कल शाम करीब पांच बजे आरएसएस के गुंड़ों ने आजतक चैनल के दिल्ली दफ्तर पर हमला किया और भारी तोड़-फोड़ मचायी। हजारों की संख्या में वीडियोकॉन टावर के भीतर जबरदस्ती घुस आए इन गुंड़ों ने ग्राउंड फ्लोर पर करीने से सजे गमले,मेटल डिटेक्टर डोर और कैफे कॉफी डे को बुरी तरह तहस-नहस कर दिया। चैनल की फुटेज देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये लोग कितनी तैयारी के साथ हमले की नीयत से यहां पहुंचे थे। लेकिन इस हमले को लेकर आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने साफ कहा कि कोई हमला नहीं हुआ है। आजतक के संवाददाता बार-बार वीडियो फुटेज का हवाला देते रहे कि ये सब कैमरे में कैद है लेकिन माधव ने बस इतना कहा कि उत्साह में आकर थोड़ा-बहुत कुछ कर दिया होगा,इसके लिए भी जिम्मेवार आप ही लोग(आजतक) हैं लेकिन लोगों का इरादा हमला करना बिल्कुल भी नहीं था। अब सवाल है कि वन्दे मातरम का नारा लगानेवाले आरएसएस और उसके प्रवक्ता यदि झूठ बोलते हैं तो फिर आगे क्या किया जाए? फिलहाल तो आरएसएस के इन गुंड़ों पर इस बात का चार्ज जरुर बनता है कि उन्होंने जो जमा होकर विरोध प्रदर्शन किया उसकी किसी भी तरह की अनुमति प्रशासन की तरह से नहीं ली। मनमाने तरीके से झंडेवालान की गलियों में जमा हुए और कुछ तख्तियां लगटाकर पहले नारेबाजी और बाद में तोड़-फोड़ मचानी शुरु कर दी। खबर दिखाए जाने तक इस मामले में कुल 9 लोगों की गिरफ्तारी हुई है जिसकी शक्लें चैनल ने अलग-अलग दिखाई। ऐसी शक्लों से हम बुरी तरह घिरे हैं और उनसे निबटने की जरुरत है।
हमले की जो वजह निकलकर सामने आयी है उससे ये साफ है कि चैनल ने आरएसएस और बीजेपी के उन कारनामों को बेनकाब करने की कोशिश की है जिसके मुताबिक वो राष्ट्रीय संगठन या पार्टी कम देश में दहशत और आतंक फैलानेवाली एजेंसी ज्यादा मालूम पड़ते हैं। लोगों के सामने सच आ जाने से बौखलाए इस संगठन ने विरोध की आड में हमला बोल दिया। मामला कुछ इस तरह से है कि आजतक के सहयोगी चैनल हेडलाइन्स टुडे ने उग्र हिन्दूवाद पर एक स्टिंग ऑपरेशन किया। इस स्टिंग के मुताबिक देश के भीतर जो आतंकवाद पनप रहा है उसमें कहीं न कहीं आरएसएस और बीजेपी जैसे संगठनों और राजनीतिक पार्टियों का भी हाथ है। स्टिंग में कुछ ऐसे फुटेज हैं जिन्हें देखने के बाद कहीं से कोई शक-सुवह की गुंजाईश नहीं रह जाती। चैनल ने इसे SAFFRON TERROR का नाम दिया और स्पष्ट तरीके से उन तमाम धमाकों की चर्चा की जिसमें कि इनके किसी न किसी रुप में शामिल होने के सबूत मिलते हैं। आजतक की वेबसाइट पर लिखा है-भारत के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की हत्या की होती है साजिश. आरएसएस का एक पदाधिकारी अजमेर शरीफ और मक्का मस्जिद में हुए धमाकों को निर्देशित करता है. बीजेपी नेता बी.एल शर्मा,दयानंद पांडे और आरएसएस के अधिकारियों की तस्वीरें बार-बार इस स्टिंग में दिखाई देती हैं। पूरी स्टिंग में ये बात पक्के तौर पर स्थापित होती है कि ये लोग कौमी एकता के खिलाफ लगातार सक्रिय हैं और उसके पक्ष में महौल बनाने का काम कर रहे हैं। वैसे भी इस देश में खुद मीडिया,सिनेमा और दूसरे माध्यमों के जरिए एक खास कौम को आतंकवादी करार देने की जो कोशिशें की जाती रही है ऐसे में इन संगठनों को अपना काम करने में बहुत आसानी हो जाती है। अभी तक तो यही आवोहवा बनी है कि कोई भी हिन्दू और उससे जुड़े संगठन आतंकवादी नहीं हो सकते। लेकिन,
हेडलाइन्स टुडे की इस स्टिंग ऑपरेशन को देखने के बाद मुझे लगता है कि देश के सामने एक बड़ा भ्रम जिसे कि मिथक के तौर पर लगातार स्थापित किया जाता रहा है कि हिन्दू कभी भी आतंक का दामन नहीं पकड़ सकते,झटके से टूटता है। साध्वी प्रज्ञा के मामले में कुछ निशान तो जरुर पड़े थे लेकिन भारी राजनीति के बीच वो इस मिथक को पूरी तरह खंडित नहीं कर पाया लेकिन स्टिंग ऑपरेशन और उसके बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया आरएसएस और बीजेपी के लोगों की तरह से आयी और गुंडागर्दी का जो आलम फैलाया उसे देखते हुए हमें इस दिशा में सीरियस रिसर्च की जरुरत है। स्टेट मशीनरी जो सरनेम के हिसाब से कार्यवाही और व्यवहार करती है,उनके आंख और कान और तराशे जाने की जरुरत है। स्टिंग में आरएसएस के एक शख्स ने कहा कि वो एक ऐसी बीज डाल देना चाहते हैं....हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं,ये सब सुनते हुए,देखते हुए।
