tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post5223752899038234342..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: आइए,आज सिनेमा की खिड़की से दिल्ली झांकते हैंविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-59069216912066803822011-09-20T15:23:53.647+05:302011-09-20T15:23:53.647+05:30दिल्ली का ये पहलू हमसे छूट गया. दिल्ली वाकई हर किस...दिल्ली का ये पहलू हमसे छूट गया. दिल्ली वाकई हर किसी के लिए अलग अलग होती है, आपकी राय से सहमत हूँ कि आज की फिल्मों में दिल्ली के अलग अलग चेहरे बिना साज़-सज्जा के नज़र आते हैं.<br /><br />दिल्ली से मेरा भी दिली जुड़ाव है इसलिए किसी भी फिल्म में उसे देख कर एक बार हूक सी उठती है. नयी फिल्म 'मेरे ब्रदर की दुल्हन' में भी दिल्ली की गलियों का एक छोटा सा ही सन्दर्भ है जहाँ कार नहीं जा सकती...बस स्कूटर या पैदल जा सकते हैं.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-89599895861791358452011-08-09T09:50:26.269+05:302011-08-09T09:50:26.269+05:30'राजनीति अब लोगों के लिए करने से ज्यादा ढोने य...'राजनीति अब लोगों के लिए करने से ज्यादा ढोने या उसके नीचे दबे रहकर जीने की आदत ज्यादा हो गयी है,शायद यह भी कारण हो सकता है ।'सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.com