tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post4750890843198299694..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: जब तब याद आता है मोहल्लाविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-75130989963816728962008-04-08T11:50:00.000+05:302008-04-08T11:50:00.000+05:30@ अविनाश उवाच -"आप अच्छा लिखते हैं - और समझ सकता ...@ अविनाश उवाच -"आप अच्छा लिखते हैं - और समझ सकता हूं कि अनूप शुक्ला और सुजाता और बोधिसत्व यहां आपके लिखे की प्रतिक्रिया में क्यों उग आये हैं।"<BR/>मैं केवल इसी पोस्ट पर नही उगी हूँ ।मैं तो यूँ भी विनीत के ब्लॉग पर तब से उगती आ रही हूँ जब से उसने गाहे बगाहे शुरु किया है ।इसलिए आप भयभीत न हों।आपके खिलाफ कहीं कोई गुटबन्दी नही हो रही ।न ही विनीत इतना नासमझ है ।वहम का कोई इलाज नही होता । वहम दोस्तों को दुश्मन बना देता है । <BR/>@विनीत उवाच-<BR/>और जहां तक बात अनूप शुक्ला, बोधिसत्व या फिर सुजाता के उग आने की बात है तो इतना तो आपने मुझे समझा ही होगा कि मैं मठाधीशी के विरोध में रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि हमें जोड़कर कोई अपनी संख्या बढ़ाए और अपना मठ बनाए। ऐसा तो होने नहीं दूंगा और न ही अपनी खुन्नस कोई मेरे जरिए निकाल सकता है। इतनी समझदारी तो आपलोगों ने मेरी बढ़ा दी है।<BR/>तुम्हे सिर्फ संख्या बढाने के लिए शामिल नही किया चोखेर बाली में । जब भी लगे कि यहाँ तुम्हारा इस्तेमाल हो रहा है , चले जाना ।अविनाश की संतुष्टि भी तो ज़रूरी है न !सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-55207561142369393712008-04-04T01:51:00.000+05:302008-04-04T01:51:00.000+05:30अविनाश भाई, मैंने हर अच्छी और बुरी बातों को आपके स...अविनाश भाई, मैंने हर अच्छी और बुरी बातों को आपके साथ शेयर किया। विभाग के लोगों को खुलकर गरिआया है आपके सामने। आप अगर इसका इस्तेमाल करें तो मेरी दो मिनट में छुट्टी हो सकती है। मैं जानता हूं कि आपने मुझे लिखने के लिए बल दिया। आप बताइए जब मैं आपसे छोटी से छोटी बातें शेयर कर सकता हूं तो आप मुझे हटाने के पहले एक बार बात तो कर सकते थे न। लेकिन आपने खुद ही तय कर लिया कि मैं भड़ासी हूं। जनसत्ता वाले मामले के बाद तो मैंने तय कर लिया था कि अब कहीं भी नहीं लिखना है। आपने मुझे जस्टिफाई करने का मौका नहीं दिया। आपको मेरी लेखनी से समझना चाहिए था कि मैं कभी भी महिला विरोधी नहीं लिखता। भड़ास ने लिखा, इससे आपने हमें भी वैसा ही मान लिया।..मुझे बस इतना खल गया कि आप ये सारी बातें मुझे तब बतायी जब मैंने आपको याद किया।<BR/>आप खुलकर लिखने की बात कर रहे हैं। आपको पता है कि भड़ास और मोहल्ला के प्रकरण को समझने के लिए अच्छा खासा समय चाहिए था। एक तो मैं लम्बे समय तक बैठ नहीं सकता था और दूसरी बात आप मेरे हॉस्टल के कम्प्यूटर की स्थिति जानते हैं। कभी माउस गायब तो कभी स्पीड कम। आधे घंटे में ही लिखना होता है। सब कुछ जानते हुए भी अचानक आपने फतवा जारी कर दिया। आप मुझसे बडे हैं, अनुभवी हैं, चाहें तो डांट सकते हैं लेकिन स्वाभिमान को कुचलने का अधिकार कैसे दे दूं।<BR/>और जहां तक बात अनूप शुक्ला, बोधिसत्व या फिर सुजाता के उग आने की बात है तो इतना तो आपने मुझे समझा ही होगा कि मैं मठाधीशी के विरोध में रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि हमें जोड़कर कोई अपनी संख्या बढ़ाए और अपना मठ बनाए। ऐसा तो होने नहीं दूंगा और न ही अपनी खुन्नस कोई मेरे जरिए निकाल सकता है। इतनी समझदारी तो आपलोगों ने मेरी बढ़ा दी है।