tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post4088190872359915607..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: सरकार को देना होगा- कब कटेगी चौरासी का जवाबविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-12407883523011825392009-11-26T01:59:06.652+05:302009-11-26T01:59:06.652+05:30विनीत कुमार जी,
मुझे खेद है कि मै आपकी इस पोस्ट क...विनीत कुमार जी, <br />मुझे खेद है कि मै आपकी इस पोस्ट को पहले नहीं देख पाया..दरअसल मुझे भी टीवी के लिए काम करने कि बीमारी है जो पीछा ही नहीं छोड़ रही, जबकि और बहुत कुछ छूट गया...तानाबाना में प्रकाशित रिपोर्ट की जानकारी देने, इस तरफ ध्यान दिलाने और पंजाब स्क्रीन के लिए वक्त निकलने के लिए आपका शुक्रगुजार हूँ...वक्त ने चाहा तो ज़रूर मिलेंगे और खुलकर बात करेंगे...फिलहाल इतना ज़रूर कहना चाहता हूँ कि समस्या पंजाब की भी दुनिया के सामने पूरी तरह नहीं आ पाई...गहरी साजिशों ने ही इस पांच दरिआयों कि धरती पर पहले खून का छठा दरिया चलाया था और अब नशे का दरिया चला रखा है....पंजाब पर हमले सदिओं से होते रहे हैं, यह कोई नयी बात नहीं..बस अब इसकी शक्ल और अंदाज़ में तब्दीली आ गयी है....देश की बाकी जनता नहीं समझेगी तो यह तजुर्बा वहां भी दोहराया जा सकता है......हमें इन साजिशों के खिलाफ एकजुट तो होना ही होगा... जितनी देर होगी उतना ही अंधेर होता जायेगा....और हाँ पाबला जी से एक बात..कुछ ज़ख़्म भूलने वाले होते ही नहीं...और अगर कोई भूल जाये तो कुरेदने का बुरा नमानेंRector Kathuriahttps://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-45162030850786128032009-11-14T00:15:24.729+05:302009-11-14T00:15:24.729+05:30Nirdosh, masoom logon ko kisi ne bhi mara ho, chah...Nirdosh, masoom logon ko kisi ne bhi mara ho, chahe delhi ho ya punjab koi fark nahi hai. Agar aap theek se kitaab padhenge to maine us samay ki punjab ki ghatnaon ka bhi jikar karte huai yah baat bahot spasht dhang se kitaab mein kahi hai.<br />Sadhuvad<br />Jarnail Singhjarnail singh journalisthttps://www.blogger.com/profile/18112512221098080523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-176034059710906342009-11-10T00:25:35.871+05:302009-11-10T00:25:35.871+05:30भिंडरांवाला हो या एच. के. एल. भगत सब इसी राजनीति क...भिंडरांवाला हो या एच. के. एल. भगत सब इसी राजनीति के अवैध सन्तान हैं जैसे इस समय महाराष्ट्र में राज ठाकरे हैं। स्वयं शस्त्र उठा लेने के कारण भिंडरावाला आतंकवादी हो गये जबकि दूसरों को खूनखराबा के लिये उकसाने वाले माननीय सांसद या विधायक। ५०% से कम लोग प्रशासकों को चुनेगे तो ऐसे ही परिणाम आयेंगे। बुद्धिजीवी सेमिनारों और ड्राइंग रूमों में बहस करके अपनी विद्वता से संतुष्ट होकर बैठ जायेंगे फिर किसी गोधरा या ८४ की प्रतीक्षा में।अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-52272900380159239182009-11-07T22:30:27.915+05:302009-11-07T22:30:27.915+05:30क्यों ज़ख़्म कुरेद रहे हैं?क्यों ज़ख़्म कुरेद रहे हैं?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-41439435175128418412009-11-07T21:45:36.661+05:302009-11-07T21:45:36.661+05:30चाहे सिक्ख विरोधी दंगे हों , गोधरा के बाद गुजरात क...