पिछले दो साल से लगातार मीडिया के भीतर के सच को बेपर्द कर रही साइट मीडियाखबर डॉट कॉम को अभी कुछ दिनों से एक न्यूज चैनल की ओर से धमकियां मिलनी शुरु हुई है। साइट ने "मिशन आजाद" नाम से न्यूज चैनल के भीतर हो रही गड़बड़ियों का पर्दाफाश किया था। उसने बताया कि कैसे एक चैनल में लाइन में लगाकर पत्रकारों को सैलरी दी जाती है,उन्हें किसी भी तरह की सैलरी स्लिप नहीं दी जाती। इसके अलावे इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर कई खामियां है। न्यूज रुम में एसी काम नहीं करता,पीने का पानी तक नहीं है। इस चैनल के भीतर स्त्री मीडियाकर्मियों की भी स्थिति ठीक नहीं है। कुल मिलाकर इस चैनल के भीतर मीडिया संस्थान जैसा माहौल नहीं है। इन खबरों के प्रकाशित किए जाने के बाद चैनल के भीतर हडकंप मच गया। मीडियाखबर के संपादक/मॉडरेटर पुष्कर पुष्प को विश्वसनीय सूत्रों से जो लगातार जानकारी मिली उसके मुताबिक साइट के जरिए चैनल के भीतर की गड़बड़ियों के खुलासे किए जाने से मैनेजमेंट पर जबरदस्त असर हुआ है। दूसरी तरफ चैनल के भीतर काम कर रहे लोगों के भीतर जो लंबे समय से असंतोष रहा,अब वो किसी न किसी रुप में सामने आने लग गए। उनकी आवाज संगठित होने लगी,उऩ्हें लगा कि उनकी सुध ली जा रही है। ये सारी बातें मैनेजमेंट को नागवार गुजरी और उन्होंने अपने कुछ पाले हुए पहरुओं को इस काम के लिए लगा दिया कि चैनल से जुड़ी खबरें बाहर तक न जाए।
आज मीडियाखबर के मॉडरेटर ने अपनी तरफ से प्रेस रिलीज जारी करके पूरी घटना की व्योरेवार जानकारी दी है और साफ शब्दों में कहा है कि हम खबरों की खबर को आप तक पहुंचाने के लिए न तो किसी से समझौता करेंगे और न ही उनकी घिनौनी हरकतों से प्रभावित होकर अपना कदम पीछे खींच लेगें। हम पोस्ट के साथ ये प्रेस रिलीज प्रकाशित कर रहे हैं और साथ में वो शिकायत पत्र भी जिसे कि उन्होंने पुलिस थाने में दर्ज करायी है-
आज़ाद न्यूज़ या इसके किसी भी व्यक्ति के खिलाफ ख़बर करोगे तो जान से जाओगे. यह धमकी पिछले कुछ दिनों से लगातार मीडिया ख़बर.कॉम के संपादक को मिल रही है. धमकी फ़ोन से दी जा रही है. यह फ़ोन बार - बार आ रहा है. फ़ोन का नंबर है - (+911203140856 / +911204262205). फ़ोन के जरिये धमकाया जा रहा है कि कमलकांत गौरी (इनपुट हेड), रवींद्र शाह (आउटपुट हेड), नवीन सिन्हा (पॉलिटिकल एडिटर) या हिंदी समाचार चैनल आज़ाद न्यूज़ के खिलाफ कुछ भी लिखा तो अच्छा नहीं होगा. अंजाम बुरा होगा. कुछ भी हो सकता है. कुछ भी...
मीडिया खबर.कॉम के संपादक की खता इतनी है कि कुछ वक़्त पहले मीडिया खबर पर मिशन आज़ाद नाम से कुछ स्टोरीज प्रकाशित की गयी थी. उसमें चैनलों के अंदर चल रहे फर्जीवाड़े और उसमें संलिप्त ऊँचे पद पर बैठे कई कथित पत्रकारों का पर्दाफाश किया गया था. चैनलों के अंदर की अव्यवस्था, पत्रकारों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार और श्रम कानूनों के उल्लंघन को बेनकाब किया गया था. हालाँकि किसी खास व्यक्ति का नाम नहीं दिया गया था. इससे कुछ लोग खफ़ा थे. लिहाजा, इन लोगों ने साम, दाम, दंड, भेद हर तरीके से ख़बरें रूकवाने की कोशिश की. लेकिन जब खबर रूकवा नहीं पाए तो ओछेपन पर उतर आये. पहले अलग - अलग माध्यमों से धमकाया गया. फिर झूठे केस में फंसाने की धमकी दी गयी. चैनल का रूतबा दिखाकर पुलिस से पिटवाना चाहा. लेकिन जब कुछ नहीं कर पाए तो लगे फ़ोन से धमकी देने.