ये पहला मौका नहीं है जब आरएसएस जैसे हिन्दूवादी संगठन ने किसी मीडिया पर हमला किया है। इससे कुछ ही महीने पहले मुंबई के IBN7 लोकमत पर शिवसेना के लोगों ने हमला किया और भारी तोड़-फोड़ मचायी,गुंडागर्दी की। उससे कुछ महीने पहले ही संत आसाराम के गुर्गों ने अहमदाबाद के गुरुकुल में दो बच्चों की हत्या के मामले में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला किया,मीडिया के लोगों को नुकसान पहुंचाया, आजतक की टीम को घायल किया। गुजरात में ऐसे मामलों की पूरी की पूरी एक शृंखला ही है।..क्या ये महज संयोग है कि लगातार मीडिया पर जो भी हमले हो रहे हैं वो हिन्दू संगठनों की ओर से हो रहे हैं या फिर कहीं न कहीं इस बात के संकेत भी हैं कि खोजी पत्रकारिता को हिन्दू संगठन किसी भी रुप में पचा पाने की स्थिति में नहीं है। दूसरी दिलचस्प बात है कि जब-जब इन संगठनों के असली चेहरे को लोगों के सामने लाने की कोशिश की जाती है,ये संगठन जो कि सालभर तक संस्कृति,शालीनता,भाईचारा,राष्ट्र-निर्माण का पाखंड रचते हैं,अचानक से सबकुछ छोड़कर बर्बर हो उठते हैं। इस किस्म की बर्बरता मौके-मौके पर होती है या फिर इनके वर्किंग कल्चर में ही ये बात शामिल है कि जो भी हमारी बात से सहमत नहीं है,उन्हें तहस-नहस कर दो,उसे बर्बाद कर दो।
आज ये मामला देश के एक बड़े चैनल के साथ हुआ तो हमलोगों के सामने आने पाया है लेकिन ऐसे हजारों मामले होंगे जहां लोग इनकी बातों से सहमत नहीं होते होंगे और संगठन के गुंडे उनके साथ जबरदस्ती करते होंगे,उन्हें बर्बाद करने की कोशिश करते होंगे। दिल्ली ऑफिस में आजतक और यहां के लोगों के साथ जो कुछ भी हो रहा है,उसका असर देश के बाकी हिस्सों में भी तो हो ही रहा होगा। ..और फिर क्या गारंटी है कि इस एक हमले के बाद उनकी साजिश थम जाए। ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि ऐसे संगठनों और उसके आकाओं की शह पर गुंडागर्दी फैलानेवाले के साथ कानूनी स्तर के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर क्या कार्यवाही होनी चाहिए? चैनल सहित दूसरे मंचों ने क्या आरएसएस को बैन कर देना चाहिए जैसे सवाल के साथ राय भेजने की सुविधा शुरु कर दी है लेकिन क्या हर सवालों की तरह इस सवाल का हल क्या सिर्फ एसएमएस के जरिए हल होना है।
नोट- हमने अपने प्रयास से आजतक की इस स्टोरी के कई सारे टुकड़े यूट्यूब पर अपलोड किए हैं ताकि आप हमले की फुटेज देख सकें,कल रात( 16 जुलाई) शम्स ताहिर खान की स्टोरी का यहां ऑडियो लिंक डाल रहे हैं। ताकि आप खबर को सुन सकें। हेडलाइंस टुडे की जिस स्टिंग ऑपरेशन को लेकर आरएसएस के गुंड़ों ने हमला किया,उसका भी लिंक डाल रहे हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि मीडिया पर इस बड़े हमले के सारे प्रायमरी सोर्स आपको मुहैया कराएं जिससे कि इसकी चर्चा महज एक घटना के तौर पर नहीं बल्कि एक समस्या के तौर पर हो सके।
आजतक पर हमले की निंदा एडिटर्स गिल्ड,प्रेस क्लब,बीइए सहित देश के तमाम पत्रकारों और मीडियाकर्मियों ने की है। फेसबुक,बज और ब्लॉग के जरिए लोगों के विरोध हम तक लगातार पहुंच रहे हैं। वेब पर लगातार लिखने और अपनी बात रखने की हैसियत से हम इस घटना की न सिर्फ निंदा करते हैं बल्कि इसके प्रतिरोध में लगातार सक्रिय भी रहेंगे।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279351735222#c9210226318939747587'> 17 जुलाई 2010 को 12:58 pm बजे
बहुत अच्छा लिखा है आपने. मैंने कल टीवी नहीं देखा था. यह खबर इतने विस्तार से और कहीं नहीं मिली जितनी ताना बाना पर.
