पिछले तीन सालों से
रेडियो सिटी पर “संगीत के सितारों की महफिल” पेश कर रहे अमीन सायानी का नया शो “सितारों की
जवानियां” रेडियो के कई कार्यक्रमों का मिला-जुला रूप है.
सबसे खास बात ये कि शो को जिस आवाज और अंदाज में सायानी पेश कर रहे हैं, उसमे इसके
पहले के शो से ज्यादा ताजगी और खनक है. वक्त गुजरने के साथ सायानी की आवाज पहले से
अधिक जवान हुआ है. रेडियो सिलोन. बिनाका गीतमाला से सालों पहले अपनी पहचान बना
चुके और लगभग रेडियो की आवाज के पर्याय बन चुके सायानी की निजी एफएम चैनल में
वापसी सिनेमा में अमिताभ बच्चन की वापसी जैसी है. फर्क सिर्फ इतना है कि बच्चन ने
अपने को जहां अपनी उम्र के हिसाब से पर्सनालिटी को स्टेबल किया, सायानी इससे ठीक
उलट अपनी आवाज को.
गौर करें तो भाइयों
और बहनों से श्रोताओं को संबोधित करने का सायानी का अंदाज अब भी बरकरार है लेकिन
जिन शब्दों का प्रयोग वो अपने इस नए शो में कर रहे हैं, साफ झलक जाता है कि वो
जमाने की चलन और रेडियो जॉकी की ट्रेंड से वाकिफ हैं और यही कारण है कि पूरी
बातचीत में चुलबुलापन शामिल होता जाता है. इसे आप चाहें तो इस माध्यम की शर्त भी
कह सकते हैं.
“सितारों की
जवानियां” अन्नू कपूर के शो सुहाना सफर के काफी करीब है.
फर्क सिर्फ ये है कि अमीन सायानी ने इसमें सिलेब्रेटी की जिंदगी से जुड़ी घटनाओं
को और अधिक एक्सक्लूसिव बनाकर पेश करने का काम किया है. जिस तेजी से एफएम चैनल सिनेमा की पुरानी दुनिया
की तरफ लौट रहा है, उम्मीद की जानी चाहिए कि अमीन सायानी का शो उनकी खास प्रस्तुति
के अंदाज से कहीं ज्यादा उनके खुद के सिनेमा की वीकिपीडिया व्यक्तित्व के कारण
श्रोताओं के बीच मशहूर होगा.
मूलतः प्रकाशित, तहलका 30 जून 2014
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