इसके पहले आज़ाद न्यूज़ के इनपुट हेड कमलकांत गौरी, आउटपुट हेड रवींद्र शाह और पॉलिटिकल एडिटर नवीन सिन्हा ने मीडिया खबर.कॉम को मेल के जरिये नोटिस भेजा था जिसका जवाब मीडिया खबर के लीगल सेल की तरफ से दे दिया गया. लेकिन इस बीच, मीडिया खबर के संपादक पुष्कर पुष्प को डराने और धमकाने की कोशिशें लगातार जारी रहीं. घर पर गुंडे भेजे गए. नोटिस मिला है की नहीं. यह पूछने के लिए कई लोगों को मीडिया खबर के संपादक के घर भेजा गया. यह लोग सफ़ेद रंग की कार से आये. कार में कई लोग थे. इनका मकसद नोटिस के बारे में पूछना नहीं बल्कि टोह (रेकी) लेना था. यदि नोटिस के बारे में ही पूछना था तो फोन करके या मेल के जरिए पूछा जा सकता था। मुंहज़बानी पूछने का क्या मतलब? यदि पूछने ही आये तो कार भर के आदमियों के साथ क्यों आये? उसके बाद भी कई संदिग्ध लोगों का आना - जाना जारी रहा. इसके बाद मीडिया खबर.कॉम के संपादक ने पांडव नगर थाने में शिकायत दर्ज करवायी. शिकायत की कॉपी साथ में संलग्न है. पुलिस के आला अधिकारियों से भी मुलाकात की गयी और उन्हें पूरी स्थिति से अवगत करवाया गया.
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http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280225693052#c5738771930630531266'> 27 जुलाई 2010 को 3:44 pm बजे
media khabar ke editor pushkar pushp ji ke saahas ko salaam! isase pata chalta hai ki apna kaam imandari se karna kitna muhaal ho gaya hai.
pushkar,aap aage badhein. aap akele nahin padenge.
yah khabar hum tak pahunchane ke liye vineet ji ko shukriya!
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280227101564#c5518104710173944567'> 27 जुलाई 2010 को 4:08 pm बजे
जयपुर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल की घटना याद आ रही है.. अस्पताल में किसी से मिलने जाना था हमें और विसिटर टाईम ख़त्म हो चुका था.. एंट्री के लिए एक एंट्री कार्ड मिला था.. बिना एंट्री कार्ड के कोई ऊपर नहीं जा सकता था.. पर लिफ्ट से ऊपर जाना थोडा कम मुश्किल था.. हम लिफ्ट में चढ़े, गार्ड दरवाजा बंद करता इस से पहले एक लड़का अन्दर आकर खड़ा हो गया.. गार्ड ने उसे कार्ड दिखाने को कहा तो वो बोला चुपचाप ऊपर चल.. गार्ड के दोबारा पूछने पर उसने धमकी दे डाली.. मैं ये सब देख ही रहा था इतने में लिफ्ट में हमारे साथ खड़े एक सज्जन बोले कार्ड दिखाते क्यों नहीं हो ? गार्ड का तो काम है वो तो मांगेगा ही.. फिर मैंने भी उसे हडकाया.. वो लड़का चुपचाप बाहर चला गया,, यदि उस दिन हम चुप रह जाते तो वो लड़का नियमो को ताक पे रख के ऊपर चला जाता और गार्ड भी शायद अगली बार उसे कुछ नहीं कहता.. पर उन सज्जन की जागरूकता से शायद वो लड़का अगली बार कार्ड लेकर ही अन्दर घुसेगा..
खैर! अल्टीमेटली मैं यही कहूँगा कि बुरे लोग इसलिए नहीं डरते क्योंकि अच्छे लोग चुप बैठ जाते है.. पुष्कर जी इन धमकियों से नहीं डरे ये एक मिसाल ही कायम करेगी शायद बाकी न्यूज चैनल वाले अब अपना सिस्टम ठीक करे.. जो भी हो एक अच्छे कार्य में हमें साथ देना ही चाहिए..
