tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post1308633283505990544..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: paid news के खिलाफ- अरविंद मोहन,मेधा पाटकर, आनंद प्रधान,वर्तिका नंदा,अमृता राय और चैतन्य प्रकाशविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-51631306284554092152010-02-06T10:55:39.855+05:302010-02-06T10:55:39.855+05:30निराश न हों...
मीडिया में पैसे लेकर खबर छापने की ...निराश न हों...<br /><br />मीडिया में पैसे लेकर खबर छापने की प्रवृति नई नही है. लेकिन अब तो मीडिया ने हद ही पार कर दिया है. पाठको के साथ धोखा, इंसानियत के साथ धोखा, चारो-ओर धोखा ही धोखा. जो दिखाया जा रहा है अथवा लिखा जा रहा है उस पर विश्वास कर पाना मुश्किल होता जा रहा है. मीडिया में व्याप्त भ्रष्टाचार चिंतन का विषय तो है ही, लेकिन अब जब देश के जाने-माने पत्रकार-बुद्धिजीवि इस को लेकर आंदोलन चलाने लगे हैं, आशा की जानी चाहिए की आने वाली नई पीढ़ी को एक पारदर्शी माहौल में पत्रकारिता करने का मौका मिलेगा. हमें अब मीडिया घरानों से ऊपर उठकर एक वैकल्पिक मीडिया के भविष्य पर ध्यान देने, उसको संवारने और उसको आगे बढाने की जरूरत है. वैसे मीडिया में अभी भी अच्छे लोग हैं, शायद तभी तो आज हम पेड न्यूज के मसले पर इतना गंभीर चर्चा कर पा रहे हैं.<br />आशुतोष कुमार सिंह<br />91-9891798609आशुतोष कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/00677976949564721957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-31752827413324371502010-02-06T10:14:32.682+05:302010-02-06T10:14:32.682+05:30यार, विनीत जी आप भी थे वहां। दस मिनट के लिए रुका थ...यार, विनीत जी आप भी थे वहां। दस मिनट के लिए रुका था मैं भी, आपको देखता तो मिल भी लेता। बौद्धिक माफियाओं को देखा और ज़रा सा सुनकर चला गया, किताबें टटोलने।मधुकर राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/18175900220847414275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-51866834331339783542010-02-06T10:13:07.471+05:302010-02-06T10:13:07.471+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.मधुकर राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/18175900220847414275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-59178582561634296092010-02-05T23:39:15.379+05:302010-02-05T23:39:15.379+05:30केएमपी से सहमतकेएमपी से सहमतडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-12583932991348516512010-02-05T22:07:09.053+05:302010-02-05T22:07:09.053+05:30मिडिया , खासकर चैनलों में न्यूज की गुणवत्ता को लेक...मिडिया , खासकर चैनलों में न्यूज की गुणवत्ता को लेकर जो विचार, विमर्श ,होड़ और उसके गिरते स्तर की चर्चा चल रही है, उसमे एक और बात स्पष्ट करना चाहता हूँ. दरअसल न्यूज चैनलों की लड़ाई आपस में कम तथा सीरियल बाले चैनलों से ज्यादा है. न्यूज चैनल किसी एक न्यूज की एक लाईन पकड़ कर आधा घंटा तक न्यूज दिखाते रहते हैं, सीरियल की तरह.वो भी सनसनीखेज बनाकर. कभी-कभी तो एक शब्द पकड़ कर ससपेंस बनाकर इस तरह न्यूज बनाया जाता है कि जैसे कोई जासूसी सीरियल चल रहा हो. समाचारों की न केवल मात्रा कम हो गयी है वल्कि गुणवत्ता में भी भरी गिरावट आई है.न्यूज चैनल अखबार की जगह तो नहीं ले पा रहे , लेकिन पत्र-पत्रिकाओं की जगह लेने की ओर जरूर आगे बढ़ रहे हैं.इसी कारण न्यूज चैनलों में भूत-प्रेत,भविष्य बाणी, अंध-विश्वाश, इत्यादि... न जाने कितने प्रोग्राम आने लगे हैं. सीरियल बाले चैनल देखने से कम से कम दर्शक ये तो जानते समझते हैं कि ये सब कहानी-ड्रामा हैं. मनोरंजन का भाव तो रहता ही है. न्यूज चैनलों से सबसे ज्यादा निराश आजकल पढ़ा-लिखा वर्ग ही है जिसे मानसिक खुराक नहीं मिल पा रहा है.रेटिंग की दौड में ज्यादा कमाई के लिए जब न्यूज चैनल बाले पिछड़ रहे हैं तो पेड-न्यूज के सहारे धंधा बढ़ा रहे हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि विश्वसनीयता और गिरती जा रही है.कृष्ण मुरारी प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/00230450232864627081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-12967081219994670842010-02-05T20:23:36.161+05:302010-02-05T20:23:36.161+05:30मेघा पाटकर को कौन पे कर रहा है ये भी बतायेंमेघा पाटकर को कौन पे कर रहा है ये भी बतायेंडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-21278550244269244752010-02-05T13:21:50.841+05:302010-02-05T13:21:50.841+05:30बहुत अच्छा वैचारिक विमर्श और विचार पढ़ने मिले… धन्य...बहुत अच्छा वैचारिक विमर्श और विचार पढ़ने मिले… धन्यवाद आपका…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-149885295675487312010-02-05T12:25:20.427+05:302010-02-05T12:25:20.427+05:30पुस्तक मेला गंभीर चर्चा और चिंतन का आयोजन भी बने इ...पुस्तक मेला गंभीर चर्चा और चिंतन का आयोजन भी बने इसकी कोशिश को बढ़ावा मिलना चाहिए. भाई अरुण महेश्वरी को बधाई कि उन्होंने अपनी कल्पना को पुस्तक-विमोचन के आत्म-रति में डूबे कार्यक्रमों से आगे विस्तार दिया. भाई विनीत को ह्रदय से धन्यवाद कि इतिहास लेखन के लिए कच्छा माल जुटाने का सत-कर्म एक बार और उनके हाथो हो सका.<br />Pankaj PushkarPANKAJ PUSHKARhttps://www.blogger.com/profile/12587149005656419097noreply@blogger.com