चाहे सिक्ख विरोधी दंगे हों , गोधरा के बाद गुजरात के दंगे हों, भोपाल का 1984 का यूनियन कार्बाइड कार्रवाई/रिसाव राहत हो या बडे-बडॆ घोटाले (घोटाले की तुलना दंगे से नहीं की जा सकती लेकिन यहां दॊषियों के खिलाफ़ कार्रैवाई के संदर्भ में कह रहा हूं), सब एक ही नियति को प्राप्त होते हैं । राजनैतिक दोषी किसी भी दल के हों , बच जाते हैं । मुकदमे इतने लंबे चलते हैं कि प्रकरण जनता द्वारा लगभग भुला दिए जाते हैं । <br /><br />यहां ओहदेदारों, नेताओं और अकूत काले धन वालों का बच जाना , उनके द्वारा आयोजित षडयन्त्रों में शामिल लोगों को सजा न हो पाना या न के बराबर होना क्या दर्शाता है ?<br />यह सब पूर्व कथनीय जैसा लगता है । इन मामलों में ये लोग एक अलिखित समझौते की तरह एक दूसरी के मामलों को ज्यादा तूल नहीं देते ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-33908182565918675052009-11-07T12:20:00.730+05:302009-11-07T12:20:00.730+05:30sikho ko nyay mile kintu hinduo ko bhi sikho ke sa...sikho ko nyay mile kintu hinduo ko bhi sikho ke sath jo hua galat tha parantu hinduo ke sath jo hua use kyo dabaya ja rha hai <br />kuch ek vivran padh lijiye<br /><br />ध्यानपुर, जिला गुरदासपुर में कुछ व्यक्तियों द्वारा गोलियां चलाए जाने से प्रकाश, बलदेव और गोपाल नामक 3 व्यक्ति मारे गए और 7 अन्य व्यक्ति घायल हुए। मंडी रोडावाली, सदर फाजिलका में 12 या 13 दुकानों को आग लगा दी गई और गोली मार कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई और एक व्यक्ति को घायल कर दिया गया। भिंडरांवाला का यह बयान कि ये तो केवल 35 बनते हैं और 100 भी नहीं। 66 करोड़ को विभाजित करें तो प्रत्येक सिख के हिस्से में केवल 35 हिन्दू आते हैं, 36 भी नहीं, तो फिर आप कैसे कहते हैं कि आप कमजोर हैं। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि 84 के पीड़ित एक समुदाये के ही नहीं बल्कि पूरा पंजाब व देश पीड़ित है। न्याय सभी को मिलना चाहिए। यही समय की मांग है।vikas mehtahttps://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-4186878498077268982009-11-07T11:56:59.886+05:302009-11-07T11:56:59.886+05:30आपकी पूरी पोस्ट पढी ..मुझे आजादी से पहले के वो पत्...आपकी पूरी पोस्ट पढी ..मुझे आजादी से पहले के वो पत्र पत्रिकाएं याद हो आईं जो अपनी लेखन सामग्री से उनके तेवर से जनमानस की दिशा बदल दिया करती थी । जरनैल सिंह की पुस्तक में .1984 दंगो के भुक्तभोगियों का दर्द और सरकार का उसके प्रति रवैया ..समानांतर रूप से परिलक्षित होती है । एच के एल भगत का मुकदमा हमारी कोर्ट में ही चला ..सबसे बडे आश्चर्य की बात ये थी कि ..मुकदमे को अपने अंत तक पहुंचाने वाले प्रयासों में जो उदासीनता बरती जा रही थी उसी ने जतला दिया था कि ..कौन कितना गंभीर है । अब यही सब राजेश पायलट को लेकर किया जा रहा है । <br />भारतीय राजनीति, भारतीय कानून व्यवस्था, पुलिस और प्रशासन .और सबसे बढ कर भारत के आम लोगों में पश्चिमी देशों की तुलना में यही बुनियादी अंतर है । जनमानस को जगाने के लिये ऐसी पुस्तको और और ऐसे तेवर की जरूरत अब ज्यादा रहेगी । जरनैल के फ़ेंकने का उद्देश्य आज पूरा हुआ सा लगता है ..अन्यथा आज एक आम पत्रकार लिखता तो शायद ये उतना .....अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com