मेनस्ट्रीम की मीडिया में भी ब्लॉग को लेकर चर्चा शुरु हो गई है। वैसे तो अखबारों या फिर पत्रिकाओं में समय-समय पर ब्लॉग से जुड़े मुद्दे छपते रहे हैं लेकिन आज एनडीटीवी 24*7 ने इस पर एक घंटे का बाकायदा शो किया। प्राइम टाइम में वी द पीपुल में बरखा दत्त ने ब्लॉग के अलग- अलग मसलों पर लोगों से सवाल किए, एक्सपर्ट कमेंट्स लिए और कुछ ब्लॉगरों से बातचीत भी की। इस बातचीत में अपने हिन्दी के ब्लॉगर रवीश कुमार भी शामिल थे। प्राइम टाइम में ब्लॉग पर चर्चा किया जाना ब्लॉग दुनिया के लिए वाकई एक बड़ी खबर है। आप समझते सकते हैं कि मेनस्ट्रीम की मीडिया भी हमारे इस काम को सीरियसली समझना चाहती है और उसे भी इस बात का एहसास होने लगा है कि आनेवाले समय में ब्लॉगर भी जर्नलिज्म के ट्रेंड को प्रभीवित कर सकता है। ब्लॉगिंग करनेवालों के लिए ये एक सुखद स्थिति है।
पूरे एक घंटे को अलग- अलग सिग्मेंट में बांटा गया और हरेक सिंगमेंट ब्लॉग के अलग-अलग पहलुओं पर आधारित थे। इसके साथ ही लीगल एक्सपर्ट के साथ-साथ साइकियाट्रिस्ट और ब्लॉग वर्क्स के फाउँड़र को भी एक्सपर्ट कमेंट्स देने के लिए बुलाया गया। ये दोनों बाते इस बात की ओऱ इशारा करती है कि मेनस्ट्रीम की मीडिया जहां ब्लॉग के तमाम पहलुओं के साथ-साथ इसके सोशल और साइको इफेक्ट को भी समझना चाहती है। चैनल का इस बात पर भी जोर रहा कि ब्लॉग को लेकर क्रेडिविलिटी कितनी है और कितना भरोसा किया जा सकता है ब्लॉगरों की बातों का। इन सबके बीच कानूनी पेंच कहां-कहां फंस सकते हैं। हम जैसे दर्शकों के लिए ये पूरा शो इन्फार्मेटिव तो रहा ही इसके अलावे चैनल को भी इस बात का अंदाजा लगा कि किस तरह के दिल-दिमाग को लेकर लोग ब्लॉगिंग कर रहे हैं और क्या वाकई आनेवाले समय में ब्लॉग समाज के अलग-अलग स्तरों पर जमें हायरारकी को चैलेंज करेगा और मेनस्ट्रीम की मीडिया को प्रभावित कर सकेगा।
बातचीत के क्रम में ये बात और साफ हो गया है कि ब्लॉग क्या कुछ कर पाएगा ये बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम ब्लॉगिंग को किस रुप में लेते हैं। अगर हमारा ईशारा इस बात की ओर है कि ब्लॉगिंग से सामाजिक हालातों को कुछ हद तक बदला जा सकता है या फिर उस स्तर पर समझा जा सकता है, जिस पर जाकर मेनस्ट्रीम की मीडिया नहीं सोच पाती।( ऐसा भले ही प्रोफेशन के दबाब या फिर अन्य कारणों से हुआ हो।) लेकिन अगर हम ब्लॉगिंग को जस्ट फॉर फन के तौर पर ले रहे हैं तब तो ये अपनी बातों को शेयर करने का माध्यम भर होगा, सही अर्थों में कोई सोशल टूल या फिर अल्टरनेटिव मास मीडिया नहीं। ब्लॉग को पर्सनल या फिर पब्लिक डोमेन के रुप में समझने वाली बात इसी से जुड़ी है। जो कि अंग्रेजी ब्लॉग और हिन्दी ब्लॉग को कटेंट पर बात करने के क्रम में और भी साफ हो गया।
शो में चार अंग्रेजी के ब्लॉगर थे और हिन्दी के एक। जाहिर है ये अंग्रेजी चैनल और शो है इसलिए ऐसा हुआ और रवीश कुमार ने तो दिन की पोस्ट में कहा भी कि उन्होंने एनडीटीवी में होने का लाभ उठाया। लेकिन पोस्ट पढ़कर इतना भरोसा हो आया था कि ये हिंदी ब्लॉग के प्रतिनिधि के रुप में अपनी बात रखेंगे और ऐसा हुआ भी।
अंग्रेजी के तीन ब्लॉगरों ने जिस कंटेंट पर बात की वो सेक्स और रिलेशनशिप से जुड़े थे जबकि एक दूसरी ब्लॉगर झूमर अपने ब्लॉग में फेमिनिज्म से जुड़े मुद्दों पर पोस्ट लिखने की बात कर रही थी। भाषाई बदलाव के साथ-साथ कंटेंट यानि बात करने के मसले बदल जाते हैं, ये तो मानी हुई बात है और अंग्रेजी ब्लॉगरों की बातचीत से ये साबित भी हो रहा था कि उनके मुद्दे और ट्रीटमेंट का तरीका हिन्दी ब्लॉगरों से अलग है. रवीथ कुमार ने कहा भी वो ब्लॉग पर घर में फ्रीज आने की बात पर लिख रहे हैं और पाठक उस पर अपनी यादों को जोड़ रहा है। यानि ब्लॉग पर्सनल रह ही नहीं जाता। लोग उन्हें कमेंट्स करते हैं और उनकी बातों का विरोध भी करते हैं। वे इससे सीखते हैं और पहले से ज्यादा समझदार हो रहे हैं। एक अर्थ में हम कहें तो रवीश का इशारा इस बात पर रहा कि ब्लॉग ने उन्हें सोशल बनाया, दुनिया के बीच रोज बोलते रहने पर भी जिस अकेलेपन का बोध होता है, उसे कम करता है, वगैरह-वगैरह। यानि साइको इफेक्ट की जो बात करने के लिए एक्सपर्ट आए थे औऱ ब्लॉग के जरिए पहले से ज्यादा सोशल कन्सर्न रखने की बात कर रहे हैं, रवीश ने अपनी बात करके उन सबके लिए केस स्टडी दे दिया।
इन सब बातों के बीच एनोनिमस, ठेठ हिन्दी में कहे तो ब्लॉग के नाम पर टुच्चापन करने का मसला छाया रहा और इस बात का यही निकाला गया कि ब्लॉग को लेकर शेल्फ रेगुलेशन और इथिक्स को मानना ज्यादा जरुरी होगा, बजाय इसके कि सरकार या कोई दूसरी ऑथिरिटी इसमें कूद पड़े।
पूरे शो में बरखा मजे लेती नजर आयी और वादा किया कि वो भी अपना ब्लॉग बनाएगी, जाहिर है अंग्रेजी में ही।
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http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200287220000#c8722755614433248432'> 14 जनवरी 2008 को 10:37 am बजे
चलिये ब्लागर्स भी अपना अस्तित्व और पहचान बना रहें हैं। जान कर अच्छा लगा।
http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200289560000#c7765995378390844359'> 14 जनवरी 2008 को 11:16 am बजे
good, बढ़िया लिखा भाई..
http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200299520000#c780338331715446978'> 14 जनवरी 2008 को 2:02 pm बजे
प्रोग्राम तो नही देखा पर यह पढ़कर अनुमान लगाने की कोशिश की!!
यह अच्छी बात है कि हिंदी ब्लॉग्स के प्रतिनिधि रुप में रवीश जी मौजूद थे।
http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200301080000#c7179307593090611469'> 14 जनवरी 2008 को 2:28 pm बजे
विनीत लिख रहे हो जितना बढ़िया
इंसान हो उससे भी ज्यादा बढ़िया
आपको देखा तो जाना भी पहचाना
आज जो लिखा है पढ़ा है हमने सब
आपने पूरी सैर करा दी कार्यक्रम की
देखें या न देखें नवनीत पूरा ले लिया
गाहे बगाहे विनीत का पढ़ेंगे निरंतर
http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200316860000#c6890071697127089622'> 14 जनवरी 2008 को 6:51 pm बजे
विनीत, इस बात से तो इनकार नहीं किया जा सकता कि ब्लाग अब एक बड़ी विधा के रूप में उभर रहा है और जिस ढंग से हर तरह के लोग इससे जुड़ रहे हैं जाहिर है कि अब इसके बारे में और बात होगी। ये केवल पर्सनल मुद्दों पर ही नहीं लोगों और समाज पर भी है। शायद इसकी ओपननेस ही इसकी खासियत है।
http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200342900000#c3182857103586123409'> 15 जनवरी 2008 को 2:05 am बजे
aachcha likha hai vineet ji.
http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200386700000#c8078430943355651903'> 15 जनवरी 2008 को 2:15 pm बजे
जानकर बहुत अच्छा लगा। ब्लाग के जरिये इंसान ना सिर्फ़ अपने तक सीमित रह्ता है बल्कि जनसरोकार से जुडे मुद्दे भी प्रमुखता से उठा सकता है। हालांकि इसे अभी लंबा सफ़र तय करना है...
http://taanabaana.blogspot.com/2008/01/blog-post_13.html?showComment=1200602580000#c62242519545565511'> 18 जनवरी 2008 को 2:13 am बजे
प्रोग्राम नहीं देखा
थोडा बहुत एनडीटीवी की साइट से वीडियो डाउनलोड करके देखा था। लेकिन नेट की स्पीड बहुत अच्छी नहीं होने से तीन घंटे की मशक्कत के बाद भी पूरा प्रोग्राम नहीं देख पाया। अगर यू टयूब में या कहीं और जहां से डाउनलोड करके रखा जा सके तो बताइएगा।
वैसे आपने लिखा बहुत अच्छा