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279352326479#c1484537520120290850'> 17 जुलाई 2010 को 1:08 pm बजे
Ye bahut hi sharmnaak hai, aur RSS ke leadership ke dimaag mein logical wires ki short-circuit ko khule-aam expose karta hai ---
yahan sab se jyaa kami hai ek spine ki...
1. Pahle to seedhe hamla kar ke tod-fod aur danga karna bahut galat hai - wo chahte to Aaj Tak ko ban karne ki muhim chalate, supreme court mein arze dete, maanhani ka daawa karte, public opinion ko apni taraf karne ka prayas karte - lekin inhone seedhe apne khud ke munh par hi thook Daalaa.. bahut hi na-samajhi bhara step
2. kam se kam reedh ki haDdi mein itni to dam ho ki jo kiya, agar us mein vishwas hai, to khul ke kah sakein ki kiya, aur fir bhogein jo ho so ho
3. RSS apni kabra khod raha hai - ye sab hindu-muslim wala cheez ab developmental issues se dab raha hai - sabko roti, kapda, makaan ki jyada fikra hai, aur agar RSS ko surive karna hai to in buniyadi issues par aana hoga, bajaye in sab bakwaas tareekon ke
4. Rss! agar aap se log darte hein, to aap ka sahyog nahi deneg, aap logon ko daraiye mat, logon ko saath le kar chaliye; nahi to dare log, mauka milte hi aapko kuyein mein dhakel denge chupchaap
5. RSS - rashtriya swayamsewak sangh - Rashtirya - I don't think so | swayamsewa - aisi koi swayamsewa to nahi dikhi kal ajtak ke office mein | sangh - bilkul theek, gundo ka sangh!
6. RSS internet ka ek tool hota hai jiska matlab hota hai 'Really simple syndication' ; mujhe RSS se ab dhyaan ataa hai - 'Really Stupid Sangh'
Oh Lord! please choose between decimating them, and forgiving them, but I recommend giving us relief from such stupidity!
Swapnil
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279354091546#c6620889058807860862'> 17 जुलाई 2010 को 1:38 pm बजे
विनीत भाई…
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता जैसे खामख्वाह के पोलिटिकली करेक्ट बयान नहीं दूंगा… लेकिन,
1) "चैनल ने इसे SAFFRON TERROR का नाम दिया…"
गलत… चैनल ने इसे "RSS का SAFFRON TERROR" नाम दिया… दोनों बातों में ज़मीन-आसमान का फ़र्क है…
भले ही कैमरे पर बोलते वक्त शब्द गड़बड़ा जायें, लेकिन बार-बार "RSS" का नाम लिया /दिखाया / फ़्लैश किया गया है। रविशंकर प्रसाद के सवालों के जवाब तो दे नहीं पा रहा था कल रात को आज तक का जमूरा…
2) "खोजी पत्रकारिता को हिन्दू संगठन किसी भी रुप में पचा पाने की स्थिति में नहीं है…"।
खोजी पत्रकारिता(?) हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा। सारी कथित खोजी पत्रकारिता हिन्दू संगठनों पर ही आजमायेंगे या किसी और के लिये भी बाकी रखेंगे?
