मेरी मां की अब मौज हो गयी है। एक बार फिर वो अपना अच्छा-खासा समय टेलीविजन को देने लगी है। नहीं तो अब तक मेरी भाभी कहती कि अकेले सीरियल देखने में बोर हो जाते हैं, मां जी आप भी मेरे साथ देखिए न तो मेरी मां साफ बहाने बना जाती- देर तक बैठा नहीं जाता, टीवी देखने से आंख से पानी झरने लगता है।
एनडीटीवी इमैजिन पर रामायण एक अच्छी आदत शुरु होने के बाद लगभग सारे चैनलों पर धार्मिक सीरियलों का दौर शुरु हो गया है। मां का इस मामले में साफ कहना है कि सभी चैनलों को एहसास हो गया है कि दर्शकों को भगवान से लम्बे समय तक दूर नहीं रखा जा सकता। कोढा-कपार दिखाने से तो अच्छा है कि भगवान का सुमरन करे। सब चैनल को अपनी गलती का एहसास हो गया है।
मेरी मां टीआरपी के खेल को नहीं समझती औऱ न ही चैनलों की मार्केट पॉलिसी को समझती है। उसके हिसाब से चैनल को जो मन आए भले ही दिखा दे लेकिन उसको पता नहीं है कि रोज कितनी औऱतों का हाय उसमें काम करने वालों को लगती है। जो बुढ़िया सास अपनी बहू से एक गिलास पानी के लिए तरस जाए, लाचार को छोड़कर टीवी देखने बैठ जाए उसका हाय टीवी को तो जरुर लगेगा। इ सास-बहू का सीरियल दिखा-दिखाकर केतना आदमी का घर फोड़ दिया है, टीवीवालों को इसका अंदाजा थोड़े ही है।
मां का साफ मानना है कि सास-बहू टाइप का सीरियल औरत को नागिन बना देता है, वो अपनी सास से बातचीत करने के बजाय फुफकारना जानती है। मेरे बार-बार पूछने पर कि- देखो तो मां, भाभी अभी तक नागिन तो नहीं हुयी। मां एकदम से फोन पर ही बोल पड़ी- अभी नहीं तो देर-सबेर तो हो ही जाएगी, उ टीवी कम थोड़े देखती है, ट्रेनिंग तो ले ही रही है। बताओ श्रवण कुमार जैसे लड़के को सीरयल में दुःशासन बनाने में लगा है। एक आदमी का तीन-तीन औरत से चक्कर। अब किसी को इ सब करम करके बुढ़ापा में कोढ़ी फूट जाए तो उस पर किसको तरस आएगा। इ तीन साल के बितनी खुशी को तो देखो, भगवान जाने केतना समझती है लेकिन कहती है कि उस लड़की से किसी और का अफेयर है। बड़ा होके आग लगावेगी नहीं तो और क्या करेगी। इसलिए मां के लिए चूल्हा में जाए टीवी उसने लम्बे समय से देखना छोड़ दिया।
इधर मेरे लगातार फोन करने पर कि- मां तुम्होरे सारे देवी-देवता टीवी के मैंदान में हैं, इधर टीवी देखना शुरु कर दो। पहले तो मां पलटकर मुझसे ही सवाल कर दिया- काहे टीवी को सब लड़की-औरत को पतुरिया बनाने से फुर्सत मिल गया। देखा ही तो रहा था कि- दिन में किसी और के साथ चुम्मा-चाटी और रात को एकदम से सती-सावित्री बनके सीधे मरद को दूध का गिलास पकड़ा रही है। जो काम कर रहा है, भोगेगा एक दिन जरुर।
मां जब भी टीवी के बारे में बात करती उसे इस तरह से कोसती, जैसे घर का बच्चा किसी की कुसंगति में पड़ गया हो या फिर घर की औरतें में चरित्र को लेकर कोई ऐब शुरु करने का काम करता हो। सबसे -ज्यादा चिंता उसे तीन साल की खुशी की होती- एतना टीवी जेखेगी तो बहुत जल्दी पम्पाल( धूर्त,बदतमीज) हो जाएगी। हमको तो छोड़ो- दू चार साल में मर-खप जाएंगे लेकिन माय-बाप को भी रत्ती भर भी इज्जत नहीं करेगी। कहती है नीचे जो अंशु रहता है न दादी वो पूछता है कि तुम्हारा कोई ब्ऑयफ्रैंड है।
मेरे जाने पर भाभी खाने को लेकर अक्सर आजमाइश किया करती है। दुर्भाग्य कहिए कि हमेशा ऐसी चीजें बनाती जो मां के देहाती मुंह के खिलाफ होता। उपर से उसमें लागत भी अधिक लगती। मां को क्या, कभी-कभी तो घर में मुझे छोड़कर किसी को पसंद नहीं आता। मुझे तो घर का उबला पानी भी बेहतर लगता है और फिर भाभी का मन रखने के लिए मैं पहले से ही बहुत अच्छा-बहुत अच्छा की रट लगाने लग जाता। मां को भाभी से कोई शिकायत नहीं है। दो-चार बात मां के विरोध में बोलने के बाद कहती है- ऐसन थोड़े थी। केतना बढ़िया नया-नया में दाल-भात दू-तीन तरह के सब्जी-दाल बनाती, तब अब क्या बनाती है, उनियन पिज्जा, सब्जी कौन त मचूरियन, सबके सब कोढ़ा-कपार। इ सब टीविया देख-देख के हुआ है। अरे देखावे जो देखाना है, जिए-मरे के खिस्सा। त नय- रोज नया-नया खाना के नाम बतावेगा।
मेरी मां टेलीविजन के इस रवैये से इतनी खफा है कि अगर कोई कहे कि वो टीवी सीरियल बनाता है तो उससे चाय-पीनी पूछने के पहले सीधे पूछे कि- काहे तुम्हारे घर में लड़का-बच्चा नहीं है और तुम जो अभी हिआ आए हो, घरवाली कहां है....किसी के साथ गई है सिनेमा ?
अब धार्मिक सीरियलों के शुरु हो जाने पर कैसे बदला है टीवी को लेकर मेरी मां के विचार, पढ़िए अगली पोस्ट में।।।
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http://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post_27.html?showComment=1217158560000#c6805782775624476019'> 27 जुलाई 2008 को 5:06 pm बजे
aage padhne ka intizar hai
http://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post_27.html?showComment=1217162100000#c2502192467744703476'> 27 जुलाई 2008 को 6:05 pm बजे
दिलचस्प. हम इंतजार करेंगे.
http://taanabaana.blogspot.com/2008/07/blog-post_27.html?showComment=1217163000000#c8071789048093625397'> 27 जुलाई 2008 को 6:20 pm बजे
सही है। अगली पोस्ट का इंतजार है।