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280229553500#c3790181371986090631'> 27 जुलाई 2010 को 4:49 pm बजे
पुष्कर जी आप लगे रहिये हम आपके साथ हैं..
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280236224624#c8502292561960773768'> 27 जुलाई 2010 को 6:40 pm बजे
पुष्कर जी से अभी मैंने बात की है जिससे मुझे आभास हुआ की उनकी लड़ाई अमानवीय व्यवहार और कार्यों के खिलाप है और ऐसा लड़ाई लड़ने वाला व्यक्ति निश्चय ही साहसिक और इस देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति से भी ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य कर रहा होता है | अमानवीय व्यवहार इंसानियत को शर्मसार करता है और ऐसा करने वाला चाहे जितनी उचाई पे बैठा हो उसके खिलाप आवाज उठनी चाहिए तब तक जब तक अमानवीय व्यवहार करने वाला अपने व्यवहार को सही न करे और अपनी गलती के लिए माफ़ी न मांगे | आज इस तरह के प्रयासों की सख्त जरूरत है | अतः हम सभी को पुष्कर जी की हरसंभव तन,मन,धन व अपनी योग्यता से सहायता व सहयोग जरूर करनी चाहिए | आप लोग भी पुष्कर जी को उनके मोबाईल -09999177575 पर फोन कर उनका हौसला जरूर बढायें और जरूरत पड़ने पर उनकी सहायता में पूरी ईमानदारी से तत्पर रहें | विनीत जी आपको इस इंसानियत की आवाज को बुलंद करती पोस्ट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद |
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280245106019#c5078875542584106653'> 27 जुलाई 2010 को 9:08 pm बजे
मीडिया के गुंडों के लिए कुछ बड़ा करना पड़ेगा, केवल कमेन्ट लिखने से काम नही चलने वाला
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280247723805#c1872681933589442790'> 27 जुलाई 2010 को 9:52 pm बजे
हरामियो के करम कांड ,हरामियो को ही लेके बैठेंगे ,सुधर जावो नहीं तो अभी आपस में लड़ रहे हो ,कल को पब्लिक जूते मारेगी ?साले अपने को चोथा खूंटा मानते हें ?खूंटे , खूंटे आपस में क़तर रहे हे ?jai हो ?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280343101002#c88929264187285139'> 29 जुलाई 2010 को 12:21 am बजे
लड़ाई किसी मसले का हल नहीं है. मैंने इस चैनल के प्रोग्राम अभी तक नहीं देखे हैं. मैं इन लोगों में से शायद किसी को जानता भी नहीं हूँ. इस लिये टिप्पणी नहीं कर सकता. हाँ, में पुष्कर को मुंबई से जानता हूँ, जब वह चैनल ९ में थे. दिल्ली में उन्होंने अपने पोर्टल के माध्यम से बहुत जल्द तरक्की की है. इस उम्र में इतनी मेहनत और कामियाबी की सराहना की जानी चाहिए. मैं श्री शाह और उनके समर्थकों को सलाह दूंगा कि वह ऐसे कार्यों में अपनी एनर्जी न बर्बाद करें जो उन्हें पलायन की ओर ले जाए. युवा पीढ़ी को हमारे आशीर्वाद और रचनात्मक दिशा-निदेशन की ज़रूरत है, न कि आक्रोश और पलायन की. यही पीढ़ी कल के भारत का भविष्य है और भावी भविष्य के निर्माण में मीडिया की अहम् भूमिका रहेगी. जीवन क्षणभंगुर है और ग्लोब सिमट चुका है. नफरतें छोड़ दो अब आओ गले मिललें हम/आओ मिल-बैठ के हम दूर गिले-शिकवे करें. कल ज़मीं काँप उठे और मकां गिर जाएँ, तब कहाँ पाओगे लम्हे ये अदावत के तिलिस्म?....
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html?showComment=1280471781933#c3870880768885859220'> 30 जुलाई 2010 को 12:06 pm बजे
पुष्कर जी मीडिया में रह कर मीडिया की सचाईयां सामने लाना प्रशंसनीय दुस्साहस से कम नहीं है। ऑल द बेस्ट।