3) "चैनलों ने, क्या आरएसएस को बैन कर देना चाहिए, जैसे सवाल के साथ राय भेजने की सुविधा शुरु कर दी है…"
ह्म्म्म्म्म्म वो तो शुरु करेंगे ही भैया… आपातकाल में मीडिया का गला दबाने वाली कांग्रेस तो इनकी प्यारी बहना है :) :) अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता… हा हा हा हा हा…
4) ऐसे हजारों मामले होंगे जहां लोग इनकी बातों से सहमत नहीं होते होंगे और संगठन के गुंडे उनके साथ जबरदस्ती करते होंगे,उन्हें बर्बाद करने की कोशिश करते होंगे। दिल्ली ऑफिस में आजतक और यहां के लोगों के साथ जो कुछ भी हो रहा है,उसका असर देश के बाकी हिस्सों में भी तो हो ही रहा होगा…
हा हा हा हा हा ये हो रहा होगा, वो हो रहा होगा, शायद फ़लाना हो रहा होगा, या शायद अलाना हो रहा होगा… इसे कहते हैं "फ़ोकटिया काल्पनिक घोड़े दौड़ाना…"
==================
अब आप कहेंगे कि चर्चा-पत्र व्यवहार-पुलिस रिपोर्ट-मानहानि का दावा इत्यादि रास्ते भी तो थे… बिलकुल थे… लेकिन क्या भड़काने वाली बात होने पर लाखों कार्यकर्ताओं को तत्काल समझाना-बुझाना सम्भव है? उन लाखों भड़के हुए लोगों में से "चन्द लोग" आज-तक के दफ़्तर पहुँच गये तो क्या किया जा सकता है।
काश, कि देश का "सिर्फ़ 1 प्रतिशत हिन्दू" ही उग्र-आक्रामक और आतंक के रास्ते चले… तो यह सब करने की जरुरत ही न पड़े…।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279355038417#c8819608373633419290'> 17 जुलाई 2010 को 1:53 pm बजे
कल रात रविशंकर प्रसाद जी ने "खेद प्रकट" करने की Modesty दिखा दी थी…
मुझे याद नहीं पड़ता कि किसी चैनल ने उनकी "1700 से अधिक" गलत खबरों, गढ़ी गई खबरों, ब्लैकमेल के लिये लिखी गई खबरों, पैसा खाकर लिखी गई खबरों… ऐसी खबरों-वैसी खबरों…… पर कभी कोई खेद प्रकट किया हो…।
कैमरे और लेखनी की "बेजा ताकत" का इतना गुरूर भी ठीक नहीं है…
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279355246514#c5404678528218151357'> 17 जुलाई 2010 को 1:57 pm बजे
kuchh bhi ho, kaisa bhi ho, kitna bhi galat ho - lekin utha ke gunda-gardi kar daalna ekdum justify nahi kar sakte hein aap!
An eye for an eye (even if I assume that aaj-tak took away one of yours) will make us all blind. Think hard!
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279355830148#c2490387308092933127'> 17 जुलाई 2010 को 2:07 pm बजे
स्वप्निल भाई…
सहन करने की भी एक सीमा होती है… जब कोई बार-बार गला फ़ाड़कर "RSS ka SAFFRON TERROR" चिल्लयेगा तो ये कैसी जिम्मेदार पत्रकारिता कही जा सकती है?
इमरजेंसी के दौरान सभी अखबारों और पत्रकारों के पिछवाड़े में डण्डा करने वाली कांग्रेस आज इन चैनलों को प्यारी है तथा मीडिया को दस साल में एक भी इंटरव्यू न देने वाली, बड़े-बड़े पत्रकारों को "दरबान" बनाये रखने वाली "इटली की मैडम" से एक सवाल पूछने की भी औकात नहीं है इन चैनलों की…। इसलिये आसान निशाना बनाते हैं हिन्दुत्ववादी संगठनों को… जिससे TRP बढ़े, मैडम खुश हों, चन्दे में बढ़ोतरी हो…
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279356202885#c871736220582461785'> 17 जुलाई 2010 को 2:13 pm बजे
जब भी मुद्दे पर आपकी कलम चलती है कटार की तरह लगती है। आपसे पूरी तरह सहमत हूं।
आरएसएस के गण्डों को कड़ी से कडी सजा मिलनी चाहिए। लोकतंत्र में किसी संस्था की त्रुटियों की आड़ में उसमें गुण्डागर्दी का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। क्या पता कल यही गुण्डे संसद पर हमला कर दें कि संसद सही से काम नही कर रही है।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279356240320#c1327709175790160449'> 17 जुलाई 2010 को 2:14 pm बजे
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279357717237#c4263786474406325885'> 17 जुलाई 2010 को 2:38 pm बजे
वैसे इसी बहाने मुझे कल रात सभी चैनलों पर खबर तो देखने को मिली.. वरना तो उड़ते इंसान, देवी लड़की, स्वर्ग के द्वार, और पारस पत्थर ही दिखाई देते थे.. और हाँ कल पहली बार आजतक की किसी एंकर के मुंह से मैंने सुना कि मिडिया लोकतंत्र का चौथा खम्बा है.. चलिए इतना तो पता है इन्हें.. असामाजिक तत्व और न्यूज चैनलस आपस में लड़ रहे है.. क्योंकि दोनों ही एक जैसे है.. मुझे किसी से कोई हमदर्दी नहीं.. दोनों ही अपने अपने काम को छोड़कर दुसरो की लंगोट में हाथ घुसेड रहे है.. परिणाम तो दोनों को ही भुगतना है..
