अब कोई पूछे कि कब शादी कर रहे हो, तब देखिए कि कैसे एकदम से जबाब देते हैं। सीधे बोलेंगे- जिस दिन किसी लड़की में रब दिख जाएगा, उस दिन कर लेंगे। अब तो इ भी झंझट खत्म हो गया कि जब बाबूजी खिदरचक में कोई लड़की देखें और इधर दिल्ली में ही किसी लड़की से मामला चल रहा है तो क्या बोलकर मना करें। सीधा-सीधी जबाब होगा- बाबूजी, लड़की में कोई ऐब नहीं है। मेरा मन भी भर जाएगा और आपका पाकिट भी। बाकी हमको लड़की में एक बार भी रब नहीं दिखा। अब आप ही बताइए, जिस लड़की में एक भी बार रब दिखे ही नहीं, उससे शादी कैसे कर लें। सच पूछिए तो इ फिलिम रब ने बना दी जोड़ी ने हम जैसे लाखों लड़कों के झंझट को हर लिया। ऐसे ही चोपड़ा बैनर का नाम नहीं है। औऱ उसको देखिए, बिसेसरा को। एक दिन रोहिणी दवाई लेने जाता है तो दूसरे दिन मुनिरका में किताबों पर जिल्द चढ़वाने। दिन खेपने के लिए तो ठीक है कि आदमी दिल्ली के हर कोने में एक लेडिस को बझा के रखे, बाकी शादी के समय तो कन्फ्यूजन तो होगा ही न। इ सिनेमा से ट्रिक मिल गया कि, जिस दिन लगे कि फाइनली हमको शादी करना है, उस दिन हाथ-मुंह धोओ औऱ बस लगा लो ध्यान। एकदम से किलियर हो जाएगा कि किसमें तुमको रब दिख रहा है।
रब ने बना दी जोड़ी का ये मुहावरा कि हमको उसमें रब दिखता है, पॉपुलर हो चला है। पोल्टू दा इसे प्रोपोज करने का तोड़ मानते हैं। उनका साफ कहना है कि-जाकर सीधा बोलेगें, हमको तुममे रब दिखने लगा है तो हम क्या करें। जब उपर वाले को तुम्हारे हां या न कि चिंता नहीं है तो फिर हम कौन होते हैं कि उसमें टांग फंसाएं।
चदू जो अपने बारे में बताता है कि उसके गांव में लड़की-औरत सब लखैरा कहती है़। लखैरा माने लड़कियों को गलत नजर से देखनेवाला औऱ वो भी सिर्फ बाहर की लड़कियों को नहीं। घर ही में भाभी और हम उम्र की चाचियों को बोडिस का हुक फंसाते हुए देखनेवाला। सच मानिए तो इ सिनेमा फिर से उमरदराज लड़कियों, औरत के प्रति अट्रेक्शन पैदा करता है। एगो तानी पर चार गो प्रियंका चोपड़ा भारी पडेंगी। लेकिन इ बात से एकदम पसंद नहीं आया कि सबकुछ राज से हुआ औऱ अंत में आउटडेटड बुढउ पंजाब पावर हाउस का सुरेन्द्र साहनी ही पसंद आया।
हीतेश बाबू एकदम से तड़क गए- फिल्म बना रहे हो, ठीक कर रहे हो लेकि ये क्या है कि तुम अपनी ऑडियोलॉजी झोंक दो। अब बताइए- अंधा भी रहेगा तो तानी का डॉयलॉग डिलवरी से समझ जाएगा कि वो लाइडिंग योर लाइफ करनेवाले सुरेन्द्र को न पसंद करके राज को पसंद करती है। लेकिन भाई पैसा लगाए हैं चोपड़ा साहब तो दिमागी तौर पर ऑडिएंस को गुलाम तो बनाना चाहेंगे। शाहरुख को पहले तो पढ़ाकू के नाम पर कार्टून बना दिया। आए कोई डीयू, जेएनयू या जादे नहीं तो मुजफ्फरपुर का लंगट कॉलेज, क्या टॉपर लोग ऐसा ही होता है। पढ़ने में तेज-तर्रार होनेवाले को चंपू जैसा दिखाना हीतेश बाबू को खल गया।
बाकी एक काम समझदारी का शुरुए में कर दिया है कि तानी का मास्टर बाप पांचे मिनट के शॉट में अपनी बेटी का हाथ कॉलेज के टॉपर के हाथ में सौंपकर चला गया। सही कहते हैं शुक्लाजी कि तुम जैसे होनहार को लड़की पसंद करे चाहे नहीं करे लेकिन लड़की का बाप जरुर पसंद करेगा। इसलिए बस जमे रहो, अभी भी देश में लाखों लड़कियां है जो हैप होते हुए भी, अल्ट्रा मार्डन होते हुए भी शादी अपने मां-बाप की मर्जी से ही करती है। बचपन में उसके बाप के हाथ से कैडवरी और नूडल्स खाने का असर संस्कार के रुप में बचा रहता है। इसलिए लव मैरेज न सही, एरेंज में ही समाज में साथ ले जाकर जाने लायक पत्नी मिल जाएगी। तानी को हल्के में ले रहे हो। जब तक विपत्ति औऱ बाप के गम में रही तब रही लेकिन जैसे ही डांसवाला शौक शुरु हुआ तो देखो कैसे श्यामक डावर ने बेजोड़ कोरियोग्राफी करवा ली। और फिर हम तो साफ कहते हैं कि जो मजा अरेंज मैरेज में है, वो मजा टक्का-पचीसी करके करने में नहीं है। कुंदन बाबू दम ठोककर बोले। बैठके हिसाब लगाइए कि आपलोगों में से किसकी इमेज ऐसी है कि प्रोफेसर अपनी बेटी का हाथ आपको सौंप जाए। कोई जरुरी नहीं कि मर ही जाए, विदेश चला जाए विजिटिंग फैलो बनकर. इतना कामना तो कर ही सकते हैं।
अच्छा इस बात पर किसी का ध्यान ही नहीं गया कि जोड़ी कितनी भी पुरानी क्यों न हो, अगर अहसास है तो लगेगा कि सीधे मंडप से उठकर आए हैं और एक बार भर जी पत्नी का मुंह देखने का मन कर रहा है। आप भूल जाएंगे कि आपकी पत्नी से हल्दी का बास, मसाले की गंध और तेजपत्ता का झरझरा सुगंध आता है। इस हिसाब से कहिए तो मिश्राजी जिसके भी वैवाहिक जीवन में फीरिक्शन पैदा हो गया हो, जिसको लगता है कि वो घर तब पहुचे जब पत्नी सो जाए तो उसको एक बार फिर से शादी में जिंदगी का मतलब समझ में आएगा। वो भूल जाएगा कि शादी में सिर्फ किच-किच ही नहीं शिरी-फरहाद के एहसास तक पहुंच जाने की ताकत भी है।
इसी भसोड़ी के बीच मेरे मोबाइल पर फ्लैश होता है- ब्रेकिंग न्यूज, पटेल हैज गॉट मैरेड एंड बी आर इन द पोजीशन, स्टिल शेकिंग स्टिल मूविंग।...आगे कल
http://taanabaana.blogspot.com/2008/12/blog-post_19.html?showComment=1229670960000#c526784377100418310'> 19 दिसंबर 2008 को 12:46 pm बजे
antarvastu ka to pata nahi....magar...bhasha me desajpan se padhane me maaaazzzzzaaaaa aagaya......andaj apna-apna