tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post6370177239875405910..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: बिग बॉस पर जारी है शिवसेना की गुंडागर्दीविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-4250379420217120712010-10-17T14:20:16.970+05:302010-10-17T14:20:16.970+05:30बेहतरीन आलेख!बेहतरीन आलेख!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-40394553467840635642010-10-14T16:40:53.712+05:302010-10-14T16:40:53.712+05:30ये संगठन न केवल समाज के भीतर के आर्ट और विजुअल फार...ये संगठन न केवल समाज के भीतर के आर्ट और विजुअल फार्म को एक उत्पात में तब्दील कर रहे हैं बल्कि ये साबित करने की घटिया कोशिश कर रहे हैं कि हमारे उपर कोई नहीं है। इसे सख्ती से तोड़ा जाना,कुचला जाना जरुरी है।<br /><br />मैं इसका समर्थन करता हूँ. . पुरजोर विरोध करता हूँ... लेकिन वीनित भाई , मुझे बहुत दुःख होता है जब अमिताभ जी चुप हो जाते हैं.. शाहरुख़ खान सुलह कर आते हैं... करण जोहर माफ़ी मांग आते हैं.. वजह ....शांति चाहिए.. करोरो दाव पर लगे हैं... अपना ज़मीर मार लो .. अपनी आवाज़ दबा लो... डर जाओ .. आपस में बैठ कर कोसते होंगे ..शायद अपने आप से नज़र मिलते वक़्त शर्मिंदा भी होते होंगे...लेकिन कुछ करते नहीं.. जब कि ये लोग कर सकते हैं...हमारे आप जैसे आदमी आवाज़ उठाते हैं.. सरेआम विरोध करते हैं... शायद इन लोगों के कानो में पहुँचती नहीं है या ये जान कर अनसुना कर देते हैं...मुंबई में १३ अक्तूबर २००५ , मुंबई मिरर में मैंने आवाज़ उठाई थी ..नया था , अख़बार ने भी इस्तेमाल करना चाहा और आस पास के लोगो ने भी ... जिनके खिलाफ आवाज़ उठाई उन लोगों ने कभी सोचा नहीं था ... देल्ही से आया नया नया लड़का ऐसी हिमाकत करेगा... लोगों ने कहा .. जाने दे यार ..क्या कर रहा है... करियर ख़राब हो जायेगा... कोई काम नहीं देगा... लेकिन मैंने वही किया जो मेरे ज़मीर ने कहा... जो होगा अंजाम देखेंगे ..डरा नहीं... और उस दिन एक शेर लिखा था ..अर्ज़ है<br /><br />वो सर झुका के आसमां पे चला तो क्या यारों.<br />मैं सर उठा के ज़मी पर तो चला हूँ यारों.....<br /><br />मुझे ख़ुशी है.. मैं सर उठा के ज़मी पर चलता हूँ.. आज मेरे पास काम है... और मैं खुद से नज़रे भी मला सकता हूँ...लेकिन वो जिनके पास दौलत है.. ताक़त है ..पता नहीं किस डर.. किस वजह से खामोश रह जाते हैं... ऐसे गूंगे बहरे समाज में हुंकार जब मैं भरता हूँ ..तो मुझे अब दुःख होता है... आप कि बात से सहमत नहीं होता तो आपको ज्वाइन नहीं करता ... इसलिए आवाज़ उठाई जाए...लेकिन सोचना ज़रूरी है..कह कर बात ख़तम न कि जाए... सोचा जाए..गहरे उतर कर और कोई समाधान ले आया जाए..... शायद हम आप समाधान भी दे दें... लेकिन अमल कौन करवाएगा ऊपर से नीचे तक स्वार्थ में लिपटे इस लोकतंत्र के दलालों से...कोई उम्मीद नज़र नहीं आती...पहले बहुत लिखता था... अख़बार वाले कहते थे , बहुत खतरनाक लिखते हो भैया ... खरा उन्हें खतरनाक लगता है.... बहुत सी नामचीन लोगों से मेरी पहचान है.. कुछ हीरोइने तो साथ में पढ़ी भी हैं...कहते हैं उनकी खबर ले आओ .. ये बड़े बड़े अख़बारों का हाल है..खैर ये बातें पुरानी हैं ... सब तो अपनी अपनी रोटियां सकने में लगे हैं बंधू ...जब अपना घर जलता है..जैसे तैसे निपटा लेते हैं... और ऐसा करना मज़बूरी भी हो जाती है.. क्यूंकि अपने नंबर का इंतज़ार करता हमारा समाज उसकी मदद को नहीं आता...आप बहुत अच्छा सोचते हैं... चलो इस सोच को अमली जामा पहनने की एक कोशिश हो...Anand Rathorehttps://www.blogger.com/profile/14768779067635315825noreply@blogger.com