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279359326885#c9133532332706936577'> 17 जुलाई 2010 को 3:05 pm बजे
Suresh ji, aapki baat bilkul sahi hai ki sahan karne ki ek seema hoti hai.
aap bataein ki 'saffron terror' ke badle mein yadi RSS pramukh ek open challenge kar ke seedhe studio mein pahunch se janta ke saamne bahas Chhed dete to kya jyaada mature decision nahi hoga.
maan leejiye aj tak nahi allow karta jaane ke liye, to kya wo kisi bhi aur channel ke through apni baat janta ke saamne nahi laa sakte the....mujhe ye bataiye ki civil bahas se kyon darte hein, ya kyon bachte hein,, ya fir kyon us solution ke through nahi sochte jo bina maar-peet ke ho sakta hai...
such mein agar aisa challenge dete RSS pramukh, to mein unka kayal hota. aur ye baat bilkul sahi hai ki news channels ko bhi sirf galaa faaD kar chillana aataa hai, newsfacts present karna nahi - wo bhi bahut hinsaatmak log hein,, lekin 'an eye for an eye' RSS ko shobha nahi deta hai!
... aur meine bachpan mein Shakha khoob attend ki hai, aur mujhe bahut achchi lagti hai .. ut-thisth bharat! aur khargosh-bhediya ke khel vagerah, jo maansik aur shaareerik vikaas karwate the...lekin ye kya ho raha hai dekhiye!
mein dukhi hun such mein ... aap ka reaction zaroor chahunga.. (aur pichhwade agwade ke bina, ekdum kewal logical baaton se, please)
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279361092340#c1460858571130864813'> 17 जुलाई 2010 को 3:34 pm बजे
कल रात टीवी नहीं देख पाई थी लेकिन सुबह कुछ मैसेजस थे आजतक पर हमले के। विनीत जब भी बात होगी हिन्दू टेरिरिज्म की, तो सहमत होने से ज्यादा असहमति में स्वर उठेंगे। बात यह नहीं है कि किसके कहने पर क्या हो रहा है, लेकिन जो गलत है उसकी भर्त्सना की ही जानी चाहिए। कोई भी किसी पर (मीडिया हाउस) हमला करे तो क्या केवल इसे इसी बात पर जस्टीफाई कर दिया जाए कि वो हिन्दूवादी संगठन है। इस हमले की सभी को एक स्वर में निंदा करनी चाहिए और हम भी कर रहे हैं।
....विनीत मेरे यहां यू ट्यूब और आपके बाकी लिंक्स नहीं खुल रहे हैं केवल टेक्स्ट पढ़ पा रही हूं।
...कुश बैड न्यूज इज आलवेज गुड न्यूज, वैसा ही आपको लगा होगा कि चलो बरसों बाद आजतक पर खेल तमाशे की बजाय खबर तो देखने को मिली।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279363500936#c6733140899641891755'> 17 जुलाई 2010 को 4:15 pm बजे
इसे जस्टिफाई भी किया जा सकता है.. क्या तर्क दिए है सुरेश भाई अपने और राम माधब ने..
जय हो..
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279373134103#c4055624663160467163'> 17 जुलाई 2010 को 6:55 pm बजे
यदि 1000-1500 लोगों की भीड़ "सुनियोजित" (जी हाँ यही शब्द थे एंकर के)। सुनियोजित तरीके से दफ़्तर पर हमला करते, तो न वो एंकर दिखाई देता, न स्टूडियो, न कैमरा…। "सुनियोजित" का मतलब तो पता नहीं है, चले हैं पत्रकारिता करने…
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279373565613#c2077611634213560321'> 17 जुलाई 2010 को 7:02 pm बजे
1) इशरत जहाँ मामले पर मोदी को बदनाम करने वाले कितने निष्पक्ष पत्रकारों ने "खेद" प्रकट किया है अब तक?
2) बहस में एक और सज्जन(?) अत्यंत सक्रिय थे वे थे स्टार के शाजी जमाँ। शायद लोगों को यह पता नहीं है कि मालेगाँव विस्फोट के सम्बन्ध में जब "हिन्दू आतंकवाद" की परिभाषा इन्होंने पहली बार गढी थी और देश के एक अत्यंत प्रतिष्ठित संत के विरुद्ध इस चैनल ने अभियान चला रखा था तो एक गुमनाम पत्र इनके पूरे स्टाफ और स्वामियों को भेजा गया था और इसमें शाजी जमाँ की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाये गये थे…
3) बरेली में कुल दस दिन तक दंगे हुए और लोगों का जीवन दूभर हो गया और प्रशासन को भी हवाई मार्ग से शहर में उतरना पडा लेकिन "निष्पक्ष" (हा हा हा) और निर्भीक(?) चैनल ने एक बार भूले से भी उल्लेख नहीं किया क्यों?
