tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post2433919483190403052..comments2023-10-26T18:12:59.863+05:30Comments on साइड मिरर: सच कहूं,मन बहुत कचोटता है-शम्स ताहिर खानविनीत कुमारhttp://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-36672632629625818822010-02-23T19:47:50.184+05:302010-02-23T19:47:50.184+05:30सरकारी नौकरी में रहते हुये लोग कितने संवेदनहीन होत...सरकारी नौकरी में रहते हुये लोग कितने संवेदनहीन होते जाते हैं मुझे बहुत नजदीक से पता है.सच कहूँ तो मैंने कई बार बॉस लोगों के सामने अपने वर्करों से सम्बंधित कई संवेदनशील मुद्दे उठाये हैं, लेकिन ज्यादातर मौकों पर सामने से निष्ठुर रेस्पॉन्स ही मिलता है. अधिकारी होने के कारण हमलोगों से संवेदनशीलता की उम्मीद नहीं की जाती है. बरहहाल, संजीदा रिपोर्ट.... दिल को छूने बाला....इश्वर को धन्यवाद..कि अभी मानवीयता जिन्दा है..और संवेदनायें भी....भगवान ऐसे लोगों को लंबी उम्र दें...कृष्ण मुरारी प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/00230450232864627081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-29365099484267256022010-02-22T00:44:18.437+05:302010-02-22T00:44:18.437+05:30विनीत आपके ब्लॉग से ही पता चला इस बारे में,हॉस्टल ...विनीत आपके ब्लॉग से ही पता चला इस बारे में,हॉस्टल में टीवी नहीं रखा है, आपकी सजगता को शुक्रिया.<br />जब दिल्ली के इदारों का ये हाल है तो बाक़ी देश की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.<br />सरकारी निकम्मेपन और हम-सब की उपेक्षा का इलाज क्या है?<br />शम्स, विनीत, रवीश, कमाल खान बने रहें - लगे रहें .... !Sheeba Aslam Fehmihttps://www.blogger.com/profile/07549073121532116368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-72447518108947731282010-02-21T11:57:29.069+05:302010-02-21T11:57:29.069+05:30सरकारी उपलब्धियों पर कालिख की तरह है इस आश किरण हो...सरकारी उपलब्धियों पर कालिख की तरह है इस आश किरण होम में बच्चों की हालत । मन कचोटता तो है ही साथ ही एक असहाय जैसा भी अनुभव करता है / <br /><br />ब्लॉगिंग का इससे बेहतर उपयोग और क्या हो सकता है । <br /><br />इस तरह के मुद्दों को बेबाकी से प्रकाश में लाने के लिए आप हर बार धन्यवाद के पात्र हैं ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-47155031215074399202010-02-21T10:13:33.361+05:302010-02-21T10:13:33.361+05:30रंगनाथ सिंह जी सहमत!
मेरी टिप्पणी टाइपिंग में गड़बड़...रंगनाथ सिंह जी सहमत!<br />मेरी टिप्पणी टाइपिंग में गड़बड़ा गयी। इसे इस तरह पढ़ा जाये:<br /><b>संवेदनशील रिपोर्ट! पढ़कर सच में मन कचोट रहा है!</b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-11150716421459437772010-02-20T22:58:16.373+05:302010-02-20T22:58:16.373+05:30मीडिया पर आपकी किताब का इंतजार तो हमें भी है। आप म...मीडिया पर आपकी किताब का इंतजार तो हमें भी है। आप में जटिल विषय को सहज बना देने की खूबी है।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-90133887215028338372010-02-20T21:03:59.446+05:302010-02-20T21:03:59.446+05:30पढ़ चुकी..सिर्फ यह बताने के लिए टिप्पणी कर रही हूँ....पढ़ चुकी..सिर्फ यह बताने के लिए टिप्पणी कर रही हूँ.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-57388349717882697012010-02-20T20:37:54.871+05:302010-02-20T20:37:54.871+05:30प्रिय विनीत जी
आपके ब्लॉग पर 'टी वी पर बच्चे&#...प्रिय विनीत जी<br />आपके ब्लॉग पर 'टी वी पर बच्चे' पढ़ा . मै एक और बात की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. आप टी वी पर प्रसारित कार्टून चैनलों को बस एक दिन देखे. खास तौर पर हंगामा पर शिन चैन और निक पर निन्जा हतोरी, डोरेमोन, हगेमारू, असरी चैन आदि. इनकी भाषा, कंटेंट, कहानी अब कुछ इतना अश्लील और आपत्तिजनक है कि मुझे आश्चर्य होता है कि किसी भी टी वी टिप्पणीकार का ध्यान इधर नहीं पंहुचा. मेरी आपसे इल्तेज़ा है कि आप अपने ब्लॉग पर इस पर लिखें और एक बड़े समूह तक यह बात पहुचाएं. एक अजीब संयोग यह भी है कि ये सभी जापानी सीरियल हैं.<br />धन्यवादwatchdoghttps://www.blogger.com/profile/14738719184726451033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-74347815205527309892010-02-20T20:37:51.808+05:302010-02-20T20:37:51.808+05:30प्रिय विनीत जी
