tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post3433432439057506867..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: उपन्यास की बुनावट में ब्लॉग के रेशेविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-36164955487204983842008-11-08T18:26:00.000+05:302008-11-08T18:26:00.000+05:30रोचक चर्चा। अपने आप मे ब्लॉग धीरे-धीरे एक सशक्त मा...रोचक चर्चा। अपने आप मे ब्लॉग धीरे-धीरे एक सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। अभी कहीं-कहीं ब्लॉग पर सुलझे हुए विचार भी देखने मे मिलते हैं औऱ रोचक चर्चाएं भी चलती रहती हैं, अब कहीं किसी को कॉफी हाउस या मंडी हाउस जा कर चर्चा करने के लिये नहीं जाना पडता। <BR/>अच्छी पोस्ट।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-76741906141062154652008-11-07T20:34:00.000+05:302008-11-07T20:34:00.000+05:30पहले तो गाहे-बगाहे की पहली वर्षगांठ की हार्दिक बधा...पहले तो गाहे-बगाहे की पहली वर्षगांठ की हार्दिक बधाईयां....पहली बार आया हूं आपकी ब्लौग पर और अभीभूत हो गया हूं.<BR/>रोचक चर्चा.<BR/>आज नहीं तो कल इस ब्लौग-विधा को स्विकार्य होना ही है हिंदी साहित्य के अंचल में डायरी,यात्रा-वृतांत की तरहगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-48024717815588195852008-11-06T11:21:00.000+05:302008-11-06T11:21:00.000+05:30अभी तो ठीक से शुरुआत भी नहीं हुई है, हिन्दी ब्लॉग ...अभी तो ठीक से शुरुआत भी नहीं हुई है, हिन्दी ब्लॉग जगत का प्रभाव अभी बहुत कुछ बदलाव लायेगा, चाहे किसी को पसन्द आये या न आये…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-73234439313053098942008-11-06T10:51:00.000+05:302008-11-06T10:51:00.000+05:30अगर साहित्यिक विधाओं में ब्लॉग एक विकल्प बन...अगर साहित्यिक विधाओं में ब्लॉग एक विकल्प बनने की प्रक्रिया में है तो पुराने लोगों को अटपटा तो जरूर लगेगा, लेकिन अक्सर होता आया है, पुरानी कई चीजों को हटाने के बाद ही कोई नई चीज या विधा स्थापित होती है, लेकिन ब्लॉग बिना किसी को दरकिनार किए अपनी अलग पहचान बनाने की दिशा में गतिशील है।<BR/>उपन्यास की संक्षिप्त आलोचना अच्छी रही। कम से कम अखबार में रिव्यू देखने से छुट्टी मिली:)जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-28866524575809057672008-11-06T10:48:00.000+05:302008-11-06T10:48:00.000+05:30कहीं न कही इस स्वच्छंद लेखन की विधा ने पारंपरिक सा...कहीं न कही इस स्वच्छंद लेखन की विधा ने पारंपरिक साहित्य लेखन की दिशा जरुर बदली है.<BR/>इसकी और भी कडियाँ देखने को मिलेंगी.पुनीत ओमरhttps://www.blogger.com/profile/09917620686180796252noreply@blogger.com