4) सीबीआई के निदेशक अश्विनी कुमार द्वारा आधिकारिक रूप से पत्रकारों को यह बताये जाने के बाद कि अजमेर और मक्का मस्जिद धमाकों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी भी पदाधिकारी से पूछताछ नहीं की गयी है इस समाचार को क्यों नहीं प्रमुखता दी गयी? यदि आप निष्पक्ष (हा हा हा) हैं तो फिर इस समाचार को प्रमुखता क्यों नहीं मिली?
5) पत्रकारिता के नाम पर राजनीतिक एजेंडा चलाने वाले और किसी राजनीतिक दल विशेष या विचारधारा विशेष या फिर मजहब विशेष के प्रति सहानुभूति रखते हुए अन्याय का सहारा लेने वाले चैनलों को देखना बन्द करें…
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279373908709#c2604758410588187650'> 17 जुलाई 2010 को 7:08 pm बजे
@ रंगनाथ सिंह जी - आप तो महान विद्वान हैं साहब, मैं तो एक तुच्छ सा ब्लागर हूं, मेरी क्या औकात है कि आपसे बहस करुं…
संसद ठीक से काम नहीं कर रही ये तो सभी जानते हैं, पर जिसने संसद पर हमला किया, वो तो अभी भी "दामाद" का सुख भोग रहा है।
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279374852583#c8035633282365064955'> 17 जुलाई 2010 को 7:24 pm बजे
महक जी ! आप अनवर जी के ब्लाग पर आये तो आपको चन्द सवर्णों से परिचय हो गया , अगर आप किसी दलित के ब्लाग पर गये होते तो आपके दिव्य दृष्टि क्षेत्र में आज कुछ दलित भी जरूर होते। आप कह सकते हैं कि मैं किसी ब्लाग पर दलित सवर्ण देखकर नहीं जाता। चलिए मान लिया लेकिन मुद्दा देखकर तो जाते हैं क्या आपको किसी दलित चिंतक की बात में दम ही नजर न आया।
आप के पास सब कुछ है । ब्लागिंग आपके लिए एक व्यसन है एक अय्याशी है। आप नेता न बन सके आप संसद में न जा सके तो आप ने एक आभासी संसद बना ली है। किसी वीडियो गेम की तरह खेलते रहिये इसे। क्षमा कीजिये मैं ठोस काम में यकीन करता हूं। कभी आपको निष्पक्ष और ठोस काम करते देखूंगा तो खुद आकर सम्मिलित हो जाउंगा। अभी तो यह मृग मरीचिका आपको और आपके जैसे पेट भरों को ही मुबारक हो। यह लेख मैं कल पोस्ट करता लेकिन नेट गड़बड़ा गया था। यह लेख आज भी प्रासंगिक है।
मैंने तो पहले ही कहा था कि सच को झेलना हरेक के बस की बात नहीं है और विशेषकर आप जैसे धंुधग्रस्त के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। मुझे पता है कि हिंदू परंपराओं के रखवालों ने टीवी चैनल्स तक पर हमले किये हैं। बाबा साहब की ‘द रिडल्स आफ हिंदूइज्म‘ पर भी बैन लगवाया है। आज भी स्थिति बहुत अधिक बदली नहीं है http://hindugranth.blogspot.com/2010/07/blog-post_15.html
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279375131585#c191303727554320994'> 17 जुलाई 2010 को 7:28 pm बजे
सावधान… सावधान… "सत्य गौतम" कोई और नहीं, बेनामी जेहादी समूह का एक सदस्य है…
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279376861186#c3159636189670262427'> 17 जुलाई 2010 को 7:57 pm बजे
देखते रहे हे सारे चैनलों की हकीकत ,की केसे सानिया किशादी में उसके घर के दरवाजे पर शहनाई नंगाड़े ले कर बेठ गए थे सारे विजुअल चैनल वाले ,जबकि मवोवादियो का कहर जारी था उस टाइम ,इस भांड पने को अपना रास्ट्रीय शगल बनाने वाले चेनलो का कोई विश्वास नहीं |
लगातार उठते बैठते सोते जागते .नहाते खाते .चलते फिरते ,हिन्दुत्व को कोसना ,यदि वो संघटित होता दिखे तो उसे गरियाना ,ये कोई नशा या पागल पन नहीं ,सुनियोजित पैसा और सुविधाए ले कर प्रोफेशनल तरीके से काम करना कहा जायेगा ?
(३)बरेली दंगे हो या गुजरात का सव्र्निम उत्सव किस रास्ट्रीय चेनल ने उसे दिखाया हो रंज मात्र भी ,क्या ये ही इन भांडों की निष्पक्षता हे ?
