tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post7051530845937080483..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: हम खुद भी तो मीडिया को आजाद देखना नहीं चाहते !विनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-89975790951778068952013-10-12T10:55:42.803+05:302013-10-12T10:55:42.803+05:30हमारे समाज में जो विडंबनाएँ हैं वे सभी मीडिया में ...हमारे समाज में जो विडंबनाएँ हैं वे सभी मीडिया में भी हो सकती हैं। मीडिया के लोग किसी दूसरे ग्रह से उतार कर तो लाये नहीं गये हैं। इसी समाज के लोग मीडिया भी चला रहे हैं।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-26799797420472627372013-10-12T05:26:29.105+05:302013-10-12T05:26:29.105+05:30आपके इस प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाये कम है। लीक...आपके इस प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाये कम है। लीक से हट कर काम करने वाले ही सफल होते हैं।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-39584100263523842342013-10-11T12:55:40.700+05:302013-10-11T12:55:40.700+05:30हर समाज में विश्व वही है,
परिचय की रसधार बही हैहर समाज में विश्व वही है,<br />परिचय की रसधार बही हैप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-21410982657167518972013-10-11T11:47:32.960+05:302013-10-11T11:47:32.960+05:30मीडिया की चमक के अंदर की सड़ांध बहुत ज्यादा है। वि...मीडिया की चमक के अंदर की सड़ांध बहुत ज्यादा है। विडंबना है कि हम इसी सड़ांध में जीने—मरने को मजबूर हैं।deepakkibatenhttps://www.blogger.com/profile/14301325134751200493noreply@blogger.com