आपके ब्लॉग पर 'टी वी पर बच्चे&#...प्रिय विनीत जी<br />आपके ब्लॉग पर 'टी वी पर बच्चे' पढ़ा . मै एक और बात की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. आप टी वी पर प्रसारित कार्टून चैनलों को बस एक दिन देखे. खास तौर पर हंगामा पर शिन चैन और निक पर निन्जा हतोरी, डोरेमोन, हगेमारू, असरी चैन आदि. इनकी भाषा, कंटेंट, कहानी अब कुछ इतना अश्लील और आपत्तिजनक है कि मुझे आश्चर्य होता है कि किसी भी टी वी टिप्पणीकार का ध्यान इधर नहीं पंहुचा. मेरी आपसे इल्तेज़ा है कि आप अपने ब्लॉग पर इस पर लिखें और एक बड़े समूह तक यह बात पहुचाएं. एक अजीब संयोग यह भी है कि ये सभी जापानी सीरियल हैं.<br />धन्यवादwatchdoghttps://www.blogger.com/profile/14738719184726451033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-22324585616400834842010-02-20T18:19:44.945+05:302010-02-20T18:19:44.945+05:30विनीत जी, इस दास्ताँ को आज तक पर नहीं देख सका. देख...विनीत जी, इस दास्ताँ को आज तक पर नहीं देख सका. देखता तो शायद बहुत कोफ़्त होती क्यूंकि चाहकर भी बाकी बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पता. लेकिन यहाँ भी दर्द महसूस कर लिए. उम्मीद है कि ये खबर मुहिम बनेगी और अंजाम तक पहुंचेगी. रविश जी ने आपके फेसबुक पर लिखा है कि शम्स की कहीं से कोई आवाज़ खींच कर कहीं और ले जाना चाहती है। <br />चलिए, शम्स जी की आवाज के साथ चलें और बाकी बच्चों की जिंदगी बचा लें. ये घुटन इस ब्लॉग पर भी न रह जाये. हमें भी कचोतेगी और आप सबको भी.ankahihttps://www.blogger.com/profile/07562903515068256698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-7903630356535846262010-02-20T17:52:41.527+05:302010-02-20T17:52:41.527+05:30आशा किरण होम में मौत दर मौत की यह दास्तां देख अहमद...आशा किरण होम में मौत दर मौत की यह दास्तां देख अहमद वसी की नज्म याद आती है कि - <br /><br /><b>धरती से मिटते जाते हैं चेहरे अब इस तरह<br />जैसे किसी ने इनको बनाया हो चाक से </b><br /><br /> इस संजीदा रिपोर्टिंग की जितनी तारीफ की जाय कम है। शम्स जी से कहिये कि बहुत दिनों बाद आज तक ने अपना जलवा दिखाया है।<br /><br /> शम्स जी, आपकी रिपोर्टिंग देख पत्रकारिता के बचे रहने का एहसास होता है। एक बार फिर आपके लिये अहमद वसी साहब के ही शेर से अपनी बात खत्म करता हूं कि - <br /><br /><b>ये कम नहीं है कि इस बेलिबास बस्ती में<br />मेरे बदन पे अभी तक लिबास बाकी है।</b>सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-79908148166998894592010-02-20T17:33:23.858+05:302010-02-20T17:33:23.858+05:30संवेदनशीला रिपोर्ट! पढ़कर सच में मन कछोट रहा है!संवेदनशीला रिपोर्ट! पढ़कर सच में मन कछोट रहा है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6898673550088047104.post-33627281175846788362010-02-20T17:21:30.023+05:302010-02-20T17:21:30.023+05:30जब मीडिया की नब्ज़ पकड कर लिखने वाला आप जैसा ब्लोग्...<i> <b> जब मीडिया की नब्ज़ पकड कर लिखने वाला आप जैसा ब्लोग्गर किसी समाचार स्टोरी की कवरेज़ को इतनी संजीदगी से लगता है तो ..यकीन मानिए हमें भी लगता है कि हां कहीं तो मीडिया से जुडे हुए कुछ लोग हैं जिन्हें सिर्फ़ बाईट्स से , स्टोरी से , और टीआरपी से ही सरोकार नहीं है । उनमें भी एक इंसान ,इंसान से जुडी संवेदनाएं , समाज सब जीते मरते हैं .....और सबसे जरूरी बात आज आपकी पोस्ट को पढने के बाद लगा कि ....हां यही है ब्लोग्गिंग ...यदि नहीं है तो होनी चाहिए ...यदि मैं आज के बाद आपकी इस पोस्ट के बाद अपने पढने लिखने की दिशा बदल दूं .......और ब्लोग्गिंग ही करूं तो इसका सारा दोष आपके और आपकी इस पोस्ट को ही दिया जाए ...वीडियो/आडियो अपलोड न हो सका कोई बात नहीं , मगर बहुत कुछ देख सुन तो लिया ही है । आगे भी पढता रहूंगा आपको </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com