(४)लास्ट में इंटर नेट के इस युग में इन भांडों से की दान दक्षिणा भी जाने वाली हे ,यदि हो सके तो राजकीय भांड बन जाये ?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279377945453#c7621097165784063411'> 17 जुलाई 2010 को 8:15 pm बजे
ये निष्पक्षता के ठेकेदार,कोई तो सुरेश जी के प्रश्नो के उत्तर दे।
हम भी तो जाने क्या होता है,लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और उसके काम,एवं उसकी पैरोकारी!!!!
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279378896519#c7947191600634198419'> 17 जुलाई 2010 को 8:31 pm बजे
विजुअल मीडिया की हकीकत किसी से छिपी नहीं हे ,की टी.आर .पि के लिए वो कितना गिर सकता हे ,हालाकि अब कुछ भी बाकि नहीं गिरने में
सेलेब्रेटियो की शादियों फंक शनो में केसे दरवाजे पर एक खाने के लिए मंगते भिकारियो की तरह टक टकी लगाये रहते हे(BAIT के लिए ) ,ये हे रास्ट्रीय चेनल के रास्ट्रीय पत्रकार का कर्तव्य ?
(२)पत्रकारिता का तो मूल उद्देश्य तो किसी सताधारी विचारधारा को बेच खाया ,अब दूकान चलने को खोजी पत्रकारिता कहंगे तो ,आंध्र परदेश के पूर्व राज्यपाल तिवारी को आप ने नंगा क्यों नहीं पकड़ा ?फिर केसे इस मामले को हजम कर लिया गया ,गुड मुड़ क्योकि ताय्जी नाराज हो जाती|
वाह रे खोजी पत्रकारों ,और उनके हुक्मरानों ,अगर थोडा जमीर बचा हे तो ,(जेसे कोई प्लाट बचा लेता हे) सभी की खोज करो .क्या पेसे ले कर विचार धरा के लिए काम करना हे तो अकबर दरबार के तानसेन से तूम कोछ ज्यादा नहीं हालाकि वो नवरत्न था ,तूम कोई भी रतन नहीं ?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279379915696#c8773662771312455275'> 17 जुलाई 2010 को 8:48 pm बजे
निश्चय ही निंदनीय है इस तरह की घटनाएँ.
बढ़िया रिपोटिंग विनीत दिनों बाद पुराने फार्म में नजर आये....
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279380516202#c7483882471492161815'> 17 जुलाई 2010 को 8:58 pm बजे
एक मॉडल की मोंत को रास्ट्रीय आपदा मानने वाले विजुअल मिडिया की एक गेर जिमेदाराना हरकत की ७६ सी .आर .पि .ऍफ़ की शहादत से ज्यादा कवरेज मिला उसकी अय्याश मोंत को ?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279414466614#c4153972987778375512'> 18 जुलाई 2010 को 6:24 am बजे
ये टी.वी मिडिया है ही इसी लायक ! इन्हें जितने जूते पड़े कम ही है !
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279424726327#c7114594339968837631'> 18 जुलाई 2010 को 9:15 am बजे
prbhaat ji ki tippni is lekhn men bhut ahmiyt rkhti he aapne jo kuch bhi sch prstut kiya he yeh aar aes aes se mile ptrkaaron ne apne print idiyaa or ilektroni miiyaa men jaan bujh kr nhin diyaa he kitni khrab baat he ke aek blogr ko akhbaaron men khbr pdhne ko nhin mile lekin ab blog ki duniyaa men aap jes lekhkon ne in sodebaas fisddi ptrkaron ki pol kholnaa shuru kr di he kyonki asli aazaadi ise hi khte he kisi maalik kaa gulaam bn kr uske ishaare pr kaatne or bhonkne vaale ko ptrkaar kh hi nhin skte aapi post bhut bhut rochk pandidiaa he bdhaayi ho . akhar khana akela kota rajsthan
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279431392624#c7888057730807451900'> 18 जुलाई 2010 को 11:06 am बजे
इन संगठनो का हमेशा से यही काम रहा है
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279433170574#c4361900743140078446'> 18 जुलाई 2010 को 11:36 am बजे
अच्छा लगा जानकर की आजतक एक समाचार चैनल है.....बिना सिरपूंछ की भूत पलीत वाली कहानियों वाले चैनल को.....या जिन पर आरुषी या राहुल बाबा की कहानियां आती है उसे शायद समाचार चैनल ही तो कहते होंगे न
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279436957409#c7740960845731510629'> 18 जुलाई 2010 को 12:39 pm बजे
हिन्दू इतना उग्र क्यों होता जा रहा है ? -तारकेश्वर गिरी.