<BR/>आपने मुझे ब्लॉग लिटरेट किया है इसके लिए कोई धन्यवाद नहीं दूंगा, इतना तो अब भी अधिकार है चाहे जिस नाते समझ लें। चाहें तो आप खुश भी हो सकते हैं कि आपका बताया लौंडा आपसे हिन्दी टाइप करके बहस कर रहा है।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-28440430744885019162008-04-04T01:26:00.000+05:302008-04-04T01:26:00.000+05:30पहली पंक्ति में पढ़ें: कोई खास वजह नहीं है।पहली पंक्ति में पढ़ें: कोई खास वजह नहीं है।Avinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-89629525398136795972008-04-04T01:25:00.000+05:302008-04-04T01:25:00.000+05:30विनीत भाई, इसके पीछे कोई खास वजह है। जिस वजह से मै...विनीत भाई, इसके पीछे कोई खास वजह है। जिस वजह से मैंने भड़ास के खिलाफ़ स्टैंड लिया - वो एक ज़रूरी वजह थी। भदेस और उन्मुक्त भाषा के लिए भड़ास की प्रशंसा कई बार करने के बाद एक ऐसे मुद्दे पर उसकी आलोचना करना, जो एक स्त्री को बीच बाज़ार में निशाना बनता है - उस पर ओर-छोर की जवाबदेही होनी ही चाहिए थी। आप बीमार थे। मुझे आपसे कोई गिला-शिकवा नहीं। जब दुरुस्त हुए, तब आपको अपनी बात मुखर रूप से कहनी चाहिए थी। आपने नहीं कहा। मेरे दोस्त और कभी सहकर्मी रहे सचिन लुधियानवी भी भड़ास और मोहल्ला के बीच बेवजह की तुलना कर रहे थे। मेरे अपने भाई प्रशांत प्रियदर्शी ने भी भड़ास से जुड़े रहना उचित समझा। मैंने इन सबसे खुद को अलग किया। मोहल्ले की मेंबरशिप रद्द कर दी। ग़लती से आप भी उनमें थे। दोनों जगह एक साथ नहीं रहा जा सकता। अब भी हमारा यही स्टैंड है। आप अच्छा लिखते हैं - और समझ सकता हूं कि अनूप शुक्ला और सुजाता और बोधिसत्व यहां आपके लिखे की प्रतिक्रिया में क्यों उग आये हैं।Avinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-63541524773164803572008-04-03T18:43:00.000+05:302008-04-03T18:43:00.000+05:30ha hai to lekin, hum humsafar ka link nahi aur ha ...ha hai to lekin, hum humsafar ka link nahi aur ha mere dashboard par mohalla nahiविनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-2694464310790111272008-04-03T18:42:00.000+05:302008-04-03T18:42:00.000+05:30saathi arun mai aage ki post me saari baate likh r...saathi arun mai aage ki post me saari baate likh raha hoo..विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-77911466131242260842008-04-03T18:41:00.000+05:302008-04-03T18:41:00.000+05:30vineet, doston ka mohalla men to aapke blog ka lin...vineet, doston ka mohalla men to aapke blog ka link mauzud hai.Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-23798074780353230522008-04-03T18:12:00.000+05:302008-04-03T18:12:00.000+05:30vineet, aapne yah nahin bataya ki avinash ne aapko...vineet, aapne yah nahin bataya ki avinash ne aapko mohalla se baahar kyon nikala. koi vajah thi ya yun hi...aur agar vajah thi to kya thi? pata to chale ki itni atmiyata achanak khatm kyon ho gayi.Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-54666257973471900702008-04-03T17:55:00.000+05:302008-04-03T17:55:00.000+05:30बोधिसत्व जी और अनूप जी से सहमत हूं!बोधिसत्व जी और अनूप जी से सहमत हूं!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-67309008331802479342008-04-03T13:03:00.000+05:302008-04-03T13:03:00.000+05:30आप एक अच्छे लेखक है, मोहल्ला एक हल्ला मात्र है ...आप एक अच्छे लेखक है, मोहल्ला एक हल्ला मात्र है । मोहल्ले से इतर भी जाइये कई अच्छे वरिष्ठ युवा लेखक मौजूद है।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-73317000905460921512008-04-03T08:57:00.000+05:302008-04-03T08:57:00.000+05:30अनूप शुक्ल और हर्ष वर्द्धन की बात से सहमत हूँ ।यह ...अनूप शुक्ल और हर्ष वर्द्धन की बात से सहमत हूँ ।<BR/><BR/>यह भी देखना -<BR/>http://khulkeybol.blogspot.com/2008/04/blog-post.htmlसुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-7890091888365291292008-04-03T08:46:00.000+05:302008-04-03T08:46:00.000+05:30अरे भाइ काहे मन छोटा करते हो ,आपका अपना ब्लोग है य...अरे भाइ काहे मन छोटा करते हो ,आपका अपना ब्लोग है यही ब्लोगियाईये जी और ज्यादा दिल करे तो हमारे पर पधार जाईये जी, फ़ुरसतिया टाईम्स तो हमेशा आपके लिये खुला है जी..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-20870400032341126112008-04-03T07:23:00.000+05:302008-04-03T07:23:00.000+05:30विनीत, मुझे नहीं लगता कि आपको किसी मोहल्ले की जरूर...विनीत, मुझे नहीं लगता कि आपको किसी मोहल्ले की जरूरत है। और, ये रुदन जैसा अहसास दिलाकर अपनी अच्छी लेखनी को और गाहे बगाहे पढ़ने वालों को क्यों दुखी कर रहे हैं।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-32050133991621826732008-04-03T07:06:00.000+05:302008-04-03T07:06:00.000+05:30आप अच्छा लिखते हैं। गाहे-बगाहे क्या , नियमित लिखा ...आप अच्छा लिखते हैं। गाहे-बगाहे क्या , नियमित लिखा करें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-82771914210511258552008-04-03T03:11:00.000+05:302008-04-03T03:11:00.000+05:30मुझे नहीं लगता कि आपको किसी सहारे की जरूरत है...कि...मुझे नहीं लगता कि आपको किसी सहारे की जरूरत है...कितना अच्छा तो लिखा है आपने....आप लिखते रहें...आपको बहुत सारे साधारण बलॉगर तो पढ़ ही रहे हैं...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-26741165684863395702008-04-03T02:05:00.000+05:302008-04-03T02:05:00.000+05:30भैये ये अविनाश ऐसा ही करता है सबके साथ! मैं भी भुग...भैये ये अविनाश ऐसा ही करता है सबके साथ! मैं भी भुगता-भुगताया बैठा हूँ लेकिन शुक्र है सही समय पर अक्ल आ गयी क्योंकि मोहल्ले जैसे बेकार विवादी मंच से बेहतर रेटिंग और हिट और पाठक मुझे अपने ब्लॉग से मिल जाते हैं और साथ ही साथ नाम भी!<BR/><BR/>अविनाश कभी लगता था कि यार ये लड़का अपना सा ही है जो अपनों के बीच से उठकर शहर में आ गया है लेकिन शहरी चकाचौंध ने उसे अंधा कर दिया है,बेकार के विवाद खड़े करना मोहल्ले में सबको इकट्ठा करना और जब किसी ने कोई सार्थक पोस्ट लिखनी चाही तो उस लेखक को ही निकाल बाहर फ़ेंकना उसका मुख्य शगल रहा है भाई!<BR/><BR/>अब अपना नाम कमाओ मोहल्ला मत बनाओkamlesh madaanhttps://www.blogger.com/profile/14947827548102778374noreply@blogger.com