tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post8712975000591993939..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: एनडीटीवी इंडिया की खोज-दिल्ली का लापतागंजविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-22334542196687651712010-03-28T12:00:29.420+05:302010-03-28T12:00:29.420+05:30अति उत्तम.....आपने दिली की याद ताज़ा कर दी...जय हो...अति उत्तम.....आपने दिली की याद ताज़ा कर दी...जय हो...Himanshuhttps://www.blogger.com/profile/06438593888041301994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-56117447843305447382010-03-28T11:47:50.077+05:302010-03-28T11:47:50.077+05:30हमने भी दिल्ली के सदर बाजार के पास पहाड़ी धीरज और ...हमने भी दिल्ली के सदर बाजार के पास पहाड़ी धीरज और गली अनार देखी है। एकाध दिन रहने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ है। वहाँ का जीवन आज भी आँखों के सामने नाचता है। जीवन की सच्ची पाठशाला वहीं है। अच्छी रिपोर्टिंग, बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-8393099406879491502010-03-28T00:11:47.077+05:302010-03-28T00:11:47.077+05:30रिपोर्ट यकीनन बेहतरीन थी. लेकिन सदी गर्मी में
जाड...रिपोर्ट यकीनन बेहतरीन थी. लेकिन सदी गर्मी में <br />जाड़े के कपड़ों वाली बात खली ज़रा...Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-81455153058236098632010-03-27T23:44:44.232+05:302010-03-27T23:44:44.232+05:30लापतागंज के बारे में सुन रखा था। आज इस लेख से जान ...लापतागंज के बारे में सुन रखा था। आज इस लेख से जान भी गये। इंशाअल्लाह कल देख भी लेंगे।<br /><br />विनीत भाई तुम्हारा लिखने का अंदाज और मेहनत गजब की है। मुझे पता नहीं कि आजकल टेलीविजन के बारे में और कौन बढिया लिखने वाले हैं लेकिन लगता है कि जिस तरह टीवी,सिनेमा और मीडिया पर तुम लिखते उससे बहुत जल्द ही इस क्षेत्र में लिखने वालों में तुम्हारा बड़ा होगा। मुझे नहीं लगता है रवीश कुमार के इस सीरियल के बारे में इत्ते विस्तार से और इस नजरिये से किसी और ने लिखा होगा। यह लेख लापतागंज की टीका है। अब हम भी इसे देखेंगे।<br /><br />शानदार लेख। बधाई!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-86201543718189199982010-03-27T22:25:09.933+05:302010-03-27T22:25:09.933+05:30सच्ची बेहतरीन स्टोरी थी। रवीश जी जुदा स्टोरी लाते ...सच्ची बेहतरीन स्टोरी थी। रवीश जी जुदा स्टोरी लाते है। कल मौका मिला तो फिर से देखेगे जी। वैसे आजकल ऐसी स्टोरी जल्दी से दिखने को नही मिलती है।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-4875039942931050762010-03-27T14:57:37.372+05:302010-03-27T14:57:37.372+05:30shandar report, aapki aur unki bhi filhal malaal i...shandar report, aapki aur unki bhi filhal malaal is bat ka ho raha hai ki tv kam dekhne ki aadat ke chalte nahi dekh paya. raviwar ko dekhne ki koshish karta hu<br />shukriyaSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-53523754960041045492010-03-27T14:10:29.314+05:302010-03-27T14:10:29.314+05:30आज सुबह देख लिया.. बढ़िया था.. लगा जैसे हम खुद ही क...आज सुबह देख लिया.. बढ़िया था.. लगा जैसे हम खुद ही किसी से बात कर रहे हों..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-78425650251961091772010-03-27T13:32:45.069+05:302010-03-27T13:32:45.069+05:30मैंने घर पर टीवी देखने के लिए छतरी नहीं लगाई है, स...मैंने घर पर टीवी देखने के लिए छतरी नहीं लगाई है, सो केबल तार के जरिए चैनलों का आनंद उठाता हूं। कुछ न्यूज चैनल नहीं आते, दुखी नहीं होता। लेकिन आज दुखी हूं जब ऑफिस में एनडीटीवी इंडिया में दिल्ली का लापतागंज-पहाड़गंज देखा। ओह, कमाल की प्रस्तुति ..रवीश कुमार की रिपोर्ट देखकर उनकी स्पेशल रिपोर्ट की याद ताजा हो गई और अब आपके विश्लेषण ने आंखें खोल दी। रिपोर्ट और फिर विश्लेषण दोनों ही बेहतरीन। मैंने जो गौर किया रवीश के रिपोर्ट में वह यह है कि उन्हें बेहद शांत अंदाज में रिपोर्ट पेश किया, ऐसा लग रहा था मानो रिपोर्टर कोई नहीं है, वह तो बस बातचीत कर रहा है। शायद यही खासियत है रवीश की। मुझे उनके रिपोर्टों को देखकर डिस्कवरी के कार्यक्रम याद आ जाते हैं।Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-62020343709942020622010-03-27T11:56:50.806+05:302010-03-27T11:56:50.806+05:30दिलचस्प ....ऐसी रिपोर्टिंग न्यूज़ को नया मुकाम देत...दिलचस्प ....ऐसी रिपोर्टिंग न्यूज़ को नया मुकाम देती है ....गर सिलेवार अपनी गुणवत्ता बनाये रखे ....पर मुश्किल उस रिपोर्टिंग की तब होती है जब विनोद दुआ साहब कही माल उड़ा रहे होते है ओर आप घर में मूंग की दाल के सामने बैठे होते हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-20779379417522545862010-03-27T11:31:40.036+05:302010-03-27T11:31:40.036+05:30अच्छी रिपोर्टिंग। आपकी भी और रवीश जी की भी।अच्छी रिपोर्टिंग। आपकी भी और रवीश जी की भी।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-45875624167863907672010-03-27T11:28:15.560+05:302010-03-27T11:28:15.560+05:30विनीत जी ,
रवीश जी , की प्रस्तुति का जितना बढ़िया ...विनीत जी ,<br />रवीश जी , की प्रस्तुति का जितना बढ़िया विश्लेषण आप ने किया है ,उसे पढ़ कर लगा की प्रोग्राम जरुर देखना चाहिए था . अब इसका रिपीट टेलीकास्ट अवश्य देखूंगा .<br />लतिकेश फॉर www.mediamanch.comlatikeshhttps://www.blogger.com/profile/04046122971331031470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-32725807094549498952010-03-27T11:19:19.248+05:302010-03-27T11:19:19.248+05:30साढ़े दस तो गया। अब साढ़े पाँच और साढ़े दस का देखत...साढ़े दस तो गया। अब साढ़े पाँच और साढ़े दस का देखते हैं कि देख पाते हैं या नहीं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-15568719711878638252010-03-27T11:14:37.077+05:302010-03-27T11:14:37.077+05:30आप की रिपोर्ट और प्रतिक्रिया पढ़ने के बाद टीवी नही...आप की रिपोर्ट और प्रतिक्रिया पढ़ने के बाद टीवी नहीं देखने का रंज होता है,लेकिन एक व्यक्ति को सारे सुख क्यों मिलें ? रवीश् कुमार ने ऐसी रिपोर्ट जारी रखी और आप उनके टीके देते रहे तो यकीन मानें डीटीएच लगवाना पड़ेगा।chavannichaphttps://www.blogger.com/profile/11234137563285061161noreply@blogger.com