण के तथाकथित शंकराचार्य को हत्या आदि के आरोपों पर गिरफ्तार किये जाने के समय उस गिरफ्तारी के विरोध में भाजपा नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था किंतु जनसमर्थन नहीं जुटा पाये थे तब इन्हीं आशाराम ने अपने चेलों को भेजकर भाजपा की लाज बचायी थी। यही कारण है कि गुजरात सरकार के अधिकारियों द्वारा की गयी वैधानिक कार्यावाही से भागे आशाराम मध्य प्रदेश सरकार के संरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। इस मामले में प्रदेश की सरकार भी समान स्तर पर दोषी है।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/01/blog-post_18.html?showComment=1263969224770#c6757578251567092880'> 20 जनवरी 2010 को 12:03 pm बजे
lagta hai asaram apna mansik satulan kho baidhe hai,lokpritya pane ke liye aisi sasti aur bhadde pravahan dekar bo kya sabit karna chate hai..ye meri samach ke pare hai..ab samay a gaya hai asaram jaise tathkatik santo ko samajik rup se dandit kiya jaye..aur iske sath hi mere chacha jo ki asaram ko apna guru mante hai, jaise hazaro bhakto ko ye vi samach lena chahiye ki manavata aur kalyan ki bate karne wale aise santo ko khud hi inka matlab nahi pata hai..apne aise santo ka asli roop ujagar kiya iske liye dhanyabad