हिन्दू इतना उग्र क्यों, आखिर वजह क्या है कि शांति का सन्देश फ़ैलाने वाला समाज आज उग्र हुआ पड़ा है, कुछ एक को छोड़कर सभी राजनितिक दल हिन्दू विरोधी हो गए हैं , सारे मीडिया वाले भी हिन्दू विरोध का प्रचार कर रहे हैं . आखिर हिन्दू इतना उग्र क्यों हो गए हैं.
बहुत ही गंभीर विषय है आज कि तारीख में . हिन्दू आज से १००० साल पहले इतना उग्र क्यों नहीं हुआ . अगर पहले ही इतना उग्र हो गया होता तो शायद भारत का नक्शा कुछ और ही होता , आखिर हिन्दू के उग्र होने कि वजह क्या है ?
क्या इसके पहले सिर्फ वोट कि राजनीती है ?
क्या इस पर धार्मिक दलों (दुसरे धर्मो का ) का दबाव है ?
आज भारत में भी हिन्दू डर करके जी रहा है, कंही मुस्लिम से तो कंही इसाई से तो कंही सरकार से आखिर क्या वजह है ?
पूरा संसार इस बात को अच्छी तरह से जनता हैं कि जब भी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया है तो उनका उद्देश सिर्फ राज करना ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म को तहस - नहस करना भी था। हिंदुस्तान में जितने भी पुराने मंदिर थे , उनको तोड़ कर के या तो मस्जिद बना दिया गया या कब्र बना दिया गया है।
इतने के बावजूद भी क्या हिन्दू उग्र नहीं होगा.
१. हिंदुस्तान में सभी पुराने मंदिरों को तोड़कर के मस्जिद या कब्र बना दिया गया. - हिन्दू सहता रहा .
२. हिंदुस्तान में हिन्दू कि हालत एक गुलाम जैसी हो गई - हिन्दू सहता रहा.
३. सोमनाथ का मंदिर लूट लिया गया - हिन्दू सहता रहा.
४. कश्मीरी पंडितो को कश्मीर से भगा दिया गया और उनके मंदिरों कि जगह मस्जिदे बना दी गई - हिन्दू सहता रहा .
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279554417937#c171683684452849849'> 19 जुलाई 2010 को 9:16 pm बजे
यंहा जो कुछ लोग अपने को अच्छा और भद्र दिखाने के लिए इतनी अच्छी बाते करते हे की ,ऐसे लगता हे जेसे गोलगप्पे खाए जा रहे हे ,,,,,साधुवाद हे भाइयो और बहनों ?शर्म हम को आती नहीं ,की केसे एक एक करके आप के कपडे उतारे जा रहे हे ?
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1279555755198#c1156858272811041905'> 19 जुलाई 2010 को 9:39 pm बजे
भाइयो कश्मीरी पंडितो की हालत देख लेना,दर दर के भिकारी बना दिए गए हे ,और अभी ताजा अमरनाथ यात्रा को ले कर उठा बवाल ,की १५ दिनों कियात्रा कर दी जाये ,चलाया इस कांग्रेस के """नाई""" मीडिया ने kempen इस के खिलाफ ?हे किसी के pas जवाब ?तीर्थ यात्रियों के गाडियों के टेक्स २००० से २५० पर्तिदिन कर दिए कुछ कहा यु.पि.अ गवर्मेंट ने या इस नाई ने ?क्योकि हिन्दू pichavde में जलन लगने तक सहने का आदि हे ?सहे javo |
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1280929212254#c6898282084720452603'> 4 अगस्त 2010 को 7:10 pm बजे
साहब जी, किसी व्यक्ति या संगठन को किसी भी विशेषण से नवाजने के लिये आप अपनी "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" के तहत स्वतंत्र हैं....और जैसे आप स्वतंत्र हैं ना, वैसे ही ये घटिया पत्रकारिता रूपी वेश्या के नाजायज संततिरूपी प्रतिनिधिगण है. आजतक ने अपने साइट पर एक पोल डाला था कि RSS को बैन करने के संबंध में, जरा उस पोल के अंतिम निर्णय को भी देख आइए. और हां, सारी बातों के स्वयंभू ठेकेदार या जज ये पेट की आग के लिये कहीं भी बिछ जाने वाले मीडियाई गुंडे और भांड ही नहीं है. देश इनके बिना भी सोचता है...हां हजार बार एक झूठ को दिखाकर सच साबित करने की कोशिश में लगे रहिए महान् मीडिया के भांडगण !!
http://taanabaana.blogspot.com/2010/07/blog-post_17.html?showComment=1306334748832#c2384992355738433398'> 25 मई 2011 को 8:15 pm बजे
RSS ne bilkul sahi kiya .tum chanel bale apne desh main bhi videshi juwan bolte ho .kabhi RSS ka matlab bhi jante ho !main hota to aag laga deta aaj tak ki puri teem ko .........BHARAT MATA KI JAI